करीब ढाई सौ लोग आयोजन में पहुंचे. बैठने की व्यवस्था एक सौ तीस लोगों की थी. लोग आते और जाते रहे. प्रोग्राम खत्म होने के बाद भी लोग आते रहे. विष्णु नागर, बीरेंद्र सेंगर, आलोक समेत कई वरिष्ठ कनिष्ठ साथी प्रोग्राम खत्म होते होते पहुंचे थे. बेहद अनप्लांड किस्म का आयोजन था. पहले से कुछ भी तय नहीं, सिवाय मोटामोटी जुबानी यह तय करने के कि ये ये होना है और इन इन लोगों को इसमें शामिल करना है. व्याख्यान भी हुआ. सम्मान भी हुआ. और सूफी संगीत भी. सबने अपने अपने तरीके से इस आयोजन को लिया. कई साथियों को कमियां दिखीं, तो ज्यादातर ने कमियों के बावजूद आयोजन के तेवर व कंटेंट को सराहा.
उत्कर्ष सिन्हा जी ने अपने अंदाज में एक रिपोर्ट भेजा, जिसे प्रकाशित किया जा चुका है. उन सभी लोगों से अनुरोध है, जो इस आयोजन में शरीक हुए, कि वे अपने विचार सोच हिसाब से एक रिपोर्ट आयोजन के बारे में भेजें. फिलहाल वे चंद तस्वीरें, जो आयोजन के दौरान कुछ फोटोग्राफर साथियों ने खींची और भ़ड़ास के पास मेल कर दीं. हम आभारी हैं. अगर किसी के पास कोई और तस्वीर या वीडियो हो तो उसे जरूर भड़ास के पास भेजें ताकि औरों के साथ साझा किया जा सके. नीचे सिर्फ वो तस्वीरें हैं जो मंच के सामने की हैं. अन्य तस्वीरें अगली पोस्ट में. -यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया
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