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Employee code… Name… Last working day… Reason- Asked To Go (देखें आजतक की छंटनी लिस्ट)

ये पिछले अप्रैल से इस साल जून आखिर तक की छंटनी लिस्ट है. टीवी टुडे ग्रुप के एचआर की तरफ से ये सभी लोग 'आस्क्ड टू गो' हैं. इस साल जून तक छंटनी किए गए लोगों कुल संख्या 66 है, जिसकी लिस्ट आपके सामने पेश है. बताया जाता है कि अभी ढेर सारे लोगों की छंटनी होनी है. टोटल 150 लोग निकाले जाने हैं. इन सभी को इकट्ठे इसलिए नहीं निकाला जा रहा ताकि कहीं कोई अशांति न पैदा हो जाए, विरोध न शुरू हो जाए. इसलिए एक एक कर छोटे मोटे बहाने ढूंढ नौकरी ली जा रही है.

ये पिछले अप्रैल से इस साल जून आखिर तक की छंटनी लिस्ट है. टीवी टुडे ग्रुप के एचआर की तरफ से ये सभी लोग 'आस्क्ड टू गो' हैं. इस साल जून तक छंटनी किए गए लोगों कुल संख्या 66 है, जिसकी लिस्ट आपके सामने पेश है. बताया जाता है कि अभी ढेर सारे लोगों की छंटनी होनी है. टोटल 150 लोग निकाले जाने हैं. इन सभी को इकट्ठे इसलिए नहीं निकाला जा रहा ताकि कहीं कोई अशांति न पैदा हो जाए, विरोध न शुरू हो जाए. इसलिए एक एक कर छोटे मोटे बहाने ढूंढ नौकरी ली जा रही है.

(देखने पढ़ने में दिक्कत आ रही हो तो उपरोक्त छंटनी लिस्ट के उपर ही क्लिक कर दें)


मजेदार ये है कि देश दुनिया की खबर बताने वाले ये बुद्धिजीवी पत्रकार, मीडियाकर्मी खुद की लड़ाई भी लड़ नहीं पा रहे. विरोध के एक बोल तक नहीं फूट रहे इनके मुंह से. बाकी विषयों पर ये लोग ऐसे लंबे लंबे भाषण देंगे कि मत पूछो. आजतक से छंटनी की ये लिस्ट सामने लाकर भड़ास ने एक बड़ा काम कर दिया है. यह पहली बार है जब किसी इतने बड़े मीडिया संस्थान की छंटनी की आफिसियल लिस्ट बाहर आई है. भड़ास ने यह महान काम भी कर दिखाया.

अब आगे का काम आप लोगों को करना चाहिए. पत्रकार साथियों को करना चाहिए. उन्हें चाहिए कि वे इस लिस्ट को लेबर कोर्ट में एक अप्लीकेशन के साथ सौंपें, मंत्रालयों से शिकायत करें और इस छंटनी की जांच कराएं कि आखिर किस आधार पर इन लोगों को 'आस्क्ड टू गो' कैटगरी में डाला गया और इसके डालने के क्या नियम हैं? 

साथ ही पत्रकार संगठनों को चाहिए कि वो आजतक प्रबंधन की इस बंपर छंटनी की निंदा करें. बीईए और एडिटर्स गिल्ड से भी हम लोग उम्मीद करेंगे कि वे लोग भी इस छंटनी की निंदा करेंगे. पर नहीं, आजकल फैशन है कि अगर बड़ा आदमी पिटा, बड़ी कंपनी गिरी तो पूरा हो हल्ला होगा, सबके बोल फूटेंगे लेकिन अगर कोई आम कर्मचारी, कोई आम कंपनी गिरी फूटी तो डाउनमार्केट कहकर कोई नहीं बोलेगा. उम्मीद करते हैं कि लंबे लंबे प्रवचन देने वाले पत्रकार और वरिष्ठ पत्रकार इस मसले पर कुछ कहेंगे जरूर.

-यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया

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