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हमारी मुखालफत करने के एजेंडे के साथ 6-7 चैनल और आने वाले हैं – केजरीवाल

अन्ना की जान से खेलने के आरोपों पर भावुक हुए अरविंद कहते हैं कि जो लोग अनर्गल आरोप लगा रहे हैं उनके उद्देश्य पर तो मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि अन्ना के लिए अगर सौ बार जीवन कुर्बान करना पड़ा तब भी मैं करूंगा। जनलोकपाल के लिए आंदोलन कर राष्‍ट्रीय पहचान हासिल करने वाले अरविंद केजरीवाल अब स्वराज की बात करते हैं। राजनीति में आने के बाद से ही उनका तरीका और तेवर दोनों बदल गए हैं। वह कहते हैं, 'अभी हमारा उद्देश्य दिल्ली में बहुमत हासिल कर सरकार बनाना है। दिल्ली में कामयाबी के बाद ही हम देश के बाकी हिस्सों में चुनाव लड़ेंगे।' 

अन्ना की जान से खेलने के आरोपों पर भावुक हुए अरविंद कहते हैं कि जो लोग अनर्गल आरोप लगा रहे हैं उनके उद्देश्य पर तो मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि अन्ना के लिए अगर सौ बार जीवन कुर्बान करना पड़ा तब भी मैं करूंगा। जनलोकपाल के लिए आंदोलन कर राष्‍ट्रीय पहचान हासिल करने वाले अरविंद केजरीवाल अब स्वराज की बात करते हैं। राजनीति में आने के बाद से ही उनका तरीका और तेवर दोनों बदल गए हैं। वह कहते हैं, 'अभी हमारा उद्देश्य दिल्ली में बहुमत हासिल कर सरकार बनाना है। दिल्ली में कामयाबी के बाद ही हम देश के बाकी हिस्सों में चुनाव लड़ेंगे।' 

अरविंद कहते हैं, 'हम 1 मार्च से जनता से आवेदन लेना शुरू करेंगे। लोग स्वयं की उम्मीदवारी के लिए आवेदन कर सकेंगे। साथ ही दूसरों की उम्मीदवारी के लिए सिफारिश कर सकेंगे। इसके बाद हम शिक्षा, चरित्र और सक्रियता के आधार पर उम्मीदवारों का चुनाव करेंगे। हमें विश्वास है कि मई-जून में हम दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर देंगे।' वह कहते हैं, 'हमारे पास फंड नहीं है। हमारा समर्थन करना जनता की जरूरत है क्योंकि हम जनता की ताकत बनने के लिए ही चुनाव में आ रहे हैं।'
 
राजनीतिक पार्टियों के चुनावी खर्च पर सवाल उठाते हुए अरविंद कहते हैं, 'हम व्यवस्था परिवर्तित कर रहे हैं। हमें मिलने वाले तमाम तरह के फंड और हमारे सभी खर्चों की जानकारी हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगी। बाकी पार्टियां ऐसा नहीं करती हैं। वे तो चुनाव आयोग तक को चंदे की जानकारी देने से बचती हैं।' दिल्ली में अपनी जनसभाओं को व्यापक मीडिया कवरेज न मिलने से केजरीवाल अपनी नाराजगी छुपा नहीं पाते हैं। वह कहते हैं, 'यदि मीडिया ने समर्थन न किया होता तो आंदोलन का संदेश कभी भी जन-जन तक नहीं पहुंचा होता। लेकिन जब से हमने राजनीतिक पार्टी बनाई है तब से पत्रकार तटस्थ होने का तर्क देते हैं। जबकि जो ईमानदार पत्रकार हैं उन्हें तटस्थता छोड़कर हमारा पक्ष लेना चाहिए क्योंकि ईमानदारी का सहयोग और समर्थन करना ही उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।'
 
मीडिया की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए अरविंद आगे कहते हैं, 'एक चैनल इस समय हमारी मुखालफत करने के एजेंडे के साथ ही रीलांच हुआ है। हमें खबर मिली है कि 6-7 और इस तरह के चैनल आने वाले हैं। जिस स्तर पर हमारी मुखालफत की जा रही है उससे जाहिर है कि हम स्थापित राजनीतिक दलों के लिए बड़ा खतरा बन गए हैं।' आप पार्टी का चैनल आने की खबरों को अरविंद पूरी तरह दरकिनार करते हुए कहते हैं, 'चैनल शुरू करने के लिए कम से कम 100 करोड़ रुपये चाहिए। न हमारे पास इतना पैसा है और नही हम चाहते हैं कि कभी हमारे पास इतना पैसा हो। हमने इंटरनेट के माध्यम से फ्री चैनल शुरू करने की बात की थी, जिस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। हमारे बहुत से वीडियो अभी भी इंटरनेट पर लाइव होते हैं।'
 
