भड़ास4मीडिया में कंटेंट एडिटर पद पर कार्यरत अनिल सिंह ने इस चर्चित न्यूज पोर्टल को अलविदा कह दिया है. उन्होंने नई पारी की शुरुआत लखनऊ समेत कई शहरों से प्रकाशित हिंदी दैनिक डेली न्यूज एक्टिविस्ट (डीएनए) के साथ की है. अनिल भड़ास के साथ कई वर्षों तक जुड़े रहे. उन्होंने अपनी मेहनत से भड़ास को नई उंचाइयों तक पहुंचाया. पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के रहने वाले अनिल दैनिक जागरण अखबार और हमार टीवी समेत कई अखबारों-चैनलों में विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं.
दैनिक जागरण प्रबंधन की साजिशों के कारण उन्हें भड़ास में कार्य करते हुए कुछ दिनों के लिए डासना जेल भी जाना पड़ा था. यह वह दौर था जब इंडिया टीवी के मालिक रजत शर्मा, संपादक विनोद कापड़ी और कापड़ी की पत्रकार पत्नी साक्षी जोशी ने साजिश करके भड़ास के संस्थापक यशवंत को जेल भिजवाया था. तब भड़ास को पूरी तरह बंद कराने हेतु एक उच्चस्तरीय साजिश रची गई जिसमें शशि शेखर, निशिकांत ठाकुर, आलोक मेहता, विनोद कापड़ी, रजत शर्मा, संजय गुप्ता, महेंद्र मोहन गुप्ता आदि लोग शामिल थे.
इन सभी ने मिलकर यह तय किया कि इसी झटके में भड़ास को बर्बाद व समाप्त करा देना है ताकि यह फिर से सर न उठा सके. इस साजिश के तहत दैनिक जागरण की तरफ से एक फर्जी मुकदमा अनिल के खिलाफ कराया गया और उन्हें अरेस्ट कर जेल भेज दिया गया. उसके बाद भड़ास के आफिस और यशवंत के घर पर पुलिस ने छापेमारी कर लैपटाप, कंप्यूटर आदि ले गई. यही नहीं, जिस कंपनी ने भड़ास को सर्वर प्रोवाइड किया है, उसके दक्षिण भारत स्थित आफिस भी नोएडा पुलिस पहुंची थी और भड़ास का डाटाबेस लेकर आई. ये अलग बात है कि उन्हें डाटाबेस की जगह सर्वर वालों ने सीडी में कुछ और कापी करके थमा दिया और पुलिस लेकर लौट आई.
उन मुश्किल दिनों में जेल से छूटने के बाद भी अनिल ने डरने-झुकने की जगह भड़ास का काम जारी रखा और दैनिक जागरण प्रबंधन को दिखा दिया कि मक्कार कंपनियां और इसके दलाल मालिक व मैनेजर नहीं बल्कि मजबूत इरादों वाला ईमानदार जुझारू व्यक्ति बड़ा हुआ करता है. अनिल ने कई वर्ष तक भड़ास में कंटेंट एडिटर पद पर भड़ास के दिल्ली आफिस में काम किया. बाद में अनिल का तबादला उनकी मर्जी के तहत लखनऊ कर दिया गया. अनिल का कहना है कि भड़ास4मीडिया के साथ काम करते हुए उन्होंने बहुत कुछ सीखा जाना देखा. कई वर्षों से एक ही तरह का काम करते करते एकरसता सी आ गई थी. इसलिए कुछ नया करने हेतु भड़ास को अलविदा कहा है.
भड़ास4मीडिया के संपादक यशवंत सिंह ने अनिल के इस्तीफे के बारे में कहा कि सब कुछ अनिल की मर्जी से हुआ है. अनिल बेहद संकोची, स्वाभिमानी, ईमानदार और मेहनती पत्रकार हैं. वे खुद के बारे में कुछ कहते नहीं, अक्सर उनके बारे में दूसरों को ही सोचना पड़ता है. वे भड़ास के हर मोर्चे पर हमेशा डटे, अड़े, लड़े रहे. उनकी इच्छा को देखते हुए भड़ास की तरफ से उनहें लखनऊ भेजा गया और अब कुछ नया करने की चाहत के तहत वे भड़ास से विदा ले रहे हैं. अनिल के उज्जवल भविष्य के लिए ढेरों शुभकामनाएं. अनिल के साथ मेरी जो सबसे अच्छी यादें हैं, वो जेल के दौरान की हैं. हम लोग वैसे तो जेल में अलग अलग बैरकों में रखे गए थे लेकिन जब कभी कभार मिलते थे तो एक दूसरे को देख कर हंसते मुस्कराते थे और कहते थे कि अब हम लोग असली जर्नलिस्ट हो गए क्योंकि लिखने पढ़ने के कारण हरामियों के लिए अझेल हो गए, सो अपन लोग जेल के हो गए. यशवंत ने उम्मीद जताई कि अनिल डीएनए अखबार के साथ जुड़कर नया मुकाम हासिल करेंगे और अखबार के लिए मजबूत साथी साबित होंगे.
अनिल का परिचय यूं है : वाराणसी से प्रकाशित दैनिक 'काशीवार्ता' से करियर की शुरुआत की. कुछ समय तक मासिक पत्रिका 'मीडिया रिपोर्ट' के साथ जुड़े रहे. 'दैनिक जागरण', मुगलसराय और चंदौली के साथ तीन वर्ष से ज्यादा समय तक काम किया. कुछ समय के लिए 'दैनिक हिन्दुस्तान' के संग भी रहे. 'युनाइटेड भारत', दिल्ली के ब्यूरो इंचार्ज पद पर लगभग दस महीने तक आसीन रहे. डेढ़ वर्ष तक भोजपुरी न्यूज चैनल 'हमार टीवी' में काम करने के बाद भड़ास4मीडिया में कंटेंट एडिटर बने. पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के निवासी. स्नातकोत्तर की पढ़ाई महात्मा गांधी विद्यापीठ, वाराणसी से. पत्रकारिता की शिक्षा इलाहाबाद से. आदर्शवाद, जमीन से जुड़ाव, लगातार सीखने का जज्बा और कठिन मेहनत की क्षमता.
जब अनिल ने भड़ास4मीडिया ज्वाइन किया था, उस दौरान प्रकाशित खबर यूं है–