Om Thanvi : कल अशोक वाजपेयी 72 वर्ष के हो गए। उम्र के साथ उनकी सक्रियता भी बढ़ती जाती है। उनकी चार किताबों का कल दिल्ली में एक समारोह में लोकार्पण हुआ। इनके अलावा एक किताब उनके नाम निकट के लोगों के 28 लिखे-अनलिखे 'पत्रों' की भी थी, जिनमें कुछ पत्र शरारती किस्म के हैं; मेरा भी! अशोक जी को इस गुप-चुप संकलन के साथ चौंकाने की यह बुनियादी 'शरारत' मेरे मित्र मनीष पुष्कले की रही।
खैर, लोकार्पण के बाद अशोक जी ने नयी कविताओं का पाठ किया। फिर बहाउद्दीन डागर की रुद्रवीणा। फिर अलाव जले और उनके गिर्द एक तम्बू-तले खान-पान। मेजबान सैयद हैदर रज़ा और अनेकानेक लेखकों-कलाकारों का सान्निध्य। एक शानदार शाम।
इस आयोजन की मेरी तस्वीरें Suresh Mahto ने भेजी हैं। उनका आभार। दो आपको दिखा रहा हूँ। एक में मेरे किसी किस्से पर खिलखिलाते अशोक वाजपेयी और ध्रुव शुक्ल। दूसरी में अशोक वाजपेयी, उनके सहयोगी संजीव चौबे, मार्क टली, मैं नाचीज, लंदनवासी कथाकार और राजनेता ज़कीया ज़ुबैरी, मेरी पत्नी प्रेमलता और प्रवासी कथाकार तेजेन्द्र शर्मा। अशोक जी को फिर बधाई। उनकी यह जिन्दादिली, कविताई और रसरंजनी उम्र के सौवें बरस भी ऐसी ही रहे।
ओम थानवी के फेसबुक वॉल से.