: 450 एकड़ जमीन के विवरण भी कब्जे में लिया : नई दिल्ली : बाजार नियामक सेबी ने सहारा समूह के संस्थापकों के अब तक 52 करोड़ रुपए के नकद और कुल निवेश व 450 एकड़ जमीन के विवरण को कब्जे में लेने सफल रहा है। सहारा की दो कंपनियों को बांडधारकों का 24,000 करोड़ रुपये से अधिक धन वापस लौटाना है। न्यायालय के आदेश के तहत सहारा द्वारा समय से पैसा न जमा कराये जाने पर सेबी ने फरवरी में विभिन्न संपत्तियों एवं खातों पर रोक लगाने के लिए कुर्की और खातों की जब्ती के आदेश पारित किए थे।
सूत्रों ने बताया कि कुर्की के तहत विभिन्न बैंकों में जमा कुल 23 करोड़ रुपये जब्त किए जा चुके हैं। इस राशि को फिलहाल सावधि जमाओं में लगा दिया गया है। सेबी ने म्यूचुअल फंडों एवं डीमैट खातों में किए एक करीब 28 करोड़ रुपये के विभिन्न निवेशों को भी कुर्क किया है। सेबी ने कुर्की के आदेशों को पारित करने के बाद सभी बैंकों, डिपाजिटरियों, म्यूचुअल फंडों और एनबीएफसी सहित अन्य इकाइयों को इस कार्रवाई के बारे में सूचित कर दिया था। पूंजी बाजार नियामक ने रिजर्व बैंक से भी अनुरोध किया था कि वह वाणिज्यिक बैंकों के प्रमुखों सहारा समूह से संबंधित खातों के धन को सेबी के एक निर्धारित खाते में हस्तांतरित करने का निर्देश दें।
सेबी ने 600 जिलों के जिलाधिकारियों से भी संपर्क कर उन्हें सहारा से संबद्ध कंपनियों और लोगों को सेबी द्वारा कुर्क की गयी अचल संपत्तियों की बिक्री या हस्तांतरण करने की अनुमति नहीं देने को कहा था। सूत्रों ने बताया कि इसके परिणाम स्वरूप देश के विभिन्न हिस्सों से जिलाधिकारियों एवं राजस्व अधिकारियों ने सहारा से संबद्ध 450 एकड़ से अधिक भूमि के ब्यौरे सेबी को उपलब्ध कराए हैं।
सेबी ने उच्चतम न्यायालय से सहारा की कुर्क सम्पत्तियों की बिक्री पर आपत्तियों एवं दावों के निपटरे के लिए एक विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) की नियुक्ति की अनुमति मांगी है। सेबी निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए इन सम्पत्तियों की बिक्री करने वाला है। सहारा ने रिफंड के उद्देश्य से सेबी के पास अभी तक 5,120 करोड़ रुपये जमा कराए हैं। उसका दावा है कि बांडधारकों की देनदारियों को पूरा करने के लिए यह राशि जरूरत से अधिक है। समूह का यह भी दावा है कि वह करीब 20,000 करोड़ रुपये का भुगतान निवेशकों को सीधे कर चुका है।
उल्लेखनीय है कि सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कारपोरेशन लिमिटेड और सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कार्प लिमिटेड द्वारा कुछ निश्चित बांडों के निर्गम के जरिए करीब 3 करोड़ निवेशकों से यह धन जुटाया गया था। हालांकि, उच्चतम न्यायालय के समक्ष सेबी द्वारा इन दावों पर सवाल खड़े किए गए हैं। न्यायालय द्वारा इस मामले की सुनवाई अगले महीने दोबारा शुरू किए जाने की संभावना है। इस बीच, सेबी ने सही निवेशकों की पहचान और रिफंड के दावों की विश्वसनीयता की जांच के बाद पैसा लौटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सूत्रों ने कहा कि सहारा द्वारा निवेशकों के संबंध में जमा किए गए दस्तावेजों की वास्तविकता की जांच करने के लिए सेबी द्वारा कराए गए एक प्रायोगिक अध्ययन में हालांकि पाया गया कि 99 प्रतिशत बांडधारकों का अता-पता नहीं है। इस अध्ययन में 21,000 बांडधारकों के नाम धन वापसी के दावे आमंत्रित करने हेतु नोटिस जारी किए गए थे। सेबी को जवाब में 300 से भी कम दावे प्राप्त हुए और 7,000 नोटिस वापस लौट आए तथा 13,000 से अधिक नोटिसों का जवाब नहीं आया। सेबी इन मामलों को आगे जांच के लिए सहारा को प्रेषित करेगा। (एजेंसी)