लगता है कोलकाता से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार 'द टेलीग्राफ' को पाठकों का टोटा पड़ रहा है। शायद इसीलिए उसने बिहार-यूपी से आए आप्रवासी कामगारों खिलाफ़ अखबार के संपादकीय पेज पर ऐसी अपमानजनक टिप्पणी छापी है कि वो विवादों में घिर जाए और लोग उसे खरीदें। अखबार ने बंगालियों के बीच प्रचलित उन चुटकुलों को चटखारे लेकर छापा है जिससे वहां रहनेवाले बिहार व यूपी के लोगों का गुस्सा भड़क उठे। जैसा कि स्वभाविक था, विरोध में उन्होंने सड़कों पर उतर कर अखबार की प्रतियां फूंक डालीं।
कोलकाता के कई क्षेत्रों में प्रदर्शन हुए जिनमें बिहारी समाज, कोलकाता के अध्यक्ष मणि प्रसाद सिंह के नेतृत्व में शनिवार को डलहौज़ी क्षेत्र के इंडिया एक्सचेंज प्लेस व ओल्ड चाइना बाजार चौराहे पर चक्का जाम भी किया गया। बिहार के विधायक छोटे लाल राय खास तौर पर इस प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए कोलकाता पहुंचे थे। उन्होंने भड़ास4मीडिया को बताया कि उन्हें इस तरह की अभद्र टिप्पणी से व्यक्तिगत तौर पर दुख पहुंचा है। राय के मुताबिक किसी भी समाज, भाषा, जाति व धर्म के खिलाफ टिप्पणी छापना अखबार के लिए सही नहीं है। कोई भी समाचार पत्र ऐसी टिप्पणी को संपादकीय पेज पर नहीं छाप सकता, जिससे समाज में मतभेद या हिंसा होने की आशंका हो।
कोलकाता में सभी अखबार दुर्गा पूजा के कारण चार दिनों तक बंद रहते हैं, इसलिए अखबार के कार्यालय में किसी ने फोन नहीं उठाया। बिहारी समाज के लोगों का कहना है कि इस विरोध को ठंढा नहीं होने दिया जाएगा और विजया दशमी के बाद बिहारी समाज कोलकाता के बैनर तले हजारों लोग टेलीग्राफ के कार्यलय का घेराव करेंगे।
बिहारी समाज के अध्यक्ष मणि प्रसाद सिंह ने सभी लोगों और संगठनों से अपील की है कि वे एक मंच पर आकर आवाज उठाएं। श्याम बिहारी सिंह (बंगाली) ने कहा कि आवश्यकता है कि बंगाल में रहनेवाले सभी बिहारी और अन्य प्रांतों के समाज के लोग इस मुद्दे पर एक मंच पर आएं और अपनी आवाज बुलंद करें। विरोध में बिहार के छपरा परसा के विधायक छोटे लाल राय के अलावा स्थानीय पार्षद संतोष पाठक, नरेश सिंह, बालेश्वर सिंह, एसएन राय, सुनील यादव, संजीव दूबे, संजय झा, नागेश्वर शर्मा, उमाशंकर प्रसाद, विजय सिंह सहित अन्य लोग शामिल थे।
इस मुद्दे पर मिथिला विकास परिषद की ओर से बड़ा बाजार में विरोध सभा कर टेलीग्राफ की सैकड़ों प्रतियां जलायी गयीं। परिषद के अध्यक्ष अशोक झा, बिहारी समाज के संरक्षक राजेश सिन्हा के नेतृत्व इस विरोध में सैकड़ों बिहारी समाज के लोगों ने हिस्सा लिया। अशोक झा ने कहा है कि यह सांकेतिक विरोध है और विजया दशमी के बाद अखबार से औपचारिक तौर पर माफ़ी मांगने का दबाव बनाया जाएगा। इस विरोध प्रदर्शन में अजय चौधरी, निरंजन ठाकुर, प्रताप सिंह, पवन ठाकुर, मदन झा सहित अन्य लोग मौजूद थे।
बिहारी समाज के संरक्षक राजेश सिन्हा ने कहा है कि समाज के लोगों को टेलीग्राफ़ का बहिष्कार करना चाहिए। विश्व में 20 करोड़ से अधिक भोजपुरी भाषाई लोग हैं और शायद संपादक महोदय नहीं जानते हैं कि अगर बिहारी समाज के लोग अपनी मेहनत से आगे बढ़ सकते हैं, तो जब विरोध में सड़क पर उतरेंगे तो अखबार को बंद करवाने का भी माद्दा रखते हैं।