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‘गधों का मेला’ के मंचन के साथ 9वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह का समापन

डोंगरगढ, 21 से 23 दिसंबर 2013। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और डोंगरगढ़ इप्टा के सहयोग से विकल्प, डोंगरगढ़ द्वारा 3 दिवसीय 9 वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह के तीसरे और आखिरी दिन कुल तीन नाट्य प्रस्तुतियों का मंचन किया गया । पहली प्रस्तुति थी प्रसिद्ध नाटककार स्वदेश दीपक लिखित नाटक कोर्ट मार्शल, जिसे इप्टा, गुना के कलाकारों ने अनिल दुबे के निर्देशन में प्रस्तुत किया । सामंती मानसिकता को बड़ी ही खूबसूरती से  मानवीयता और सत्य के कटघड़े में खड़ा करती यह प्रस्तुति समारोह की सार्थक नाट्य प्रस्तुतियों में से एक थीं । प्रस्तुति के विभिन्न चरित्रों में अनिल दुवे, कल्याण सिंह लोधी, सुमित बुनकर, शुभम भार्गव, पंकज दीक्षित, शुभम पाठक आदि अभिनेताओं ने अभिनय किया । ज्ञात हो कि कोर्ट मार्शल हिंदी के चर्चित व बहुमंचित नाटकों में से एक है ।

डोंगरगढ, 21 से 23 दिसंबर 2013। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और डोंगरगढ़ इप्टा के सहयोग से विकल्प, डोंगरगढ़ द्वारा 3 दिवसीय 9 वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह के तीसरे और आखिरी दिन कुल तीन नाट्य प्रस्तुतियों का मंचन किया गया । पहली प्रस्तुति थी प्रसिद्ध नाटककार स्वदेश दीपक लिखित नाटक कोर्ट मार्शल, जिसे इप्टा, गुना के कलाकारों ने अनिल दुबे के निर्देशन में प्रस्तुत किया । सामंती मानसिकता को बड़ी ही खूबसूरती से  मानवीयता और सत्य के कटघड़े में खड़ा करती यह प्रस्तुति समारोह की सार्थक नाट्य प्रस्तुतियों में से एक थीं । प्रस्तुति के विभिन्न चरित्रों में अनिल दुवे, कल्याण सिंह लोधी, सुमित बुनकर, शुभम भार्गव, पंकज दीक्षित, शुभम पाठक आदि अभिनेताओं ने अभिनय किया । ज्ञात हो कि कोर्ट मार्शल हिंदी के चर्चित व बहुमंचित नाटकों में से एक है ।

अंतिम दिवस दूसरी प्रस्तुति इत्यादि थी । वर्त्तमान समय में हिंदी के प्रतिष्ठित कवि राजेश जोशी की एक कविता ‘इत्यादि’ पर आधारित, आधुनिक रंगमंच की प्रयोगशीलता को अपने अंदर समेटे डोंगरगढ़ बाल इप्टा की इस प्रस्तुति का निर्देशन पुंज प्रकाश ने किया था । डोंगरगढ़ के दर्शकों के लिए यह प्रस्तुति एक नई नाट्यानुभूति थी । इत्यादि में प्रतिज्ञा, राशि पांडे, अनिता गुप्ता, सानिका जैन, अनुष्कस बक्शी, मुस्कान सिंग आदि बाल कलाकारों ने अभिनय किया था ।

समारोह की तीसरी और आखिरी प्रस्तुति थी गधों का मेला, जिसे नाट्य विभाग, खैरागढ़ विश्विद्यालय के अभिनेता डॉ योगेन्द्र चौबे के निर्देशन में प्रस्तुत कर रहे थे । वर्त्तमान सामाजिक परिदृश्य की विभीषिकाओं को हास्य-व्यंग्य के माध्यम से पेश करती तौकीर अल हाकिम लिखित इस नाटक का हिंदी अनुवाद प्रसिद्ध रंगकर्मी देवेन्द्र राज अंकुर ने किया था । हास्य-व्यंग से सरबोर लोक व पारम्परिक नाट्य रूपों व शैलियों को आधुनिक सन्दर्भ में प्रयोग करते इस शानदार नाट्य प्रस्तुति में घनश्याम साहू, सौरव बुराडे, भुवनेश्वर महिलाने, शुभम, राकेश कुमार, काजोल मुस्कान, गौरव चौहान आदि अभिनेताओं ने विभिन्न भूमिकाओं को बड़ी ही अदा से पेश किया।

