: शिवपाल ने कहा – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पत्रकारों के विवेक पर निर्भर : लखनऊ। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मसले को पूरी तरह से पत्रकारों के विवेक पर छोड़ते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माण व सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव ने कहा कि अभिव्यक्ति के मामले में पत्रकारों को राष्ट्र व समाज के हित को सबसे उपर रखना होगा। श्री यादव उत्तर प्रदेश प्रेस क्लब में जाने माने पत्रकार, संपादक व सांसद के रामाराव की 50 वीं पुण्यतिथि व वरिष्ठ पत्रकार के विक्रम राव की चौथी पुस्तक एक पत्रकार की राजनैतिक विचार यात्रा के विमोचन के मौके पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निर्बाध या नियंत्रित विषय पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे।
शिवपाल यादव ने कहा कि आज पत्रकारिता के सामने बड़ी चुनौतियां हैं और पत्रकार इन्हें बखूबी स्वीकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनेता अपनी जुबान से राजनीति करता है पर पत्रकार कलम से राजनीति करता है। उनका कहना था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश नही होना चाहिए पर इसे स्वच्छंद भी नही होना चाहिए। उनका कहना था कि पत्रकार अपने विवेक का इस्तेमाल कर अभिव्यक्ति को निर्बाध व नियंत्रित दोनों कर सकते हैं।
सेमिनार में बोलते हुए जाने माने साहित्यकार व आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर गिरिराज किशोर ने हिन्दी सहित अन्य भारतीय भाषाओं पर मंडराते खतरे पर चिंता जतायी। उन्होंने हिन्दी के अखबारों में प्रयोग की जाने वाली भाषा पर भी सवाल उठाए और कहा कि जिस तरह से अंग्रेजी भाषा की घुसपैठ बढ़ती जा रही उसने पूरी हिन्दी भाषा को संकर बना दिया है। उनका कहना था पहले अखबारों में विचार व समाचार होते थे, पर आज के अखबार केवल सूचना देने का काम कर रहे हैं। गिरिराज किशोर ने कहा कि बाजारवाद भाषा व साहित्य पर हावी हो गया है। आज अखबार परिवर्तन की बात नहीं करते हैं।
जनसत्ता के संपादक ओम थानवी ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यह जानने की जरूरत है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खतरा किससे है। उन्होंने कहा कि भाषा पत्रकार को बनाती है और अभिव्यक्ति को खतरा खराब भाषा से भी है। सूचना या जानकारी देना भर ही पत्रकारिता नहीं है बल्कि समझ के दायरे को बढ़ाना भी इसका काम है। उनका कहना था कि सच्चे पत्रकार को समझ को समाज के साथ साझा करना होगा। ओम थानवी का कहना था कि आज पत्रकारिता से विचार का लोप हो रहा है। टीवी चैनलों पर खबरों को छोड़कर सब कुछ दिखाया जा रहा है। उन्होंने बड़े कारपोरेट घरानों के मीडिया के क्षेत्र में घुसपैठ पर भी चिंता जतायी।
हिन्दी दैनिक कैनविज टाइम्स के संपादक प्रभात रंजन दीन ने आत्मावलोकन की जरुरत पर जोर देते हुए कहा कि पत्रकारों को इसकी वास्तविक जरुरत है। भाषा व विचार के मामले में लचीलेपन की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी भाषा तब विशाल होती है जब व अन्य भाषाओं के ज्यादा से ज्यादा शब्दों को अपने में आत्मसात कर लेती है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान में जो कि उधार का है मूल अधिकारों की बात पहले कही गयी है जबकि मौलिक कर्तव्य की बात बाद में आती है।
सेमिनार में नवनीत मिश्रा, अनिल सिंह, पूर्व डीजीपी एमसी दि्वेदी, अल्पना बाजपेयी, प्रीति चौधरी, स्वरुप कुमारी बख्शी व समाजवादी प्रबुद्ध सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्रा, मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के महासचिव सिद्धार्थ कलहंस ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डा. योगेश मिश्रा ने किया। अंत में उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।