अगर आप आज शाम नोएडा स्थित फिल्म सिटी जाएंगे तो आपको वहां हर एक की जुबान पर आईबीएन7 में चल रही छंटनी की चर्चा सुनने को मिलेगी. आज का दिन रोज के दिन की तरह नहीं था. बेहद मनहूस दिन. लोग नौकरियां करने पहुंचे पर उन्हें एचआर ने बुलाकर लिफाफा पकड़ाया और बाहर जाने के लिए कह दिया गया. आईबीएन7 से दर्जनों लोग निकाले गए हैं जिनमें कुछ वरिष्ठ और कई सारे कनिष्ठ हैं.
बात सिर्फ आईबीएन7 तक ही सीमित नहीं है. टीवी18 के सारे चैनलों पर छंटनी की गाज गिराई गई है. सीएनएन-आईबीएन, सीएनबीसी-आवाज, कलर्स समेत सारे चैनलों पर गाज गिराई गई है. सब मिलाकर 320 लोग निकाले गए हैं या निकाल दिए जाएंगे. इसके बाद भी सौ लोगों की एक लिस्ट तैयार हो रही है. इस बड़ी छंटनी के खिलाफ कहीं से कोई विरोध की आवाज नहीं उठ रही. मुकेश अंबानी के नेतृत्व में नेटवर्क18 के आने के बाद राघव बहल और राजदीप सरदेसाई जैसे कम शेयर वाले मालिक भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं. मुकेश अंबानी के रिलायंस वाले मीडिया मैनेजर अब इन चैनलों को चलाने लगे हैं.
बड़े बड़े क्रांतिकारी, वामपंथी, रंगकर्मी, नक्सलवादी, घनघोर चिंतक टाइप शूरमा इन चैनलों में कार्य कर रहे हैं पर वे अपने आसपास हो रहे इस उत्पीड़न, कत्लेआम, छंटनी, गुंडागर्दी के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल रहे क्योंकि अंततः उनका सारा चिंतन, उनकी सारी क्रांतिकारिता उनके पापी पेट के आगे पानी भरने चली जाती है. वे सब गजब की चुप्पी साधे हैं. इनके पास एक शब्द भी नहीं है बोलने के लिए. ये न तो फेसबुक पर इस संबंध में कोई बात लिख पाएंगे और न ही अपने आफिस में इस पर कोई बात बोल पाएंगे.
लेकिन यही कथित क्रांतिकारी आपको अन्य मसलों पर, जीवन, देश, दुनिया को लेकर अच्छे-बुरे के बारे में खुलकर चर्चा करते, प्रवचन देते दिख जाएंगे. पर अब जब वाकई इनके सामने हो रहे अच्छे-बुरे में से किसी एक का साथ, पक्ष लेने का वक्त आया है तो ये नपुंसक चुप्पी, शिखंडी कायरता दिखाते हुए दाएं बाएं से आंख बचाकर निकल जाएंगे. फिलहाल आज टीवी न्यूज इंडस्ट्री में कोहराम मचा हुआ है. बड़े पैमाने पर हो रही इस छंटनी से पत्रकार समुदाय दहशत में है.
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