वर्ष 1959……तारीख….28 दिसम्बर……स्थान…आकाशवाणी पटना का मुख्य स्टूडियो……….और माइक के सामने बैठे….रामरेणु गुप्त की नजर माइक के ठीक उपर, सामने लगी घड़ी व लाल रंग की बल्ब पर……ज्योंहि समय…..ठीक शाम के सात बजकर पांच मिनट….हुआ लाल बल्ब जल उठा…….और…उन्होंने फिडर को आन करते हुए……ये आकाशवाणी पटना है अब आप रामरेणु गुप्त से प्रादेशिक समाचार सुनिये………..ज्योंहि कहा बिहार की मीडिया के लिए यह दिन-समय स्वर्णमयी क्षण बन गया।
बिहारवासियों ने रेडियो पर पहला प्रादेशिक समाचार जो सुना था। तब से आज तक यह गूँज बिना रूके…थके जारी है। हालांकि बिहार बंटवारे के पहले तक आकाशवाणी पटना से……….ये आकाशवाणी का पटना, रांची, भागलपुर, दरभंगा केंद्र है…….की गूंज सुनाई पड़ती थी जो लोगों की जुबान पर रहती थी, लेकिन झारखंड राज्य बनने के बाद यह गूंज बंद हो गई। अब ……….ये आकाशवाणी का पटना केंद्र है………सुनाई पड़ती है।
बिहार में इलेक्ट्रोनिक मीडिया के नाम पर शुरुआती दौर में केवल आकाशवाणी ही था। बिहार की जनता को सूचना देने, शिक्षित व मनोरंजन करने के उद्देष्य के मद्देनजर आकाशवाणी पटना केन्द्र का उद्घाटन 26 जनवरी 1948 को हुआ था। वहीं, दूरदर्शन का बिहार में विस्तार काफी बाद में हुआ। आज भले ही खबरिया चैनलों की बाढ़ आ गई हो, निजी रेडियो चैनल भी बिहार की जनता का मनोरंजन करने यहां की घरती पर कदम रख चुके है। इन सबके बावजूद आकाशवाणी की पहुंच जो वर्षो पूर्व थी, वह आज भी बरकरार है। कहते है जहां अखबार टी.वी. नहीं पहुंचता यानी, अंतिम कतार में खड़े सुदूर इलाकों की जनता तक आकाशवाणी पहुंचता है।
बिहार की जनता तक सूचना, शिक्षा व मनोरंजन को पहुंचाने के बाद लोगों को देश-विदेश और बिहार में घटने वाली घटनाओं/खबरों/विकास की योजनाओं/जनहित की सरकारी-गैरसरकारी योजनाओं व नीतियों को समाचार के माध्यम से आकाशवाणी, पटना से 28 दिसम्बर 1959 को समाचार की शुरूआत कर समाचार जगत से बिहार की जनता को जोड़ने का क्रांतिकारी कदम उठाया गया और आकाशवाणी पटना में प्रादेशिक समाचार एकांश को स्थापित किया गया। समाचार एकांश, दिल्ली से आये सहायक समाचार संपादक गुरूदत्त विद्यालंकार के नेतृत्व में समाचार वाचक रामरेणु गुप्त व संवाददाता रवि रंजन सिन्हा की टीम ने काम करना षुरू कर दिया। पहला समाचार बुलेटिन 28 दिसम्बर, 1959 को शाम सात बजकर पांच मिनट पर शुरू हुआ जो पांच मिनट का था।
आकाशवाणी पटना के प्रादेशिक समाचार का अपना स्वर्णिम इतिहास रहा है। सीमित साधनों लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति के बलबूते लम्बा संघर्ष किया है। आज प्रादेशिक समाचार प्रसारण का 54 वर्ष ( 28 दिसम्बर, 2009 को ) पूरा हो गया है। जिस ईमानदारी के साथ गुरूदत्त विद्यालंकार, रामरेणु गुप्त व रवि रंजन सिन्हा ने आकाशवाणी समाचार से बिहार की जनता को जोड़ने का काम शुरू किया था, उसे पूरी ईमानदारी के साथ उनके बाद एकांश से जुड़े संपादकों एवं संवाददाताओं ने भी किया बल्कि आज भी कर रहे है। प्रादेशिक समाचार आकाशवाणी, पटना की जब शुरूआत हुई तब इसके प्रभारी के रूप में सहायक समाचार संपादक गुरूदत्त विद्यालंकार आए। शुरू से लेकर अब तक, आकाशवाणी पटना के प्रादेशिक समाचार एकांश से जुड़ने वालों पर डालते है एक नजर:-
सहायक समाचार संपादक
01. श्री गुरूदत्त विद्यालंकार
