Vikas Kumar : Ajit Anjum साहेब, आप इस बार का तहलका हिंदी जरूर देखिएगा. ताकि आपको अंदाजा मिल सके को साहस किसे कहते हैं. Anand Pradhan ने लिखा है, तहलका में ही लिखा है. और इसी मुद्दे पर लिखा है. अगर आपको यह अंक दूकान पर न मिले तो बताइएगा. मैं पोस्ट कर दूंगा…आप जब सलेक्टिव होते हैं तब तो अपना एकाउंट ही डिलीट करके बैठ जाते हैं.
Priyanka Dubey : प्लीज, पढ़िएगा जरूर सर. और फिर याद कीजिएगा. अगर याद पड़ जाए कोई दूसरा मीडिया आर्गेनाइजेशन, जिसमें अपनी ही पत्रिका के फाउंडर पर एक क्रिटिकल एडिटोरियल पब्लिश किया गया हो और दो कालम्स भी उतने ही क्रिटिकल और उतनी ही आजादी-निष्पक्षता से लिखे गए जितने कि वो पहले लिखे जाते थे, तो नाम जरूर बताइएगा…
तहलका मैग्जीन में कार्यरत विकास कुमार और प्रियंका दुबे के फेसबुक वॉल से.
पूरे मामले को समझने के लिए इसे पढ़ें…