नई दिल्ली : सहारा ग्रुप का कहना है कि सेबी द्वारा उसके द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार उसकी वास्तविक देनदारी किसी भी तरह 5120 करोड़ रुपए से अधिक नहीं बनती और यह राशि पहले ही सेबी के पास जमा करवा दी गई है। जहां तक सेबी के पास माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार किस्तें जमा करवाने का सवाल है, सहारा ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अंतरिम आवेदन दायर करके बकाया किस्तें जमा करवाने के स्थान पर किसी भरोसेमंद वित्तीय संस्थान की ओर से सिक्योरिटी प्रस्तुत करने की अनुमति मांगी है।
सहारा समूह द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया कि यह पहले ही काफी संख्या में ओ.एफ.सी.डी. धारकों को अदायगी कर चुका है इसलिए सेबी के आदेशानुसार नई अदायगियां करने से कई लोगों को दोहरा भुगतान हो जाएगा। इसमें कहा गया है कि कम्पनी का अंतरिम आवेदन सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और इस पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है। सहारा ने कहा कि सेबी के आज के आदेश के अनुसार इसकी सम्पत्ति कुर्क करने का फैसला पुराने तथ्यों पर आधारित है और यह जनवरी 2012 की आस्तियों के विवरण के अनुरूप है।
सहारा द्वारा समय-समय पर की गई अदायगियों के परिणामस्वरूप तथ्य बदल चुके हैं लेकिन सेबी ने इनसे विदित होते हुए भी अपने आदेश में इनका संज्ञान नहीं लिया। कंपनी ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि वह अपने निवेशकों के हितों के लिए सचमुच में चिंतित है, लेकिन फिर भी उसके विरुद्ध कार्रवाई हो रही है, जबकि गोल्डन फारैस्ट कम्पनी के विरुद्ध 2004 में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था और आज तक उसने एक पैसा भी अपने निवेशकों को अदा नहीं किया।