02. श्री मदन मोहन सहाय
03. श्री के0पी0 सिंघल
04. श्री केदार नाथ सिन्हा
05. श्री शंभू नाथ मिश्र
06. श्री राजेन्द्र राय
07. श्री शशि नाथ मिश्र
08. श्री मणिकान्त वाजपेयी
09 श्री अरूण कुमार वर्मा
10. श्री संजय कुमार
सहायक सम्पादक (समाचार)
01. श्री रामरेणु गुप्त
02. डा0 महेश कुमार सिन्हा
03. श्री विनय राज तिवारी
04. श्री अजय कुमार
क्षेत्रीय संवाददाता(पटना)
01. श्री रविरंजन सिन्हा
पटना संवाददाता
01. श्री हरि प्रसाद शर्मा
02. श्री एम0जेड0 अहमद
03. श्री अशोक कुमार सिन्हा
04. श्री विजय कुमार
05 श्री के.के.लाल
06 श्री दिवाकर कुमार
समाचार संपादक
01. श्री जी0 एम0 मुस्तफा
02. श्री चन्द्र मोहन झा
03. श्री अरूण कुमार वर्मा
04. श्री संजय कुमार
05 श्री शाह वासिफ ईमाम
सहायक सम्पादक (रिपोर्टिंग)
01. श्री महेश कुमार सिन्हा
02. श्री शक्तिनाथ झा
03. श्री मोहम्मद मुनव्वर
उपनिदेशक समाचार
01 श्री अरूण कुमार वर्मा
संयुक्त निदेशक समाचार
01. श्री चंद्रमोहन झा
02. श्री अरूण कुमार वर्मा
सहायक निदेशक समाचार
01 श्री राकेश कुमार
समाचार वाचक सह अनुवादक
01. श्री रामानुज प्रसाद सिंह
02. श्री कृष्ण कुमार भार्गव
03. श्री जय नारायण शर्मा
04. श्री राम कुमार काले
05. स्वर्गीय अनन्त कुमार
06. डा0 महेश कुमार सिन्हा
07. श्री संजय बनर्जी
प्रस्तुति सहायक
01. श्री अनिल कुमार सिन्हा ’प्रियदर्शी’
02. श्री के0 एन0 पांडेय
03. श्री विनय कृष्ण शर्मा
04. श्री श्याम सुन्दर प्रसाद
05. श्री शालिग्राम भारती
प्रादेशिक समाचार एकांश पटना के समाचार बुलेटिनों और समाचार आधारित कार्यक्रमों को जनता के बीच पहुंचाने की जिम्मेवारी शुरू से ही सहायक समाचार संपादकों के कंधों पर रही है। भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी इस पद पर आते रहे हैं। तीन अधिकारियों द्वारा कार्यों का निष्पादन किया जाता रहा है। सहायक समाचार संपादक, सहायक संपादक (समाचार), संवाददाता, जबकि समाचार वाचक सह अनुवादक तैयार बुलेटिनों को पढ़ने का काम करते आ रहे हैं। यहां एक पद प्रस्तुतिकरण सहायक का भी है जो समाचार आधारित कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचाने में अपनी भूमिका निभाते रहे हैं। शुरूआती दौर में हिन्दी समाचार वाचक सह अनुवादक के तौर पर कई नियमित लोगों ने अपनी सेवाएं दी। अंतिम रूप से संजय बनर्जी के दिल्ली तबादले के बाद इस पद पर आकस्मिक समाचार वाचक सह अनुवादक ही समाचारों को पढ़ने का काम करते आ रहे हैं। शुरू के प्रादेशिक समाचार एकांश की परिपाटी पर संपादकों की टीम कार्यरत है। सहायक समाचार संपादक के पद को, वर्ष 2006 में पद उन्नयन कर समाचार संपादक कर दिया गया है।
आकाशवाणी पटना के प्रादेशिक समाचार एकांश से पहला समाचार बुलेटिन का प्रसारण 28 दिसंबर 1959 को होने के बाद बिना रूके-थके अपने पहले प्रसारण से लेकर आजतक पीछे मुड़कर नहीं देखा, लगातार जनता से जुड़ी, जनता के लिए, खबरों पर पैनी नजर रखते हुए समाचारों को जनता तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। शुरू से ही समाचार एकांश में पदस्थापित समाचार सम्पादकों ने सीमित साधनों के बल पर आकाशवाणी पटना के समाचार एकांश को एक मजबूत स्तम्भ के रूप में खड़ा किया। शुरूआती दौर में केवल शाम 7.05 पर पांच मिनट का समाचार