मुम्बई। भारतीय पाठक सर्वेक्षण (आईआरएस) की मुम्बई में जारी ताजा सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक पत्रिका समूह एक करोड़ 87 लाख 62 हजार कुल पाठक संख्या के साथ हिन्दी के पहले 5 समाचार पत्रों में अपना स्थान कायम किए हुए है। राजस्थान पत्रिका लगातार राजस्थान का सिरमौर तो बना हुआ ही है, उसी की पत्रिका ने पिछली तिमाही में 3.69 लाख कुल नए पाठक जोड़ते हुए मध्यप्रदेश में सर्वाधिक तेज बढ़त वाले अखबार का गौरव बरकरार रखा है।
इस तिमाही के आंकड़ों में राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, तमिलनाडु व पश्चिम बंगाल में प्रकाशित राजस्थान पत्रिका और मध्यप्रदेश में प्रकाशित पत्रिका की औसत पाठक संख्या को मिलाने पर समूह देश के किसी भी भाषा के शीर्ष दस समाचार पत्रों में छठे नम्बर पर आ गया है। इन आंकड़ों में पत्रिका के मध्यप्रदेश के आंशिक आंकड़े शामिल है, जबकि पिछले साल ही शुरू किए गए छत्तीसगढ़ में पत्रिका के संस्करणों को शामिल नहीं किया गया है।
मध्यप्रदेश में तेज रफ्तार : पत्रिका ने धमाका मध्यप्रदेश में किया है। करीब तीन वर्ष पहले भोपाल से पहला संस्करण शुरू कर समूचे मध्यप्रदेश पर छाए पत्रिका ने वर्ष 2011 की तीसरी तिमाही में वहां 3.69 लाख कुल नए पाठक जोड़े हैं। यह संख्या वहां के अन्य समाचार पत्रों (दैनिक भास्कर, राज एक्सप्रेस, नई दुनिया, दैनिक जागरण, हरिभूमि, नवदुनिया व नवभारत) की कुल पाठक संख्या की बढ़त के समग्र जोड़ 95 हजार से भी कई गुना अधिक है। इस तरह से पत्रिका मध्यप्रदेश में भी बढ़त की सर्वाधिक रफ्तार वाला अखबार बना हुआ है। पत्रिका ने गत वर्ष छत्तीसगढ़ में भी प्रवेश कर पाठकों का जबर्दस्त विश्वास अर्जित किया है।
मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में अल्प समय में ही पत्रिका को पाठकों का जो स्नेह मिला है वह पाठकों का पत्रिका की निर्भीक लेखनी पर भरोसा दर्शाता है। वहां पत्रिका ने हर मुद्दे पर जनता की आवाज उठाई तथा पीडितों को राहत दिलाने का काम किया। आईआरएस के इस सर्वे की विशेष बात यह है कि पत्रिका ने मध्यप्रदेश में अभी तक छाए एकाधिकार को जबर्दस्त तरीके से ध्वस्त कर दिया है। पत्रिका मध्यप्रदेश के प्रथम दो समाचार पत्रों में अपनी जगह बना चुकी है। सम्पूर्ण मध्यप्रदेश एवं इसके चार बड़े शहर, भोपाल, इन्दौर, जबलपुर व ग्वालियर में पत्रिका ने प्रतिद्वंद्वी के एकाधिकार को ध्वस्त करते हुए न केवल पाठकों के लिए विकल्प तैयार किया है बल्कि पूर्व में एकाधिकार वाले समाचार पत्र के लगभग पचास हजार कुल पाठक भी कम हुए हैं।
मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी इन्दौर में जहां पत्रिका ने सैंतीस हजार नए पाठक जोड़े हैं वहीं पूर्व में एकाधिकार वाले समाचार पत्र से लगभग 26 हजार पाठकों ने उससे मुंह मोड़ लिया है। इस सर्वे के मुताबिक पत्रिका ने इन्दौर के पहले दो समाचार पत्रों में जगह बनाई है वहीं मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भी 31 हजार नए पाठक जोड़ कर पाठकों के सामने एक मजबूत और प्रभावी विकल्प के रूप में उभर कर सामने आई है। जबलपुर व ग्वालियर में भी पत्रिका प्रथम दो समाचार पत्र में स्थान बनाने के साथ एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरा है। उल्लेखनीय है कि ऑडिट ब्यूरो आफ सर्कुलेशन की रिपोर्ट (जनवरी-जून 2011) के अनुसार पत्रिका भोपाल व इन्दौर जैसे प्रमुख शहरों में नम्बर वन है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि कितनी तेजी से मध्यप्रदेश के पाठक पुराने अखबार से नाता तोड़ कर पत्रिका से जुड़ रहे हैं।
राजस्थान में फिर अव्वल : अपनी विश्वसनीय खबरों के लिए देशभर में पहचान रखने वाले राजस्थान पत्रिका को इस रिपोर्ट में एक बार फिर राजस्थान का सिरमौर घोषित किया गया है। जयपुर संस्करण में पत्रिका समूह की कुल पाठक संख्या 39.28 लाख हैं जो किसी भी हिन्दी दैनिक अखबार समूह की सर्वाधिक पाठक संख्या है। प्रदेश के कुल हिन्दी पाठकों में से लगभग 84 प्रतिशत राजस्थान पत्रिका पढ़ते हैं। अल्प समय में ही अपनी कलम की पैनी धार और समाजिक सरोकरों के दम पर पत्रिका समूह ने राजस्थान के साथ ही मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पाठकों के दिल में अलग स्थान बनाया है। पाठकों के स्नेह और विश्वास के दम पर अर्जित यह सफलता हम अपने पाठकों को ही समर्पित करते हैं। साभार : पत्रिका