अरविंद केजरीवाल से जब पूछा गया कि क्या वह दिल्ली की सीएम शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे तो उन्होंने कहा कि सिर्फ सीएम को हराना तो घमंड का प्रदर्शन होगा, हम तो सरकार को हराना चाहते हैं। यह मायने नहीं रखता कि सीएम को कौन हराएगा। दिल्ली में जो माहौल है उसमें तो एक आम आदमी ही सीएम को हरा देगा। अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने अभी खुद को दिल्ली तक ही सीमित कर लिया है। राजनीतिक विस्तार पर अरविंद कहते हैं, 'अभी हम दिल्ली जीतकर यहां आम जनता की सरकार स्थापित करना चाहते हैं। उसके बाद ही हम अन्य राज्यों के चुनावों में जाएंगे। लेकिन हमारी पार्टी लोकसभा में देश की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी।'
 
अरविंद पर अक्‍सर सवाल उठाया जाता है कि वह तानाशाह हैं। इस बारे में वह कहते हैं, 'आप उन लोगों की राय तो प्रकाशित करते हैं जो हमें छोड़कर चले गए। उनके पास मुझे तानाशाह कहने के हो सकता है कारण हों, लेकिन मैं तानाशाह हूं या नहीं इसका जबाव आपको उन लोगों से भी लेना चाहिए जो लंबे वक्त से मेरे साथ काम कर रहे हैं और जो लोग लगातार हमारे साथ जुड़ते जा रहे हैं। मैंने कभी भी अपना कोई भी फैसला अपनी पार्टी के लोगों पर नहीं थोपा है। हमारी पार्टी में हमेशा फैसले सर्वसम्मति से लिए गए हैं और लिए जाएंगे।'
 
अपनी टीम के सदस्यों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों और आंतरिक लोकपाल की कोई भी जांच रिपोर्ट न आने पर अरविंद कहते हैं, 'मैं स्वीकार करता हूं कि हमारे आंतरिक लोकपाल के लिए बनाए गए नियम कुछ कठिन है। उनमें ढील की जरूरत है। आंतरिक लोकपाल की जांच के लिए लिखित शिकायत होना जरूरी है। अभी तक हमारे लोकपाल के पास एक भी लिखित शिकायत नहीं आई है। जैसे ही कोई भी शिकायत आएगी, लोकपाल एक महीने के भीतर जांच करके अपनी रिपोर्ट देगा। यदि किसी आपात मामले में शिकायत आती है तो लोकपाल एक हफ्ते में जांच करके अपनी रिपोर्ट देगा। हम लोकपाल की रिपोर्ट पर तुरंत कार्रवाई करेंगे। हमारी कोशिश यह भी है कि लिखित शिकायत की बाध्यता के नियम को बदला जाए।'
 
राजनीति में आने के फैसले को याद करते हुए अरविंद कहते हैं, 'हमने राजनीति को हमेशा कीचड़ कहा और अब हम इस कीचड़ को साफ करने की ही कोशिश कर रहे हैं। मैं मानता हूं कि राजनीति में आने का फैसला गलत वक्त पर हुआ। उस दिन हम अनशन स्थल पर बने कमरे में लेटे थे। बाहर अन्ना भाषण दे रहे थे। अन्ना ने ही हमारे राजनीति में आने की घोषणा की। शुरू में हम भी अन्ना की घोषणा से चौंक गए थे। लेकिन अब हम पूरी तरह राजनीति में उतर आए हैं। लेकिन हमारी पार्टी भी जनता का एक आंदोलन ही है।'
 
अरविंद केजरीवाल की पार्टी का अभी झंडा और एजेंडा स्पष्ट नहीं है। उनके समर्थक अभी भी तिरंगे का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। एजेंडे के बारे में अरविंद कहते हैं, 'हम महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे। बाकी पार्टियां भी इसी मुद्दे पर चुनाव लड़ती रही हैं। लेकिन हम सिर्फ इस मुद्दे की बात नहीं करेंगे बल्कि इन मुद्दों को ही खत्म कर देंगे।' अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल के रास्ते अलग हुए अरसा बीत गया है। दोनों के मुद्दे भी अलग हो गए हैं। अरविंद केजरीवाल के लिए अब जनलोकपाल से बड़ा मुद्दा स्वराज है तो अन्ना हजारे अभी भी जनलोकपाल के लिए ही संघर्ष कर रहे हैं। (भास्‍कर)

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