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जागरण में बंपर छंटनी (34) : धोखा देने वाले इस अखबार का सत्‍यानाश हो जाए

दैनिक जागरण, गोरखपुर में अच्‍छे लोगों को ही निकाल रहा है या उनको निकाल रहा है, जो किसी गुट के नहीं हैं और जागरण को ऊचांइयों पर पहुंचाने में अपनी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है. गोरखपुर यूनिट में मनोज तिवारी पिछले कई वर्षों से अखबार के पहले पन्‍ने को अपने खून-पसीने से सींचा है, वह गोल गिरोह से दूर रहने वालों में से हैं. उन्‍हें अखबार ने तब शिकार बनाया, जब उन्‍हें इसकी ज्‍यादा जरूरत थी. पहले उन्‍हें मुजफ्फरपुर जाने को कहा गया, बाद में कार्यालय बुलाकर इस्‍तीफा देने को मजबूर किया गया.

दैनिक जागरण, गोरखपुर में अच्‍छे लोगों को ही निकाल रहा है या उनको निकाल रहा है, जो किसी गुट के नहीं हैं और जागरण को ऊचांइयों पर पहुंचाने में अपनी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है. गोरखपुर यूनिट में मनोज तिवारी पिछले कई वर्षों से अखबार के पहले पन्‍ने को अपने खून-पसीने से सींचा है, वह गोल गिरोह से दूर रहने वालों में से हैं. उन्‍हें अखबार ने तब शिकार बनाया, जब उन्‍हें इसकी ज्‍यादा जरूरत थी. पहले उन्‍हें मुजफ्फरपुर जाने को कहा गया, बाद में कार्यालय बुलाकर इस्‍तीफा देने को मजबूर किया गया.

योगेश श्रीवास्‍तव संत सरीखे लोगों में हैं. अखबारी जगत में यदि कुछ लोगों पर विश्‍वास किया जा सकता है कि वह सबके हित में सोचता होगा और किसी की बुराई नहीं करता है तो वह श्रीवास्‍तव जी ही हैं. पर अखबार के अंदर के चंद दलालों ने इन्‍हें भी साजिश का शिकार बना दिया. पहले उनका तबादला जम्‍मू के लिए किया गया, जब उन्‍होंने अपनी परेशानी प्रबंधन को बताई तो प्रबंधन ने टका सा जवाब दे दिया कि इस्‍तीफा दे दो. वह अपने बीमार पिता की हालत को देखते हुए इस्‍तीफा देने को मजबूर हुए.

वीरेंद्र मिश्र दीपक और धर्मेंद्र पाण्‍डेय को अखबार के सौदागरों ने ऐसे दौर में आउट किया, जब उन्‍हें इसकी सबसे ज्‍यादा जरूरत थी. लाख मनुहार के बाद भी प्रबंधन कुछ सुनने का तैयार नहीं था, दोनों का तबादला दूसरे राज्‍यों में कर दिया गया. रुद्रपुर कार्यालय के प्रभारी एवं वरिष्‍ठ पत्रकार राज नारायण मिश्र के साथ भी ऐसा ही किया गया. राज नारायण को तत्‍कालीन संपादक शैलेंद्र मणि त्रिपाठी एवं प्रबंधक ओम प्रकाश जोशी ने यह कह कर भेजा था कि आप वहां अखबार स्‍थापित कर दो. मिश्र ने अखबार को स्‍थापित ही नहीं‍ किया बल्कि राजस्‍व व सर्कुलेशन भी बढ़ाया.

अखबार को जहां से दो लाख रुपये का विज्ञापन सालाना मिलता था वहां से बारह लाख रुपये सालाना राजस्‍व दिया. राजनारायण का जाना देवरिया के जिला प्रभारी की देन बताई जा रही है. तमाम शिकायतों के बाद भी जिला प्रभारी अखबार के दलालों के चहेते बने हुए हैं. बालमनी त्रिपाठी, जितेंद्र शुक्‍ल, डा. आरडी दीक्षित का जाना भी पत्रकारों को बहुत खल रहा है. दूसरे अखबारों के लोग भी दैनिक जागरण में अपने भाइयों के साथ हो रहे अन्‍याय से दुखी हैं. चाहकर भी कोई कुछ नहीं कर पा रहा है. अभी कई और लोग ठिकाने लगाए जाएंगे. सबके मन से जागरण के लिए यही बददुआ निकल रही है कि इस अखबार का सत्‍यानाश हो जाए.

एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.


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