बुलेटिन का प्रसारण होता था। बाद में समय बदल कर शाम 7.30 बजे कर दिया गया। साथ ही इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए इसके समय में बढोत्तरी कर दी गई पांच से दस मिनट का समाचार बुलेटिन कर दिया गया। मीडिया के कोई और माध्यम के नहीं होने से रेडियो समाचार की अहमियत काफी बढ़ गई। दस मिनट के समाचार से काम नहीं बनता देख 10 अप्रैल 1978 से इसमें दोपहर 3.10 बजे हिन्दी में 5 मिनट का एक और बुलेटिन प्रसारित किया जाने लगा। जबकि उर्दू भाषी जनता के लिए 16 अप्रैल1989 से दोपहर 3.15 बजे 5 मिनट की अवधि का उर्दू समाचार बुलेटिन ‘‘इलाकाई खबरें’’ के षुरू होने से बिहार के उर्दू भाषी श्रोता इससे जुड़े। इसी तरह वर्ष 1993 में 2 अक्टूबर से सप्ताह में तीन बार मैथिली में ‘‘संवाद’’ समाचार बुलेटिन तैयार किया जाने लगा, जिसका प्रसारण मैथिली भाषियों के लिए आकाशवाणी के दरभंगा केन्द्र से किया जाता है। 16 अगस्त 2003 से मैथिली में समाचार ‘‘संवाद’’ रोजाना संध्या 6.15 बजे प्रसारित होने लगा। वहीं वर्ष 1992 से ही सप्ताह में एक बार हर शनिवार को रात्रि 8.00 बजे समसामयिक विषयों पर आधारित समीक्षात्मक वार्ता कार्यक्रम ‘सामयिक चर्चा’ का प्रसारण होने लगा। ‘सामयिक चर्चा के दौरान बिहार के समसामयिक विषयों पर पत्रकारों तथा विशेषज्ञों से आलेख लिखवाया जाता रहा है। आकाशवाणी पटना के समाचार एकांश से विधान मंडल की समीक्षात्मक वार्ता, रात्रि 8.20 बजे से विधान मंडल सत्र के दौरान प्रसारित किया जाता है। विधान मंडल की समीक्षा, विधान सभा एवं विधान परिषद् में दैनिक समाचार पत्रों के वरिष्ठ पत्रकारों से लिखवाई जाती है। समसामयिक विषयों पर आधारित ‘सामयिक चर्चा और विधान मंडल सत्र के दौरान समीक्षा को श्रोता बडे़ ही चाव से सुनते हैं। प्रादेशिक समाचार की तरह ही इसके श्रोताओं की अच्छी खासी संख्या है।
वर्ष 2006 से दो मिनट का प्रमुख समाचारों का बुलेटिन प्रसारण सुबह 10.30, 11.30 और संध्या 6.30 बजे ‘‘एफ एम चैनल’’ पर किया जाने लगा। आकाशवाणी, पटना से प्रसारित होने वाले प्रमुख समाचार बुलेटिनों में सुबह 8.30 बजे 10 मिनट का समाचार बुलेटिन भी शुमार है।
प्रादेशिक समाचार अपनी सहजता व तेवर को लेकर दिनों-दिन लोकप्रिय होता जा रहा था। बिहार, जहां विभिन्न भाषाओं को बोलने वालों की संख्या काफी तादाद में है, ऐसे में उर्दू समाचार की मांग बलवती हुई और उर्दू भाषी आबादी को देखते हुए 16 अप्रैल 1989 से दोपहर में ही 3.15 पर, पांच मिनट पर उर्दू समाचार बुलेटिन ‘इलाकाई खबरें’ प्रसारित की जाने लगी। हिन्दी के बाद उर्दू और उर्दू के बाद उत्तर बिहार में बोली जाने वाली मैथिली भाषा में भी समाचार बुलेटिन की शुरूआत की गई। मैथिली भाषा में ‘संवाद’ नाम से समाचार बुलेटिन का प्रसारण 2 अक्टूबर 1993 से सप्ताह में तीन बार मैथिली भाषियों के लिए शुरू किया गया। प्रादेशिक समाचार एकांश, पटना द्वारा मैथिली में समाचार बुलेटिन तैयार कर इसका प्रसारण दरभंगा केन्द्र से किया जाने लगा। आज यह रोज नियमित रूप से प्रसारित किया जाता है।
आकाशवाणी, पटना का समाचार कक्ष आज अत्याधुनिक संचार उपकरणों से लैस हो चुका है। वर्ष 2008 से यह पूरी तरह कम्प्यूटरीकृत हो चुका है। इसके पूर्व टाईप राइटर मशीन पर समाचार बुलेटिन तैयार किया जाता रहा था। सितंबर 2008 के बाद समाचार निर्माण का कार्य पूरी तरह से कम्प्यूटर पर किया जाने लगा। यही नहीं, संवाददाताओं के साउंड बाईट, डिस्पैच आदि का संपादन कार्य भी कम्प्यूटर द्वारा रिकार्ड कर संपादित किया जाने लगा।
