कल से एक बड़ी छंटनी शुरू हो रही है. उन दो न्यूज चैनलों में जिसके मालिक मुकेश अंबानी हैं. जिसके एक अन्य मालिक राघव बहल हैं. जिसके एक अन्य मालिक राजदीप सरदेसाई हैं. इन दो न्यूज चैनलों के नाम हैं, सीएनएन-आईबीएन और आईबीएन7. इन दोनों न्यूज चैनलों से करीब तीस प्रतिशत स्टाफ की छंटनी करने के लिए लिस्ट तैयार हो चुकी है. लिफाफा देना और खुलना कल से शुरू हो जाएगा.
इन लिफाफों में रखी होगी कंपनी से छंटनी कर दिए जाने की सूचना. देश-दुनिया में होने वाले अन्याय की खबर लेने वाले पत्रकार, मीडियाकर्मी अपने साथ होते अन्याय को चुपचाप सह लेंगे और पतली गली से निकल लेंगे. राजदीप सरदेसाई, आशुतोष जैसे पत्रकार भी कुछ नहीं बोलेंगे, अपनी आंखों के सामने अपने सहकर्मियों को छंटनी के नाम पर निकाले जाते देखकर. सैकड़ों की संख्या में स्किल्ड जर्नलिस्ट फिर दर-दर भटकने, इनका-उनका दरवाजा खटखटाने और नौकरी तलाशने को मजबूर होंगे.
ऐसे में अचानक दूसरे न्यूज चैनलों के संपादकों के भाव उंचे हो जाएंगे. वे सबको दिलासा देंगे, भविष्य के लिए नौकरी का वादा करेंगे. हो सकता है, वे कुछेक को रख भी लें, हालांकि इसके चांसेज कम इसलिए है क्योंकि हर जगह प्रबंधन 'कम पैसा खर्च करो, कम से कम स्टाफ रखो' का दबाव डाले रहता है. कई काबिल लोग बेहद कम सेलरी में कहीं भी ज्वाइन करने के लिए तैयार हो जाएंगे. पर इस सबको लेकर कहीं कोई शोर, आवाज, चर्चा की गुंजाइश नहीं क्योंकि ये पत्रकारिता का मामला नहीं बल्कि अब पापी पेट का मामला हो गया है, ईएमआई देते रहने के लिए पैसा पाते रहने को कुछ भी करने के लिए तैयार रहने का मामला हो गया है.
सूत्रों का कहना है कि दोनों न्यूज चैनलों से उन लोगों को हटाया जा रहा है जो पिछले एक साल के दौरान नियुक्त किए गए हैं. साथ ही कई वरिष्ठों को भी निकाला जा रहा है. भड़ास4मीडिया के पास दोनों न्यूज चैनलों से निकाले जाने वाले लोगों की लिस्ट पहुंच चुकी है. पर उसका प्रकाशन इसलिए नहीं किया जा रहा है क्योंकि नौकरी से निकाले जाने से पहला नाम निकाल देना नैतिक आधार पर ठीक नहीं है.
आइए हम आप, उन मीडियाकर्मियों के लिए दुआ करें जो कल से अचानक सड़क पर आना शुरू होंगे और उनकी ज़िंदगी में जद्दोजहद, आशंकाओं, तनावों, असुरक्षाओं का एक नया दौर, एक नया अध्याय शुरू होगा. वो मजबूर होंगे अपनी लड़ाई न लड़ पाने के लिए… वे मजबूर होंगे खुद के साथ हुए अन्याय के बारे में किसी और से न बता पाने के लिए… वे मजबूर होंगे अपने परिजनों का पेट पालने के लिए किसी भी स्तर पर झुक जाने के लिए… और, इस तरह से वे मजबूर होंगे खबरों का सौदा, खबरों का धंधा करने वालों का साथ देने के लिए…
इस छंटनी के पीछे की रामकहानी अगर आपको पता हो तो भड़ास को जरूर बताइए, ताकि सबको बताया जा सके. मेल करें [email protected] पर.
यशवंत
एडिटर
भड़ास4मीडिया