: सीनियर अपने लोगों को बचाने में दूसरों की ले रहे हैं बलि : दैनिक जागरण में छंटनी का क्रम जारी है. कई यूनिटों से छंटनी किए जाने और इस्तीफा मांगे जाने के बाद अब नोएडा से भी कर्मचारियों को बाहर करने का क्रम जारी हो गया है. हालांकि इसके लिए कोई क्राइटिरिया तय नहीं किया गया है. संस्थान में जिनके माई-बाप नहीं हैं उनको एक झटके में बाहर करने की कवायद की जा रही है. बताया जा रहा है कि अब तक नोएडा से पीटीएस और एडिटोरियल से आठ से ज्यादा लोगों को हटाया जा चुका है. आज भी कुछ लोगों से इस्तीफा मांगे जाने की संभावनाएं हैं.
सूत्रों का कहना है कि धीरे-धीरे करके 20 प्रतिशत तक लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा. जिन लोगों को बाहर किया गया है उनमें पीटीएस से दो, ग्राफिक्स से दो तथा एडिटोरियल चार लोगों को बाहर कर दिया गया है. इनमें एक रिपोर्टर भी शामिल है. उल्लेखनीय है कि पहले जागरण प्रबंधन ने कहा था कि जो लोग स्क्रीनिंग टेस्ट में पास नहीं होंगे उन्हें ही बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा, परन्तु इस छंटनी में पास हुए लोगों को भी बाहर करने की कवायद की जा रही है. बताया जा रहा है कि आज भी कुछ लोगों से इस्तीफा मांगे जाने की संभावना है. ये क्रम 31 मई तक लगातार चलेगा.
सूत्र बताते हैं कि स्क्रीनिंग टेस्ट में पहले 30 तथा बाद में 45 फीसदी अंक पाने वालों को पास घोषित करने की बात की गई थी, परन्तु अब प्रबंधन पास हो चुके लोगों को भी किनारे लगा रहा है. ये ऐसे लोग हैं, जिनका संस्थान में कोई आका या माई-बाप नहीं हैं. जातिगत आधार पर भी अपने लोगों को बचाने की कवायद की जा रही है. एनई किशोर के बारे में बताया जा रहा है कि वे अपने लोगों को बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. किशोर के नजदीकी एवं सब एडिटर वाईएन झा भी स्क्रीनिंग टेस्ट में फेल हो गए हैं. उन्हें मात्र 24 नम्बर मिले हैं इसके बाद भी उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है. जबकि ऐसे लोगों के बदले पास हो चुके लोगों को नकारा बताकर निकाला जा रहा है.
संभव है कि प्रबंधन को अंधेर में रखकर कई पास हुए लोगों को भी बाहर कर दिया जाए तथा फेल हुए अपने लोगों को बचा लिया जाए. वैसे भी जागरण में कोई लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं है. अगर आपको निकाला जाना है तो बस निकाला जाना है, आपकी कोई बात नहीं सुनी जाएगी, भले ही आप सही हों या गलत. छंटनी में भी ऐसा ही किया जा रहा है. ज्यादातर वरिष्ठ और खासकर पचास की उम्र पार के लोगों को निशाने पर लिया जा रहा है, जिन्हें दूसरी जगहों पर नौकरी मिलना भी मुश्किल है. प्रबंधन के ऐसे काम से यूनिटों में असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा है तथा वरिष्ठ पत्रकार अब कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
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