करीब सवा साल पहले मीडिया के सहारे स्टार बने अन्ना हजारे का मोह अब उन्हें प्रचारित करने वालों से भंग होता दिख रहा है। अन्ना ने राजनीतिक पार्टी न बनाने का फैसला लिया है, लेकिन इसके ऐलान के कुछ ही देर बाद उन्होंने बाबा रामदेव के साथ गुप्त मीटिंग की। महत्वपूर्ण बात ये है कि इस बैठक के बारे में वे किसी को कुछ भी बताने को तैयार नहीं हैं। हमेशा लोकशाही और पारदर्शिता की बात करने वाले अन्ना हजारे इस मुलाकात के सवाल पर ही चुप्पी साध लेते हैं।
बात सिर्फ इतनी ही नहीं है। अन्ना अपनी बैठक के बारे में खबरें आने के बाद मीडिया से खासे नाराज नजर आ रहे हैं। कल तक कैमरा देखकर जोश से भर जाने वाले अन्ना जहां अपने आंदोलन की सफलता का श्रेय मीडिया को देते नहीं थकते थे वहीं अब वो मीडिया को देखकर ही गुस्सा हो जाते हैं। सवालों को टालते हुए कहते हैं, "क्यों मार रहे हो… क्यों मार रहे हो?"
सवाल ये उठता है कि अन्ना आहत हैं या नाराज़ या भड़के हुए? क्या उनकी और रामदेव की गुप्त मुलाकात की खबरें उछालने वाला मीडिया अब उन्हें विलेन नज़र आ रहा है या फिर वो इस खबर को दबाना चाहते थे? बाबा रामदेव के साथ उनकी मीटिंग के दौरान संघ के करीबी एक कारोबारी भी मौजूद थे। ऐसा माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद अन्ना और संघ को लेकर उठ रहे नए सवालों से वो व्यथित हैं।
उन्होंने कल तक अपने हनुमान माने जाने वाले अरविंद केजरीवाल से भी किनारा कर लिया है। उन्होंने केजरीवाल से अपने ब्रांडनेम इस्तेमाल करने से भी मना कर दिया है। अब आंदोलन से अलग सियासत की जमीन पर नए विकल्प तलाश रहे अरविंद केजरीवाल अन्ना हजारे के खुद के यूं किनारा करने से व्यथित हैं। घंटों बाद चुप्पी तोड़ते हुए वो बोले कि अन्ना का फैसला अप्रत्याशित है।
झटके से उबरते हुए अरविंद अब अन्ना के बिना भी उनके ब्रांडनेम का इस्तेमाल कर राजनीतिक पार्टी बनाने की जुगत भिड़ा रहे हैं। उन्होंने 'टीम अन्ना' के सदस्य प्रशांत भूषण, संजय सिंह, कुमार विश्वास और 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और बाद में बोले, "अन्ना भले ही अपनी तस्वीर के इस्तेमाल की इजाजत न दें लेकिन अन्ना की तस्वीर हमारे दिल में रहेगी। उनका आशीर्वाद हम हमेशा लेते रहेंगे। वे हमारे गुरु हैं, पिता हैं। अन्ना के पांच सिद्धांत हमारी बुनियाद बनेंगे।"
उधर, अन्ना खेमा भी किलेबंदी में जुट गया है। किरण बेदी ने महाराष्ट्र सदन में अन्ना से मुलाकात की। किरण राजनीतिक पार्टी बनाने के अरविंद के फैसले के सख्त खिलाफ थीं। उनकी तल्खी साफ झलकी। उन्होंने कहा कि अरविंद ने खुद ही कहा था कि अन्ना कहेंगे तो पार्टी नहीं बनाएंगे। अब क्यों बना रहे हैं ये उन्हीं से पूछिए।