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भाषाई तूफान चलइ जोर-जोर, अवधी के दियना जरइ चहुं ओर

स्वानंद बाबा सेवा न्यास द्वारा मुंबई के विलेपार्ले स्थित संन्यास भवन में आयोजित अवधी सम्मेलन ‘दोपहर का सामना’ के कार्यकारी संपादक प्रेम शुक्ल के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। पूरा कार्यक्रम अवध व अवधी की अद्भुत छटा लिए हुआ था, जिसमें एस्ट्रोलॉजी टुडे के संपादक आचार्य पवन त्रिपाठी का वैदिक मंत्रोच्चार था, लोकगायिका प्रिया द्विवेदी के अवधी गीत थे, जाने-माने कवि-पुरातत्व शास्त्री निर्झर प्रतापगढ़ी की हास्य फुलझड़ियां थीं, विद्वानों के विचार थे तो भाजपा युवा मोर्चा मुंबई अध्यक्ष गणेश पांडे व उद्योगपति बबलू पांडे का अवधी के प्रति सम्मान भाव भी था।

स्वानंद बाबा सेवा न्यास द्वारा मुंबई के विलेपार्ले स्थित संन्यास भवन में आयोजित अवधी सम्मेलन ‘दोपहर का सामना’ के कार्यकारी संपादक प्रेम शुक्ल के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। पूरा कार्यक्रम अवध व अवधी की अद्भुत छटा लिए हुआ था, जिसमें एस्ट्रोलॉजी टुडे के संपादक आचार्य पवन त्रिपाठी का वैदिक मंत्रोच्चार था, लोकगायिका प्रिया द्विवेदी के अवधी गीत थे, जाने-माने कवि-पुरातत्व शास्त्री निर्झर प्रतापगढ़ी की हास्य फुलझड़ियां थीं, विद्वानों के विचार थे तो भाजपा युवा मोर्चा मुंबई अध्यक्ष गणेश पांडे व उद्योगपति बबलू पांडे का अवधी के प्रति सम्मान भाव भी था।

कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्जवलन व सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण से महामंडलेश्वर 1008 श्री स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि जी महाराज ने किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि अवधी सम्मेलन समाज में एकरसता लाने का एक अच्छा प्रयास है। अवध का अर्थ जहां पर वध नहीं होता, झगड़ा नहीं होता। अवधी बड़ी प्यारी भाषा है, आत्मीयता बढ़ानेवाली भाषा है इसलिए मेरी इच्छा है कि अवधी सिर्फ अवध तक सीमित न हो, पूरा देश अवध बने। गीतकार पं. किरण मिश्र, ‘अयोध्यावासी’ की पुस्तक ‘अवधी बयार’ के विमोचन के बाद डॉ. रामजी तिवारी तथा डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय ने पुस्तक पर विचार व्यक्त किए। डॉ. रामजी तिवारी ने कहा कि आज यहां पर चल रही अवधी बयार बहुत दूर तक जाएगी। क्योंकि अवधी देश को जोड़ने की तथा विकास की भाषा है। लोकगायिका प्रिया द्विवेदी की सरस्वती वंदना-अंखिया मा करो अंजोर तौ/ माई तोरे पइयां परौं/ कर दे रतिया रतिया से भोर तौ/ माई तोरे पइया परौं। के बाद न्यास के मुख्य न्यासी व दोपहर का सामना के कार्यकारी संपादक प्रेम शुक्ल ने अतिथियों का स्वागत किया।

परिचर्चा ‘अवधी की विशेषताएं’ में शिया धर्म गुरु मौलाना जहीर अब्बास रिजवी ने कहा कि भाषा की कोई जात- पात नहीं होती, यह दिलों को जोड़ती है। अवधी जुबान के जरिए पुरानी संस्कृति को हम फिर से ला सकते हैं। अवधी विकास संस्थान, लखनऊ के अध्यक्ष एड. विनोद मिश्रा ने अवधी को सामाजिक सरोकारों की भाषा कहा। लोक अधिकार सेवा समिति के अध्यक्ष चंद्रशेखर शुक्ल ने अवधी भाषा को सामाजिकता, प्रकृति, किसान संस्कृति तथा परंपरा की आवाज का दर्जा दिया। ‘लगान’ में अभिनेता दयाशंकर पांडेय ने सहभागियों से गर्व पूर्वक अवधी का उपयोग करने की अपील की। ‘अभियान’ के अध्यक्ष अमरजीत मिश्रा ने कहा कि अवधी जैसा अनुपम साहित्य अन्य किसी भाषा में नहीं है। अवधी की तासीर से ही गिरमिटिया मजूर मारीशस में हुजूर बन जाता है। साहित्यकार व एडीशनल कमिशनर कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज के. कमलाशंकर मिश्र ने कहा कि अवधी में जीवंतता है, यह हमारे अंर्तमन को छूनेवाली भाषा है। शिक्षाविद व मैनेजमेंट एक्सपर्ट डॉ. आदर्श मिश्र ने अवधी को धर्मनिरपेक्ष भाषा की संज्ञा देते हुए अवधी सम्मेलन की वेबसाइट बनाने में सहयोग की पेशकश की। भवंस- सोमानी कॉलेज के प्रो. संतोष तिवारी की राय में अवधी-भोजपुरी के ज्यादा प्रचार-प्रसार हेतु इसका उपयोग  बढ़ाना होगा।

