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सहारा समूह के खिलाफ सेबी का रुख हुआ और सख्‍त

लगभग तीन करोड़ निवेशकों की उम्मीद पर अस्पष्टता के बादल छाए हुए हैं। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और सहारा इंडिया परिवार ने वैकल्पिक रूप से पूरी तरह परिवर्तनीय डिबेंचर (ओएफसीडी) को लेकर अपनी लंबी कानूनी लड़ाई में पिछले कुछ दिनों में नया मोर्चा खोल दिया है।

लगभग तीन करोड़ निवेशकों की उम्मीद पर अस्पष्टता के बादल छाए हुए हैं। बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और सहारा इंडिया परिवार ने वैकल्पिक रूप से पूरी तरह परिवर्तनीय डिबेंचर (ओएफसीडी) को लेकर अपनी लंबी कानूनी लड़ाई में पिछले कुछ दिनों में नया मोर्चा खोल दिया है।

सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस संबंध में तय की गई 30 नवंबर की समय-सीमा नजदीक है और बाजार नियामक इस दिशा में आगे बढ़ रहा है। मुंबई में एक सम्मेलन के दौरान अनौपचारिक रूप से सिन्हा ने कहा, 'मैं यह कह सकता हूं कि सर्वोच्च न्यायालय से कुछ खास निर्देश मिले हैं और हम उन निर्देशों के कार्यान्वयन पर काम कर रहे हैं।' सहारा समूह की कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ने ओएफसीडी जारी कर तीन करोड़ निवेशकों से 24,029 करोड़ रुपये जुटाए थे। सेबी ने पाया था कि उसके सार्वजनिक निर्गम में कानूनों का उल्लंघन हुआ और निवेशकों को रकम लौटाने का निर्देश दिया।
 
31 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने सेबी के इस आदेश को बरकरार रखते हुए संबद्घ कंपनियों को निवेशकों की पूरी रकम 15 फीसदी के ब्याज सहित लौटाने का निर्देश दिया। उसने सेबी को इस प्रक्रिया पर नजर रखने की जिम्मेदारी सौंपी कि पात्र निवेशकों को यह रकम वापस की जाए। सहारा को 10 दिन के अंदर सभी जरूरी दस्तावेज सौंपने और रकम वापसी की प्रक्रिया 30 नवंबर तक पूरी करने का भी आदेश दिया गया। हालांकि इसके बाद लगभग तीन महीने बीत गए हैं। न तो सहारा समूह से दस्तावेज सौंपे गए हैं और न ही रकम निवेशकों को लौटाई गई है।  सेबी के पूर्णकालिक सदस्य प्रशांत सरन ने हाल में भुवनेश्वर में कहा, 'रकम और दस्तावेज आने दीजिए। रकम की वापसी का समय दस्तावेजों की प्रकृति पर निर्भर करेगा।'
 
सहारा समूह ने समय-सीमा का पालन नहीं किया है जिससे सेबी को सर्वोच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर करने के लिए बाध्य होना पड़ा है। इस बीच सहारा समूह की कंपनियों ने सर्वोच्च न्यायालय में एक समीक्षा याचिका दायर की है जिस पर अगले महीने के शुरू में सुनवाई होने की संभावना है। सहारा समूह ने दस्तावेज सौंपने की प्रक्रिया को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित की गई 10 दिन की समय-सीमा से आगे बढ़ाए जाने से इनकार किए जाने के सेबी के फैसले के खिलाफ सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल में भी गुहार लगाई है।
 
विश्लेषक इस पहल को निराशाजनक मान रहे हैं। सेबी के पूर्व सदस्य एवं वकील एमएस साहू कहते हैं, 'उन्होंने कुछ तकनीकी आधारों पर एसएटी में गुहार लगाई है।' शुरुआती खबरों में कहा गया था कि सेबी ने सहारा समूह के प्रवर्तक सुब्रत राय सहारा और समूह की दो कंपनियों (जिन्होंने निवेशकों से रकम जुटाई) के निदेशकों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू किए जाने के लिए मुंबई में एक स्थानीय अदालत में गुहार लगाई है। हालांकि विश्लेषकों को भय है कि यह सिर्फ समय गंवाने वाली कानूनी लड़ाई साबित हो सकती है और सेबी को प्रक्रियाओं पर अमल करना होगा। (बीएस)
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