Krishna Kant : कुछ मित्र पूछ रहे हैं कि अंबानी के बेटे ने दो को अपनी महंगी कार से कुचल दिया तो मीडिया ने यह खबर क्यों नहीं चलाई? क्या आपको मालूम है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के पास इंफोटेल के 95 प्रतिशत शेयर हैं. इंफोटेल एक टेलीविजन संकाय (कंजोर्टियम) है जिसका 27 टीवी समाचार और मनोरंजन चैनलों पर नियंत्रण है… इनमें नेटवर्क18 के सभी चैनल (सीएनएन-आईबीएन, आईबीएन लाइव, सीएनबीसी, आईबीएन लोकमत और लगभग हर क्षेत्रीय भाषा का ईटीवी) शामिल है.
इंफोटेल के पास फोर-जी ब्रॉडबैंड का इकलौता अखिल भारतीय लाइसेंस है; फोर-जी ब्रॉडबैंड 'तीव्रगति सूचना संपर्क व्यवस्था (पाइप लाइन)' है जो, भविष्य का सूचना एक्सचेंज साबित हो सकती है. अन्य जितने भी बड़े चैनल हैं, वे सब कॉरपोरेट की गिरफ्त में हैं. टाइम्स आफ इंडिया और नवभारत टाइम्स अखबार तथा टाइम्स नाउ चैनल चलाने वाले बेनेट एंड कोलमैन समूह के विनीत जैन ने एक साल पहले द न्यू यॉर्कर के एक पत्रकार को बताया था कि हमारा अखबार का व्यवसाय नहीं है, हमारा विज्ञापन का व्यवसाय है.
हाल ही में ओपेन पत्रिका ने एक लेख छापा कि नेटवर्क18 के सभी चैनलों में काम करने वाले पत्रकारों को निर्देश है कि वे मोदी के खिलाफ नर्म रुख रखें और उनकी रैलियां बिना काट छांट के लाइव प्रसारित करें. अब यह कोई छिपा हुआ तथ्य नहीं है कि पूरे कॉरपोरेट और राजनीति में नायाब गठबंधन है. चैनलों की बागडोर कॉरपोरेट के हाथ में है और मीडिया में क्या दिखाया जाना है, यह वहीं से तय होता है. पत्रकारों को उसी मामले में छूट है, जिनसे कॉरपोरेट का कोई व्यावसायिक हित न जुड़ा हो. मीडिया और बड़े व्यवसायों के बीच की विभाजक रेखा खतरनाक ढंग से धुंधला चुकी है. जो व्यक्ति 27 टीवी चैनलों का करीब-करीब मालिक है, उसके बेटे के खिलाफ खबर क्यों नहीं चली, क्या अब यह बताने की जरूरत है?
चौथी दुनिया अखबार में चीफ सब एडिटर के रूप में कार्यरत कृष्ण कांत के फेसबुक वॉल से.