यों तो, आकाशवाणी के समाचारों की प्रस्तुति में व्यापक बदलाव आ चुका है। राष्ट्रीय स्तर के प्रसारण में समाचारों को रोचक व विविधता लाने के प्रयास बहुत पहले हो चुके थे। मसलन समाचारों में सवांददाताओं के वायस डिस्पैच, वायसकास्ट एवं साउंड बाइट आदि को समांयोजित कर रोचक बनाया गया। समाचार सेवा प्रभाग की तर्ज पर आकाशवाणी पटना के प्रादेशिक समाचारों में भी सवांददाताओं की वाइस डिस्पैच, वाइसकास्ट एवं साउंड बाइट का प्रयोग कर प्रादेशिक समाचार बुलेटिन को रोचक बनाने का काम समाचार सेवा प्रभाग, नई दिल्ली के दिशा निर्देश के तहत किया जाने लगा। इसके लिए तल्कालीन महानिदेषक समाचार पी.के.बंद्धोपाध्याय और अपर महानिदेषक समाचार डा.साधना राउत की भूमिका अहम् रही है।
अक्टूबर 2006 में अररिया जिले के संवाददाता सुदन सहाय के ’वन व वनप्राणी के संरक्षण और संवर्द्धन’ खबर पर उनका बाइट समाचार में प्रयोग किया गया। उसके बाद जो सिलसिला चला, वह आज भी बरकरार हैं। वाइसकास्ट के प्रयोग में जिले के संवाददाताओं के अलावा समाचार से संबंधित राज्यपाल, मुख्यमंत्री, प्रमुख राजनेताओं, अभिनेताओं, अधिकारियों आदि की आवाज का प्रयोग समाचार बुलेटिनों में किया जाने लगा। वर्ष 2006 में ही समाचार सेवा प्रभाग, नई दिल्ली की पहल पर प्रादेशिक समाचार एकांश का समाचार आधारित कार्यक्रम ‘जिले की हलचल’, जिसका पहले नाम ‘जिले की चिटठी’ थी, उसे रोचक व जीवंत बनाने के लिए जिले के संवाददाताओं की आवाज में प्रसारित किया जाने लगा। समाचार और समाचार आधारित कार्यक्रमों में साउंड इनपुट पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा। समाचार बुलेटिनों में साउंड बाइट के अधिकाधिक प्रयोग से जहाँ समाचार की गरिमा बढ़ी, वहीं संवाददाताओं के वाइस डिस्पैच ने समाचार की विश्वसनीयता को चार चांद लगा दिया है।
आज, महानिदेशक समाचार श्रीमती अर्चना दत्ता के आत्मीय दिशा-निर्देश व सहयोग से प्रादेशिक समाचार एकांश, आकाशवाणी पटना विशेष मुकाम तय कर रहा है। समय के बदलने के साथ ही साथ जनता का अपना सस्ता, सहज और सरल मीडिया भी बदलता गया। आकाशवाणी समाचार पटना भी बदला। टाइपराइटर से कम्प्यूटर, टेलीप्रिंटर से वी-सेट और वेब तथा बड़े-बड़े रेडियो सेट से छोटे रेडियो सेट व मोबाइल पर समाचार का दौर आ चुका है। शुरू में समाचार तैयार करने के लिए संपादक सीमित साधन से जूझते थे। शुरू में टेलीप्रिंटर पर अंगे्रजी समाचार आते थे जिसे अनुवाद किया जाता था। संपादक के अलावे समाचार वाचक सह अनुवादक समाचारों का अनुवाद कर उसे रेडियो के लायक बनाते थे। आज हालात बदल चुके हैं। समाचार एजेसी यू.एन.आई. और पी.टी.आई की खबरें हिन्दी व अंगे्रजी में नियमित रूप से आती है। समाचार एकांष को आधुनिक स्वरूप देने व नई तकनीक से जोड़ने के मद्देनजर मई 2008 से टेलिप्रिंटर को हटा कर उसे वी.सेट( सेटेलाइट उपकरण) से जोड़ दिया गया और तब से एजेंसी की खबरें वी.सेट के जरिये सीधे समाचार संपादन कक्ष व टेबुल पर कम्प्यूटर के माध्यम से आने लगीं है।