इससे पूर्व आयोजन के दूसरे दिन प्रसिद्ध  नाटककार  बादल सरकार लिखित हास्य नाटक ‘बल्लभपुर की रूपकथा’ का सफल मंचन विवेचना रंगमंडल, जबलपुर के कलाकारों ने चर्चित रंग निर्देशक अरुण पाण्डेय के निर्देशन में किया । ज्ञात हो कि सन 1963 में लिखा बादल सरकार का यह परिस्थिति जनक हास्य नाटक अंग्रेजी फ़िल्म ‘यूं आर नो  एंजल्स’ पर आधारित है। प्रस्तुतिकरण में हास्य प्रचुरता एवं अभिनेताओं की ऊर्जा व हास्य-बोध ने उपस्थित नाट्य प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन किया। नाटक के विभिन्न  चरित्रों को विवेक पांडे, मनीष तिवारी, रोहित सिंह, जतिन राठौड़, अमित निमझे, सरस नामदेव, रविन्द्र मुर्हार, आशुतोष द्विवेदी, अलंकृत, अपर्णा शर्मा एवं सूरज राय आदि अभिनेताओं ने जीवंत किया । इस प्रस्तुति की सफलता में कला निर्देशक विनय अम्बर व प्रकाश परिकल्पक दिलीप झाडे का योगदान भी उल्लेखनीय है ।

दूसरे दिन की दूसरी प्रस्तुति थी हीरा मानिकपुरी निर्देशित नाटक:व्याकरण’ जिसे प्रस्तुत किया , इप्टा रायगढ़ के कलाकारों ने। जल, जंगल, ज़मीन से जुड़े वर्त्तमान ज्वलंत सवालों को अपने दायरे में समेटने का एक गम्भीर प्रयास करता यह नाटक छद्म आंदोलन की भी पड़ताल है । प्रस्तुति की गम्भीरता एवं गम्भीर नाटकों के प्रति दर्शकों के नजरिया की भी पड़ताल इस प्रस्तुति के मार्फ़त की जा सकती है। नाटक के विभिन्न चरित्रों में अपर्णा, ब्रिजेश तिवारी,  लोकेश्वर निषाद, भारत निषाद, सुरेन्द्र बरेठ, कुलदीप दास, प्रियंका बेरिया, श्याम देवकर, विनोद बोहिदार, आदि अभिनेताओं ने अभिनय किया । एक ही दिन में दो अलग-अलग  नाटकों से  रु-ब- रु होने का एक मज़ेदार अनुभव भी देखने को मिला ।

आयोजन का उद्घाटन विख्यात हिंदी कवि पवन करण ने किया। इस अवसर पर उनके जनगीतों की एक पोस्टर प्रदर्शनी भी लगायी गयी। नाट्य समारोह का उद्घाटन करते हुए उन्होंनेे महोत्सव के आयोजन की बधाई देते हुए कला और समाज के अंतरसंबधों पर प्रकाश डाला। उद्घाटन समारोह में सुभाष मिश्रा, संजय अलंग, जयप्रकाश, आनंद हर्षुल और योगेन्द्र चौबे भी मौजूद थे।

उद्घाटन दिवस पर मनोज गुप्ता के संगीत निर्देशन में जनगीतों के सामूहिक गायन के पश्चात भिलाई इप्टा द्वारा नाटक ‘प्लेटफार्म’ और डोंगरगढ़ इप्टा द्वारा नाटक ‘बापू मुझे बचा लो’ का मंचन किया गया।नाटक प्लेटफार्म रेलवे प्लेटफार्म पर विभिन्न पात्रों एवं घटनाओं का रोचक कोलाज है जो कई सामाजिक सवालों से भी रू-ब-रूहोता है। प्रस्तुति में नाटकीय तत्वों व घटनाओं की प्रधनता एवं अभिेनेताओं का सादगीपूर्ण प्रदर्शन इस प्रस्तुति की सार्थकता को दर्शकों तक सफलतापूर्वक संप्रेषित करती है। इस नाटक का लेखन व निर्देशन शरीफ अहमद ने किया था एवं राजेश श्रीवास्तव, मणिमय मुखर्जी, शैलेश कोडापे, निशु, संदीप आदि ने उल्लेखनीय अभिनय किया।

समारोह की दूसरी प्रस्तुति राधेश्याम तराने निर्देशित नाटक बापू मुझे बचा लो थी, जिसका आलेख दिनेश चौधरी ने लिखा है व संगीत निर्देशन मनोज गुप्ता है। नाटक भ्रष्टाचार रूपी त्रासदी  को  महात्मा गांधी के मेटाफर के साथ व्यंग्य और हास्य के मार्फत प्रस्तुत करते हुए सामाजिक -आर्थिक-राजनीतिक प्ररिस्थितियों को कठघरे में खड़ा करता है। नाटक का तीखा व्यंग्य एक तरफ जहाँ आलेख की खूबसूरती है, वहीं प्रेक्षकों और अभिनेताओं के ‘‘सेफ जोन’’ का अतिक्रमण भी। नाटक में मतीन अहमद, नुरूद्दीन जीवा, राजेश कश्यप, महेन्द्र रामटेके, निश्चय व्यास, दिनेश नामदेव, राधेकृष्ण कनौजिया, गुलाम नबी ने अभिनय किया।

पुंजप्रकाश की रिपोर्ट। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित स्वतंत्र रंगकर्मी पुंजप्रकाश निर्देशक, अभिनेता व लेखक हैं। वर्तमान में रांची में ‘दस्तक’ नाट्य समूह नामक शौकिया थियेटर ग्रुप का संचालन कर रहे हैं और रंगकर्म सहित सामयिक विषयों पर निरंतर लेखन में सक्रिय हैं।

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