Deepak Sharma : चिटफंड ने हर नेता को चित किया… ATTN MR KEJRIWAL/MR MODI … मेरे बैंक खाते में जितना भी पैसा है उस पैसे के एक एक रूपए का हिसाब मैं दे सकता हूँ. मेरी सारी जमा पूँजी, सारी धनराशि और उस पर दिये गए कर का लेखा जोखा आयकर विभाग किसी भी वक्त परख सकता है. आपकी भी यही स्थिति होगी. यही मेरा और आपका ईमान है. लेकिन भारत की त्रासदी देखिये. इस देश का छदमवाद देखिये. पिछले दो साल से देश के सबसे cash rich व्यापारी सहाराश्री आयकर विभाग और सेबी को अपने बही खातों का हिसाब नहीं दे पा रहे. यही निचोड़ है सहारा प्रकरण का.
मित्रों, अपने देश में छह लाख गांव हैं. इनमे से सिर्फ ४०,००० गांव में अब तक बैंक की पहुँच है. यानी देश के पांच लाख साठ हजार गांव में अबतक बैंकिंग व्यवस्था का अस्तित्व नहीं है. इन्हीं गांव और गरीबों की खुली लूट ये चिट्फंड कंपनियां खुलेआम कर रही हैं. चिट्फंड के धंधे पर प्रतिबन्ध है इसलिए ये छदम कंपनियां कोआपरेटिव सोसायटी के तौर पर काम करती हैं. कोआपरेटिव के नाम पर एक बड़ी चेन के ज़रिये गरीब किसानों / मजदूरों से देहाड़ी के हिसाब से १०-१० और ५०-५० रुपए की रकम दूरदराज़ के इलाकों से बटोरी जाती है.
खून की कमाई का ये पैसा फिर काले धन में बदलता है. सहाराश्री के खरबपति बनने का फार्मूला यही है. त्रिणमूल के एमपी केडी सिंह के उद्योगपति बनने का फार्मूला यही है. पर्ल ग्रुप के भंगू के ५०,००० करोड के स्वामित्व का फार्मूला यही है. देश के कई न्यूज़ चैनल के मालिकों के कामयाबी का फार्मूला यही है. इस विषय पर मैं गहराई से लिख सकता हूँ पर फेसबुक में विस्तार से लिखने का चलन नहीं है.
और हाँ, देश में कई लाख करोड रूपए की ऐसी समानांतर और गैर-कानूनी अर्थव्यवस्था बरसों से चल रही है जिसका कोई हिसाब-किताब नहीं है. भारत का सबसे बड़ा और घिनौना भ्रष्टाचार यही है. इसके पीड़ित देश के सबसे कमज़ोर वर्ग के लोग हैं. आश्चर्य है कि इस भ्रष्टाचार पर सब नेता चुप हैं. पूर्व आयकर अधिकारी से नेता बने अरविन्द केजरीवाल भी चुप हैं. उन्हें ये मुद्दा उठाना चाहिए. ये मुद्दा मोदी साहब को भी उठाना चाहिए. यही राजनीति की प्रासंगिकता है. यही गरीबों के हक की असली लड़ाई है…. वरना ऐसा लगेगा की चिट् ने सबको चित किया है.
आजतक न्यूज चैनल में वरिष्ठ पद पर कार्यरत दीपक शर्मा के फेसबुक वॉल से.