परिचर्चा के दूसरे सत्र अवधी के विकास की कार्य योजना का संचालन कवि-पत्रकार अभय मिश्र ने किया। इसमें वर्ल्ड ऑफ ग्रेट फेसेस के संपादक अभिलाष अवस्थी ने कहा कि भाषा का विकास अवधी सम्मेलन सरीखे निजी प्रयासों के जरिए हो सकता है। नवभारत टाइम्स के विशेष संवाददाता अनुराग त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी साहित्य को अवधी भाषा की रचनाओं ने समृद्ध किया है। द्विजेंद्र तिवारी (संपादक एब्सोल्यूट इंडिया) ने कहा कि अवधी व भोजपुरी में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। मैं अवधी सम्मेलन सरीखे आयोजनों की निरंतरता की सिफारिश संयोजक प्रेम शुक्ल से करूंगा। हिंदी ऑफ मुंबई के संपादक ओमप्रकाश की राय में अवधी लोक संस्कृति को मजबूत करती है। हमारा महानगर के संपादक राघवेंद्र द्विवेदी के मुताबिक अवधी भाषा हमें आदर्श जीवन की शिक्षा देती है। इसके साहित्यकारों—कलाकारों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

अवधी सम्मेलन में ‘विकलांग की पुकार’ के अभय मिश्र के अतिथि संपादन में प्रकाशित अवधी गौरव विशेषांक का विमोचन भी किया गया। लोक काव्य संध्या में लोक गायिका सुश्री प्रिया द्विवेदी ने कवि जगदीश पीयूष की रचना का गायन किया फिर देवमणि पांडेय के संचालन में निर्झर प्रतापगढ़ी, मुरलीधर पांडेय, हृदयेश मयंक, ओमप्रकाश तिवारी, महेश दुबे, सुरेश मिश्रा, सैयद सादिक रिजवी व कमलेश पांडे ‘तरुण’ ने काव्य पाठ किया- ठंडी-ठंडी व्यथा कटी जब कारी-कारी रात वै/ हर खेत गावै, मनहर गीत प्रभात के।

महामंडलेश्वर जी का सम्मान माल्यार्पण, शॉल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह से प्रेम शुक्ल ने किया। जबकि अतिथियों का सम्मान गणेश पांडे, आचार्य पवन त्रिपाठी, आफताब आलम-संपादक पत्रकारिता कोश, गीतकार- गायक शिवजी पांडे ‘शिवम, सीए पंकज जायसवाल, प्राइड ऑफ बॉर्डर लाइन के मुंबई ब्यूरो धर्मेंद्र पांडेय, भाजपा नेता संजय सिंह सोमवंशी, पत्रकार राजेश एम. मिश्रा, अनिल पांडे, सरताज मेहदी (कार्यकारी संपादक -विकलांग की पुकार) डीएनए के वरिष्ठ पत्रकार मनीष पाठक द्वारा किया गया।

सम्मेलन में पं. रामजस उपाध्याय, डॉ. राधेश्याम तिवारी, राकांपा नेता अरविंद तिवारी, ‘उत्तर’ अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह, महाराष्ट्र रामलीला मंडल के महासचिव सुरेश डी मिश्र, अग्निशिला संपादक अनिल गलगली, संजय सिंह ठाकुर प्रा. दयानंद तिवारी, डॉ. वनमाली चतुर्वेदी, कवि खन्ना मुजफ्फरपुरी-मनोज द्विवेदी, लक्ष्मी यादव, नजमा मोभ, उत्पला अधिकारी, प्रो. अरुण सिंह, विनय मिश्र, प्रो. सरस पांडे, अमर त्रिपाठी, जीतेंद्र शर्मा, अनिल त्रिपाठी ‘कड़क’ आशीर्वाद के निदेशक डॉ. उमाकांत बाजपेयी, भारतीय विद्यार्थी सेना के सचिव राजेश दुबे, अनुष्का के संपादक व गीतकार रास बिहारी पांडेय, शायर हस्तीमल हस्ती व इमरोज आलम, तेजस्वी दुनिया के संपादक महेश शर्मा, कवि रवि यादव, अनुपम मेश्राम, निदेश बैसवारी, ब्रजनाथ, संजय अमन, श्याम सुंदर त्रिपाठी, जवाहर लाल नर्झार, कवयित्री गोदावरी झा, समाजसेवी निहाल अहमद व कमाल अहमद, साहित्य प्रेमी शफातुल हसन जैदी, व एलआर पांडेय, एडवोकेट डी पी मिश्रा, व बीपी पाठक, विद्युत ध्वनि के संपादक राकेश मणि तिवारी, एब्सोल्यूट इंडिया की पत्रकार नवीता स्वरूप, रिबिल्ड इंडिया के संपादक डॉ. रमाकांत क्षितिज, समेत सैकड़ों भाषा प्रेमी उपस्थित थे।

AFTAB ALAM
Editor – Patrakarita Kosh
(India's Ist Media Directory)

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