रोज नए-नए चैनल खुल रहे हैं. चार लोग मिलकर कहीं से एक आसामी पकड़ लिया. उन्हें सब्ज बाग दिखाए और खोल लिया एक चैनल. कुछ लोग तो इस खेल में बन जाते हैं पर इन सब के बीच नुकसान पत्रकारों का हो रहा है. ऐसा ही एक चैनल खुलने जा रहा है 4रियल न्यूज. इस चैनल में ऐसी अराजकता है कि यह पत्रकारों का संस्थान ना होकर मजदूरों का संस्थान बन गया है. चैनल में बारह-बारह घंटे की शिफ्ट, पिक अप-ड्रापिंग की कोई सुविधा नहीं और थोड़ी देर लेट हुए तो आधे दिन की सेलरी खतम. अब ताजा खबर है कि न्यूज हेड पत्रकारों की पीटने की धमकी दे रहा है.
इस महीने की 29 तारीख को 4रियल न्यूज को लांच करने की योजना है. काफी समय से चैनल में लांचिंग की तैयारियां चल रही हैं. तीन दिन पहले चैनल में न्यूज हेड के रूप में ज्ञानेंद्र बरतरिया ने ज्वाइन किया है. कल ये मीटिंग ले रहे थे और पत्रकारों को सलाह-सुझाव दे रहे थे. फिर अचानक इन्हें क्या सूझा, अचानक बोल पड़े कि जो लोग मेरे लीक से हटकर चलेंगे, उनको पीटूंगा, और सभी लोग सुन लोग, इसके पहले के संस्थानों में भी मेरा रिकार्ड रहा है पीटने का.
न्यूज हेड की इस घोषणा के बाद से ही पत्रकार नाराज हैं, पर नाराज होकर भी कर क्या सकते हैं. बस चाय-पान की दुकानों पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं.
इस चैनल की खूबी यह है कि यह चैनल कम है, फैक्टरी ज्यादा लगता है. अगर आप किसी भी रोज निर्धारित समय से बीस से तीस मिनट लेट हो गए तो आपकी आधी सेलरी काट ली जाएगी, भले ही इस आधे घंटे की भरपाई आप दो घंटे और रुककर कर दें. लांचिंग से पहले ही चैनल में साफ सफाई का अभाव तो है ही, मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं. बंधुआ मजदूरों की तरह सिर्फ दो बार आप बाहर निकल सकते हैं. वो भी खाने और नाश्ता करने के लिए. पिछले दिनों तो पत्रकारों का मोबाइल फोन भी अंदर लेकर जाना मना हो गया था. फोन रिसेप्शनिष्ट के पास ही जमा करना था. अब एक पत्रकार के लिए मोबाइल फोन की आश्यकता कितनी है, इसे बताने की जरूरत नहीं है. हालांकि कुछ लोगों की नाराजगी के बाद प्रबंधन ने अपना बेसिर पैर का ये फरमान वापस ले लिया.
अब खबर है कि शिफ्ट बारह घंटे का कर दिया गया है. इस अजीबो-गरीब चैनल में नाइट शिफ्ट करने का समय भी अजीब है. अन्य चैनलों में नाइट शिफ्ट दस बजे से लेकर बारह बजे से शुरू होता है वहीं इस चैनल में नाइट शिफ्ट शाम को छह बजे से लेकर रात को रात को दो बजे तक होता है. अब दो बजे आपको घर जाना हो तो आपकी मर्जी नहीं तो पड़े रहिए सुबह होने के इंतजार में. अगर नाइट शिफ्ट दो बजे रात खतम करके घर जाने में आपको कुछ हो जाता है तो इसमें चैनल की कोई जिम्मेदारी नहीं है. कर्मियों को रात में लाने के लिए ना तो पिक अप है और ना ही छोड़ने के लिए ड्रापिंग. अब इन सब के बाद पीटे जाने की धमकी. गजब का अराजकता है इस चैनल में.
इस संदर्भ में जब चैनल के सीईओ यश मेहता से बात की गई तो उन्होंने इस तरह की किसी भी बात से इनकार कर दिया. उन्होंने पत्रकारों की सुविधाओं के सवाल पर कहा कि यहां पत्रकारों को सारी सुविधाएं दी जाती हैं. हम पत्रकारों को अपने परिवार के सदस्य जैसा ट्रीट करते हैं. न्यूज हेड द्वारा पीटे जाने वाली बात पर उनका कहना था कि लांचिंग को लेकर मीटिंग हो रही थी, मैं भी वहां मौजूद था, इस तरह की कोई बात नहीं हुई. किसी शरारती तत्व ने इस तरह की बातें फैलाई है.