Riyaz Hashmi : मन बेहद दुखी है और बहुत उदास भी। यकायक खबर मिली कि मेरे प्रिय पत्रकार साथी सत्येंद्र पांडेय नहीं रहे। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और इनके परिजनों को दुख की इस घड़ी को सहन करने की शक्ति प्रदान करें। 2010 की ही तो बात है, जब मेरा स्थानांतरण दैनिक जागरण देहरादून स्टेट ब्यूरो में हुआ था। सत्येंद्र भी स्टेट ब्यूरो में ही थे।
मैं देहरादून में नया था, लेकिन सत्येंद्र ने एक साथी नहीं, बल्कि बड़े भाई की तरह मुझे मान दिया। सचिवालय से लेकर विधानसभा तक तमाम अफसरों, नेताओं से मेरी मुलाकात कराई और एक हफ्ते में ही मजबूत नेटवर्क बनाने में मेरी मदद की। 2012 में दैनिक जागरण के यूपी ब्यूरो लखनऊ में सत्येंद्र का तबादला हुआ था और यहां से उन्हें इलाहाबाद उप-ब्यूरो में हरिशंकर मिश्र के साथ भेजा गया था।
मेरा छह महीने बाद ही 2011 के शुरू में देहरादून से मेरठ तबादला हो गया। इत्तेफाक से जिस दिन सत्येंद्र अपना सामान इलाहाबाद ले जा रहे थे तो मैं देहरादून में था। अनायास ही फोन मिलाया और सत्येंद्र के घर चला गया। इस मुलाकात के बाद हमारी फोन पर ही बातें हुईं। सात्विक जीवन व्यतीत करने वाले इस 37 साल के नौजवान की किडनी फेल होने से मौत हो गई। दिल मान नहीं रहा है, वही हंसता हुआ चेहरा… बार-बार आंखों के सामने घूम रहा है। तुम्हें भुलाया नहीं जा सकेगा सत्येंद्र, तुम याद आते रहोगे।
वेस्ट यूपी के वरिष्ठ पत्रकार रियाज हाशमी के फेसबुक वॉल से.