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उत्तराखंड सरकार पेड न्यूज के लिए हर माह खर्च करती है 45 लाख रुपये!

: तीन न्यूज चैनलों को मिलता है इसका लाभ : उत्तराखंड इन दिनों लोकायुक्त गठन के लिए विधेयक पारित किए जाने के कारण चर्चा में है. भ्रष्टाचारी निशंक को हटाकर खंडूरी को भाजपा ने जो ताज पहनाया तो उस उम्मीद-भरोसा को निभाते हुए दिख रहे हैं खंडूरी. इसी कवायद के तहत लोकायुक्त गठन का विधेयक पारित कराया. पर कहने वाले कहते हैं कि ये सारी कवायद जन समर्थन प्राप्त टीम अन्ना को लुभाने, उत्तराखंड के चुनाव में भाजपा की नैया पार कराने और सेंटर में कांग्रेस को चैलेंज देने की रणनीति के तहत किया-कराया जा रहा है. इसके पीछे भ्रष्टाचार को खत्म करने की इमानदार मंशा कतई नहीं है.

: तीन न्यूज चैनलों को मिलता है इसका लाभ : उत्तराखंड इन दिनों लोकायुक्त गठन के लिए विधेयक पारित किए जाने के कारण चर्चा में है. भ्रष्टाचारी निशंक को हटाकर खंडूरी को भाजपा ने जो ताज पहनाया तो उस उम्मीद-भरोसा को निभाते हुए दिख रहे हैं खंडूरी. इसी कवायद के तहत लोकायुक्त गठन का विधेयक पारित कराया. पर कहने वाले कहते हैं कि ये सारी कवायद जन समर्थन प्राप्त टीम अन्ना को लुभाने, उत्तराखंड के चुनाव में भाजपा की नैया पार कराने और सेंटर में कांग्रेस को चैलेंज देने की रणनीति के तहत किया-कराया जा रहा है. इसके पीछे भ्रष्टाचार को खत्म करने की इमानदार मंशा कतई नहीं है.

खंडूरी की पोल खोलने के लिए यही बस काफी है कि उन्होंने सीएम की कुर्सी संभालने के बाद अभी तक पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री के कार्यकाल में हुए घपले-घोटाले के एक भी दोषी को जेल के अंदर नहीं डलवाया. अगर निशंक के कार्यकाल में भ्रष्टाचार हुआ और उसी कारण निशंक को हटाया गया तो खंडूरी ने भ्रष्टाचारियों को बख्श क्यों रखा है? दूसरे, खुद खंडूरी अपने पहले कार्यकाल में भ्रष्टाचार के कई आरोपों से घिरे रहे हैं. उन आरोपियों के खिलाफ भी कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई. तीसरा, एक मजेदार प्रकरण सामने आया है. उत्तराखंड सरकार तीन न्यूज चैनलों को हर माह पंद्रह पंद्रह लाख रुपये प्रदान करती है. ये चैनल हैं, ईटीवी, सहारा समय और टीवी100. ये तीनों रीजनल न्यूज चैनल उत्तराखंड की खबरें दिन-रात दिखाते रहते हैं. इन तीनों को प्रतिदिन दस पंद्रह मिनट उत्तराखंड सरकार का गुणगान करने के एवज में पचास हजार रुपये रोजाना के हिसाब से दिए जाते हैं. इस तरह प्रत्येक चैनल महीने में पंद्रह लाख रुपये पाता है. तीन चैनलों के हिसाब से बैठते हैं 45 लाख रुपये. सूत्रों का कहना है कि यह व्यवस्था निशंक के काल से चली आ रही है. मीडिया को मैनेज करने में उस्ताद निशंक ने हर चैनल व अखबार से किसी न किसी रूप में सौदा किया था. किसी के संपादक को पटाया, किसी के प्रबंधन को मनाया, किसी को विज्ञापन देकर मुंह बंद किया, किसी को डरा-धमका कर लाइन पर लाने की कोशिश की. इसी क्रम में इन तीन चैनलों को सरकार का गुणगान करती हुई खबरें दिखाने के एवज में हर रोज पचास हजार रुपये देने का समझौता हुआ. खंडूरी के आ जाने के बाद भी यह नियम जारी है क्योंकि खंडूरी को भी तो मीडिया के प्रचार की जरूरत है. राज्य में लोकायुक्त विधेयक पारित कराकर खंडूरी और भाजपा भले ही ज्यादा नंबर बटोरने की फिराक में है पर पार्टी व सरकार में बैठे भ्रष्टाचारियों की करतूत आखिरकार सब किए धरे पर पानी फेरने के लिए पर्याप्त है.

खंडूरी के पिछले शासनकाल और इस राज में हो रहे घटनाक्रमों पर अगर आपकी तीखी नजर रही हो और कुछ नया बताना-सुनाना चाहते हैं तो भड़ास4मीडिया पर आपका स्वागत है. आप अपनी बात [email protected] के जरिए हम तक पहुंचा सकते हैं.

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