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ठगे जा रहे केबल उपभोक्‍ता, 30 जून को केबल ऑपरेटर करेंगे हड़ताल

केबल टीवी सर्विसेज के डिजिटाइजेशन के बहाने उपभोक्ताओं को खुलेआम लुटा जा रहा है। पहले तो सेट टाप बाक्स लगाने की मुहिम चली और अब कस्टमर एप्लीकेशन फॉर्म (सीएएफ) जमा कराने की मुहिम है। पसंदीदा चैनल देखने के लिए पसंद के मुताबिक जेबें खाली करनी होंगी। समाचार चैनलों को देखने के लिए भी ज्यादा भुगतान करना होगा। यहां तक कि विदेशी समाचार चैनल बीबीसी और सीएनएन को देखने के लिए पापुलर पैकेज काफी नहीं होगा।

केबल टीवी सर्विसेज के डिजिटाइजेशन के बहाने उपभोक्ताओं को खुलेआम लुटा जा रहा है। पहले तो सेट टाप बाक्स लगाने की मुहिम चली और अब कस्टमर एप्लीकेशन फॉर्म (सीएएफ) जमा कराने की मुहिम है। पसंदीदा चैनल देखने के लिए पसंद के मुताबिक जेबें खाली करनी होंगी। समाचार चैनलों को देखने के लिए भी ज्यादा भुगतान करना होगा। यहां तक कि विदेशी समाचार चैनल बीबीसी और सीएनएन को देखने के लिए पापुलर पैकेज काफी नहीं होगा।

बंगाल के केबल टीवी आपरेटरों ने इसके खिलाफ 30 जून को हड़ताल करने का ऐलान किया है। केबल टीवी आपरेटरों का संगठन शुरू से सेट टाप बाक्स लगाने का विरोध करता आ रहा है। मुख्यमंत्री ममत बनर्जी ने भी इसका विरोध किया था। राज्य सरकार के विरोध के चलते बंगाल में डिजिटाइजेशन का काम देरी से पूरा हुआ। अब सेट टाप बाक्स लग जाने के बाद घुमाकर केबल टीवी शुल्क बढ़ाया जा रहा है। कम से कम सौ रुपये में जो सौ मुफ्त चैनल दिखाये जाने हैं, उसमें फिल्मों, खेल और समाचार के चैनल शामिल नहीं हैं। क्षेत्रीय चैनलों को शामिल करके पैकेज का कोटा पूरी किया जा रहा है। जहां 150 रुपये में सारे चैनल देखने को मिलते थे, वहां 180 रुपये के पापुलर पैक में भी पसंदीदा चैनल नहीं है। 230 रुपये के पैकेज में भी सारे पसंदीदा चैनल नहीं है। 280 रुपये खर्च करें तो आपको वे तमाम चैनल देखने को मिलेंगे, जिसे आप 150 रुपये में देख रहे थे। इसके चलते नाराज उपभोक्ता केबल सेवा छोड़कर होम टीवी का विकल्प भी अपना रहे हैं। जो ऐसा नहीं कर रहे हैं वे प्रबल विरोध कर रहे हैं। केबल आपरेटरों का कहना है कि जिस तरह से उपभोक्ताओं से अतिरिक्त शुल्क लिया जाना अनिवार्य कर दिया जा रहा है, उनका धंधा ही चौपट हो जायेगा।

