एसजीपीजीआई, लखनऊ के गैस्ट्रोइंटेरोलोजी विभाग के डॉ. विवेक आनंद सारस्वत और डॉ. श्रीजीथ वेणुगोपाल द्वारा लापरवाह ढंग से इंजेक्शन देने के कारण एक महिला की मौत होने के सम्बन्ध में पीजीआई थाना, लखनऊ में एफआइआर दर्ज की गयी है।
एफआइआर के अनुसार अलीगंज के सुरेश चन्द्र शुक्ला हेपेटाइटिस-सी से पीड़ित अपनी पत्नी ममता शुक्ला को इलाज के लिए पीजीआई ले गए जहां इन डॉक्टरों के उन्हें मार्च 2012 में थाइमोसीन अल्फा-1 इंजेक्शन एक से अधिक बार दिया।
इन इंजेक्शन का सुश्री शुक्ला के शरीर पर तत्काल गंभीर असर हुआ और उन्हें मेदांता अस्पताल, गुडगाँव ले जाया गया जहां उन्हें मालूम हुआ कि इन इंजेक्शन के कारण उन्हें लीवर कैंसर हो गया। 09 नवम्बर 2011 को इसी बीमारी से उनकी मौत हो गयी।
श्री शुक्ला ने बाद में मालूम किया कि थाइमोसीन अल्फा-1 इंजेक्शन एक ट्रायल ड्रग है जिसके कारण हड्डी का कैंसर होने की काफी सम्भावना रहती है। भारत सरकार का सेंट्रल ड्रग स्टैण्डर्ड कण्ट्रोल आर्गेनाइजेशन इस इंजेक्शन की अनुमति मात्र हेपेटाइटिस बी रोगियों के लिए देता है, फिर भी इन डॉक्टर ने प्रयोग के लिए ममता शुक्ला को यह इंजेक्शन दिया।
उनके द्वारा थाने और एसएसपी, लखनऊ को दिए प्रार्थनापत्र पर एफआइआर दर्ज नहीं होने पर आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने एसएसपी को पत्र लिखा जिस पर पीजीआई थाने पर धारा 269 तथा 304ए आईपीसी में दोनों डॉक्टरों के खिलाफ मुक़दमा संख्या 87/2014 दर्ज कर उपनिरीक्षक उमा शंकर शर्मा द्वारा विवेचना की जा रही है।