आकाशवाणी समाचार पटना को प्रादेशिक बनाने में बिहार के जिलों में तैनात अंशकालीन संवाददाताओं की भूमिका अहम रही है। जिलों में तैनात अंशकालिक संवाददाता वहां की खबरें फोन/फैक्स से समाचार कक्ष में प्रेषित करते हैं। जहां संपादक समाचारों का चयन कर रेडियो के प्रसारण के लिए अंतिम रूप देते है। पहले जिलों के संवाददाता टेलीग्राफ से खबरें भेजते थे। बाद में दूरभाष के आने से संवाददाता हार्ड न्यूज को दूरभाष से लिखवाते थे। लेकिन दूरभाष पर समाचार लिखवाने का जो दौर रहा, खासकर 1975-80 तक का, जहाँ एस.टी.डी. की सुविधा नहीं थी, ऐसे में संवाददाताओं को समाचार लिखवाने के लिए टेलीग्राफ कार्यालय में ट्रंककाल बुक करवाने पड़ते थे और लाइन मिलने में चार से पांच घण्टे तक उन्हें टेलीग्राफ कार्यालय में इंतजार करना पड़ता था। एस.टी.डी. की सुविधा बहाल होने के बाद समाचार पे्रषण में सहूलियत हुई, खबरें अब एस.टी.डी. फोन से तुरंत समाचार कक्ष में पहुंच जाता है, यहीं नहीं, संवाददाता वीआईपी कार्यक्रमों/ वीआईपी की आवाज को सीधे मोबाइल फोन से समाचार कक्ष में रिकार्ड भी करवाते हैं। वीआईपी की आवाज को कम्प्यूटर में संपादित कर उसे समाचार में समायोजित किया जाता है। अब अंशकालीन संवाददाता समाचार फैक्स/ ई-मेल से भी भेजते हैं।
प्रादेशिक समाचार एकांश से जिलों और अन्य समचार स्रोतों से आने वाली खबरों को संपादित करने के लिए संपादकीय सहयोगियों का पैनल है। इस पैनल में शामिल पत्रकारिता के अनुभवी व योग्य पत्रकार अपनी सेवा अंशकालीन रूप से देते हैं। आज प्रादेशिक समाचार एकांश, पटना आधुनिक मीडिया को अपनाते हुए डी.टी.एच. सेवा पर भी उपलब्ध है। वर्ष 2005 से डी.टी.एच. पर पटना आकाशवाणी का प्रादेशिक समाचार बुलेटिनों का प्रसारण शुरू हुआ। साथ ही पटना के प्रादेशिक समाचार बुलेटिनों को वर्ष 2007 से आकाशवाणी के समाचार सेवा प्रभाग के वेब साइट डब्लू डब्लू डब्लू डाट न्यूजआनएआईआर डाट एनआईसी डाट इन और डब्लू डब्लू डब्लू डाट न्यूजआनएआईआर डाट काम पर दिया जाने लगा है। इससे दुनिया के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति वेब साइट खोलकर आकाशवाणी पटना के प्रादेशिक समाचार बुलेटिनों को पढ़ और सुन भी सकता है।
आकाशवाणी पटना का प्रादेशिक समाचार एकांश, बिहार के सुदूर गांव-देहात या यों कहे कि अंतिम कतार में खड़े व्यक्ति तक सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, साम्प्रदायिक सौहार्द्र, राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक खबरों को पूरी ईमानदारी तथा सत्य निष्ठापूर्वक पहुंचा रहा है। बिहार के गांवों में समाचार का एक मात्र साधन रेडियो ही है। रेडियो की धूम कल भी थी और आज भी है। खासकर चैपाल और प्रादेशिक समाचार सुनने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। शाम 7.30 बजते ही गांव घर के चैपाल व दलानों पर रेडियो से प्रादेशिक समाचार बुलेटिन की गूंज सुनाई पड़ने लगती है।
लेखक संजय कुमार आकाशवाणी, पटना में न्यूज एडिटर हैं. उपरोक्त आलेख उनकी किताब 'आकाशवाणी समाचार की दुनिया' से लेकर प्रकाशित किया गया है.
Sunil Kumar Pandit
June 8, 2019 at 6:34 pm
Dear Sir,
1992-1998 ki beech me ek natak ka soundtrack prasarit hota tha jiska name tha EK PYALI CHAI KI.
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