केबल टीवी ग्राहकों के कस्टमर एप्लीकेशन फॉर्म (सीएएफ) जमा करना अनिवार्य है। इसके बाद उन उपभोक्ताओं के केबल कनेक्शन काट दिए जाएंगे जिन्होंने यह फॉर्म जमा नहीं कराया है। इस फॉर्म में व्यक्तिगत जानकारियां और पसंद के चैनलों की सूची मांगी गई है। टेलीकॉम नियामक ट्राई ने यह आदेश जारी किया है। केबल ऑपरेटरों के खिलाफ टेलीकॉम रेगुलटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) का  आरोप है कि वे मल्टी सिस्टम ऑपरेटरों (एमएसओ) को सेट टॉप बॉक्स सब्सक्राइबर की डिटेल्स नहीं दे रहे हैं। ये डिटेल्स केबल टीवी सर्विसेज के डिजिटाइजेशन में जवाबदेही तय करने के लिए जरूरी है। आरोप है कि केबल ऑपरेटर डिजिटल एड्रेसेबल केबल टीवी सिस्टम (डीएएस) लागू करने से संबंधित नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। डीएएस में सेट टॉप बॉक्स को सब्सक्राइबर के टीवी सेट के साथ कनेक्ट करना होता है। ट्राई ने कहा है कि डीएएस को सिलसिलेवार ढंग से लागू करने की कवायद के तहत जरूरी है कि केबल ऑपरेटर सब्सक्राइबर की सर्विस की चॉइस और बुके सहित उनके डिटेल मेंटेन करें, लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं। इन्हें एमएसओ के पास भी फॉरवर्ड नहीं किया जा रहा है, जबकि जवाबदेही तय करने के लिए ये डिटेल्स जरूरी हैं।

ट्राई के प्रमुख सलाहकार सुधीर गुप्ता ने कहा कि जो उपभोक्ता स्थानीय केबल ऑपरेटर या मल्टी सिस्टम ऑपरेटर (एमएसओ) को यह फॉर्म जमा नहीं कर पाएंगे उनका कनेक्शन बंद कर दिया जाएगा। फॉर्म जमा कराने के बाद ही उनका केबल प्रसारण शुरू होगा। ट्राई के चेयरमैन राहुल खुल्लर ने कहा कि यह कानून एक नवंबर, 2012 से ही लागू है। ग्राहकों को यह फॉर्म स्थानीय केबल ऑपरेटर के पास जमा करने हैं। ये ऑपरेटर इन फॉर्म को एमएसओ के पास जमा करेंगे। एमएसओ ने अब तक केबल ग्राहकों से नरमी बरतते हुए कनेक्शन बंद नहीं किए हैं। खुल्लर ने कहा कि एमएसओ पर शिकंजा कसने के हालात बन रहे हैं। ट्राई के पास और कोई विकल्प नहीं है। नियामक कानून के तहत स्थानीय केबल ऑपरेटरों और एमएसओ पर मुकदमे की तैयारी कर रहा है। कानून में एमएसओ के लिए ग्राहकों द्वारा भुगतान की गई रकम का बिल देने का प्रावधान है। ट्राई ने पिछले महीने एक नया प्रावधान भी जोड़ा है। इसके तहत केबल टीवी ग्राहकों को सेट टॉप बॉक्स लगवाने के लिए एकमुश्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। ग्राहकों को यह लाभ डिजिटल एड्रेसेबल केबल टीवी सिस्टम (डास) के तहत दिया जाएगा।

ट्राई ने मई 2012 में 'स्टैंडर्ड्स ऑफ क्वालिटी ऑफ सर्विसेज' तैयार किया था, जिसमें कंज्यूमर लेवल पर सर्विस की क्वालिटी दुरुस्त करने के लिए केबल टीवी कनेक्शन, डिस्कनेक्शन, ट्रांसफर, शिफ्टिंग, सब्सक्राइबर की शिकायत दर्ज करना और उसका निपटारा करना, सेट टॉप बॉक्स खरीदना, सप्लाई करना, चैनल की पोजीशन चेंज करना, बिल पेमेंट और केबल ऑपरेटरों और एमएसओ की जिम्मेदारी तय करना जैसी चीजें शामिल हैं। स्टैंडर्ड्स ऑफ क्वालिटी सर्विसेज के एक प्रोविजन के मुताबिक, केबल ऑपरेटरों के लिए कंज्यूमर इंफॉर्मेशन मुहैया कराना जरूरी है। ट्राई ने पहले फेज में चार मेट्रो में सेट टॉप बॉक्स लगाने में हुई प्रगति की समीक्षा में कहा था कि सभी लिंक्ड ऑपरेटर सीडेड और ऑपरेशनलाइज्ड सेट टॉप बॉक्स की कुल संख्या, सब्सक्राइबर की चॉइस, बुके जैसी जरूरी कंज्यूमर डिटेल नहीं दे रहे हैं।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​ की रिपोर्ट.

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