प्रो. निशीथ राय का नाम हिंदी मीडिया में तब चर्चा में आया जब मायावती के जमाने में यूपी सरकार ने उनके अखबार, उनके लोगों और खुद उनका उत्पीड़न करना शुरू कर दिया. डेली न्यूज एक्टिविस्ट उर्फ डीएनए के नाम से प्रो. निशीथ राय के निर्देशन में लखनऊ और इलाहाबाद से यह दैनिक अखबार निकलता है. मायावती के राज में इस अखबार का डिक्लयेरशन तक नहीं होने दिया गया, नतीजा डीएवीपी नहीं हो पाया. प्रो. निशीथ राय का अखबार माया के जंगलराज की सच्चाई का लगातार खुलासा करता रहा और बदले में माया का क्रूर तंत्र उन्हें प्रताड़ित करने में जुटा रहा. उनके घर का सारा सामान सड़क पर फेंक दिया गया और उनके परिवार को बेघर कर दिया प्रशासन ने.
आफिस के दफ्तरों पर बिजली विभाग से लेकर कई तरह के विभागों ने छापे मारे ताकि किसी भी प्रकार इस अखबार को बंद कराया जा सके. मायावती के लोगों ने प्रो. निशीथ राय को अपने पक्ष में करने के लिए प्रलोभन से लेकर धमकी तक के रास्ते आजमाए पर इस शख्स ने न झुकना मंजूर किया और न हार जाना. भड़ास ने प्रो. निशीथ राय के संघर्ष को नजदीक से देखा और उनके जुझारू तेवर का हमेशा इस्तकबाल किया. उनके इस संघर्ष के कारण उन्हें भड़ास जुझारू मीडिया मालिक सम्मान से नवाजा गया. उनकी तरफ से यह सम्मान उनके अखबार के प्रधान संपादक डा. सुभाष राय ने ग्रहण किया. इस मौके की कई तस्वीरों नीचे पेश हैं. जाने माने पत्रकार और आयोजन के मुख्य अतिथि हरिवंश ने यह सम्मान अपने हाथों से प्रदान किया.
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