126 साल पुरानी इंटेलिजेंस ब्यूरो(आईबी) दुनिया की सबसे पुरानी इंटेलीजेंस एजेंसियों में एक है. हर साल आईबी पर सरकार 1100 करोड़ रूपए खर्च करती है. देश की अखंडता बनाए रखने में आईबी की सबसे बड़ी भूमिका रही है. देश की आंतरिक सुरक्षा और राजनीतिक गतिविधियों पर बारीक नज़र रखना ही इस एजेंसी का काम है.
आईबी की एक रिपोर्ट में खुलासा है कि जबसे मोदी राष्ट्रीय राजनीति के मंच पर दिख रहे हैं तब से देश में साम्प्रादायिक ध्रुवीकरण बढ़ा है. वहाबी मुसलमान पूरी तरह से मोदी के खिलाफ लामबंद हुए हैं और आरएसएस इस बदलते ध्रुवीकरण को भांपकर हिदुत्व को और मथना चाहता है. आईबी का मानना है की ये ध्रुवीकरण एक अंडर कर्रेंट है जो कभी भी, किसी भी घटना विशेष को लेकर बिजली के एक झटके की तरह देश को चार्ज कर सकता है. आईबी की रिपोर्ट के मुताबिक देश में एक उग्र हिंदू युवा वर्ग बड़ी तेज़ी से गांव-गांव, कसबे-कसबे में मोदी की तस्वीरों के साथ उभर रहा है. और कुछ ऐसा ही इसकी प्रतिक्रिया में युवा मुस्लिम वर्ग में भी देखा जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक ज़मीं पर राजनीतिक लड़ाई भले ही भ्रष्टाचार बनाम विकास की दिख रही हो लेकिन रुढ़ीवादी हिंदू और मुस्लिम दिलों में ये मोदी बनाम मुजहिदीन की लड़ाई है और इसके दूरगामी परिणाम दिखेंगे. मोदी अगर हारते हैं तो आरएसएस इस ध्रुवीकरण को और तीव्र गति प्रदान करेगा. रिपोर्ट में कहा गया है की शिया और बोरा मुस्लिम जैसे कई मुस्लिम समुदाए बीजीपी से परहेज़ नहीं करते और वो चाहते है गुजरात जैसे दंगे रोकने के लिए ध्रुवीकरण को तेज ना किया जाए. मुसलमानों के एक उदार तबके का मानना है की मोदी को सत्ता देने से मोदी को उदार किया जा सकता है. लेकिन वहाबी विचारधारा के अनुयायी किसी कीमत पर संघ समर्थित मोदी सरकार को देखना नही चाहते. वो मानते है की मोदी के आने से हालात और बिगड़ेंगे. बहरहाल इस ध्रुवीकरण से तात्कालिक लाभ कांग्रेस को मिलता दिख रहा है.
मित्रों इस रिपोर्ट के बाकी अंश मैं आपसे शेयर नही कर सकता लेकिन इतना ज़रूर कहना चाहूँगा की रिपोर्ट पढ़ कर मुझे अच्छा नहीं लगा. वक्त आ गया है की हम सब मिलकर अपना दिल बड़ा करें और देश के लिए सोचें. एक दूसरे को माफ करने में देश की भलाई है. ये सच है की मज़हब बड़ी चीज़ है लेकिन देश से बड़ा कुछ नहीं।
आजतक न्यूज चैनल में वरिष्ठ पद पर कार्यरत पत्रकार दीपक शर्मा के फेसबुक वॉल से।