चूरू, 5 फरवरी। भारत सरकार की साहित्य अकादमी की ओर से बुधवार को जोधपुर में आयोजित समारोह में राजस्थानी के चर्चित लेखक कुमार अजय को युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। नामचीन कवि, आलोचक नंदकिशोर आचार्य के मुख्य आतिथ्य में आयोजित समारोह में अकादेमी अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने अजय को ताम्रफलक व पचास हजार रुपए का चैक देकर सम्मानित किया।
विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने इस मौके पर कहा कि रचनात्मकता उम्र की मोहताज नहीं होती है और बहुत से व्यक्तियों ने छोटी सी उम्र में ही अद्भुत कृतियों का सृजन कर साहित्य को समृद्ध किया है। उन्होंने प्रसन्नता जताई कि आज सभी भाषाओं के युवा बेहतरीन लेखन कर रहे हैं, जिससे साहित्य के एक बेहतर भविष्य का शुभ संकेत मिलता है।
इस मौके पर नंदकिशोर आचार्य ने कहा कि सच्चा लेखक वही है जो अपनी अनुभूतियों के जरिए सत्य का अन्वेषण करते हुए अपने सत्य को बरामद करता है और उसे अभिव्यक्त करता है। अनुभव की प्रक्रिया से गुजरे बिना लेखन में गहराई संभव नहीं है। साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवास राव ने आभार जताया।
घांघू (चूरू) के युवा लेखक कुमार अजय को इस मौके पर उनकी पहली काव्य कृति ‘संजीवणी के लिए यह पुरस्कार दिया गया। पुरस्कार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अजय ने कहा कि राजस्थानी जैसी समृद्ध साहित्य परम्परा वाली भाषा के लिए सम्मानित होना अत्यंत गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी को मिल रही यह साहित्यिक मान्यता अब संवैधानिक मान्यता का मार्ग प्रशस्त करेगी। उन्होंने कहा कि पुरस्कार से मिले दायित्व को मैं समझता हूं और एक लेखक होने के नाते समय की चुनौतियों के सामने डटकर खड़ा रहने का संकल्प लेता हूं।
इस मौके पर साहित्य अकादेमी राजस्थानी परामश मंडल के संयोजक डॉ. अर्जुन देव चारण, ख्यातनाम साहित्यकार मालचंद तिवाड़ी, मशहूर शायर शीन काफ निजाम, कुमार अजय के पिता परमेश्वर लाल, रमाकांत शर्मा सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं गण्यमान्य नागरिक मौजूद थे। समारोह में भारत की विभिन्न 21 भाषाओं के साहित्यकारों को युवा पुरस्कार दिए गए। हिन्दी के लिए अर्चना भैसारे को मिला पुरस्कार।
दुलाराम सहारन की रिपोर्ट। संपर्क: [email protected]