खुद को नंबर वन प्राइवेट विश्विद्यालय बताने वाले एमिटी यूनिवर्सिटी के बारे में सूचना आ रही है कि इसने करीब 30 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी की है. इस बाबत एमिटी को 30 करोड़ रुपये का कर नोटिस भेजा गया है. 30 करोड़ रुपये का यह सेवा कर नोटिस केंद्रीय उत्पाद शुल्क खुफिया महानिदेशालय ने एमिटी यूनिवर्सिटी के लखनऊ परिसर को भेजा है. नोटिस करीब 25 पेज का है. इसमें काफी कुछ एमिटी के बारे में बताया कहा गया है.
नोटिस के मुताबिक एमिटी का लखनऊ परिसर एक 'ऑफ कैम्पस' केंद्र है और उसे यूजीसी यानि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से मान्यता प्राप्त नहीं है. इसलिए वह कानूनी रूप से विश्वविद्यालय का परिसर नहीं है. केंद्रीय उत्पाद शुल्क खुफिया महानिदेशालय से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि ऐसा लगता है एमिटी यूनिवर्सिटी के लखनऊ परिसर ने अपने कर दायित्वों का निर्वहन नहीं किया है और इससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ है. परिसर ने जानबूझकर गलत बयान दिया है ताकि महत्त्वपूर्ण तथ्यों को विभाग की नजरों से छुपाया जा सके.
इस प्रकार परिसर ने वित्त अधिनियम 1994 के प्रावधानों का उल्लंघन किया है. नोटिस में यह भी कहा गया है कि एमिटी से अक्टूबर 2007 से सितंबर 2012 की अवधि के लिए वित्त अधिनियम की धारा 73 की उपधारा 1 के प्रावधानों के तहत 28.08 करोड़ रुपये बतौर सेवाकर, 56 लाख रुपये बतौर शिक्षा उपकर और 28 लाख रुपये बतौर माध्यमिक व उच्च शिक्षा उपकर वसूले जाने चाहिए. अब देखना है कि एमिटी इस नोटिसा का क्या जवाब देता है. फिलहाल तो इस नोटिस से यह पता चलता है कि एमिटी का लखनऊ कैंपस लीगल नहीं है.