सम्मान क्या होता है? मेरी नजर में इससे ज्यादा कुछ नहीं होता कि आप किसी के अच्छे काम को रिकागनाइज करें और उस काम के बारे में कई लोगों के बीच तारीफ करें और इसके लिए हौसलाअफजाई करें. पर इस देश में सम्मान और एवार्ड अच्छे खासे धंधे का रूप ले चुका है. ढेर सारे संगठन और कंपनियां इस सम्मान और एवार्ड के खेल से करोड़ों अरबों की लाइजनिंग कर पाने में सफल होती हैं. इस धंधेबाजी के उलट भड़ास ने बिना किसी स्वार्थ सम्मान का एक ऐसा दौर शुरू किया है जिसमें वाकई उन लोगों को सम्मान दिया जाना शुरू हुआ है जो हमारी आपकी सबकी नजरों में अपने किसी अच्छे काम के कारण सम्मान के काबिल हैं. ये रीयल लाइफ के हीरोज हैं.
लक्ष्मण राव ऐसे ही शख्स हैं. वे दिल्ली में हिंदी भवन के बाहर फुटपाथ पर चाय बेचते हैं. चाय बनाने वाले स्टोव के पास ही उनकी ढेर सारी किताबें बिक्री के लिए जमीन पर रखी होती हैं. साथ ही कुछ तस्वीरें पेड़ की ओट लेकर खड़ी की जाती हैं जिसमें लक्ष्मण राव अपने किताब की प्रति राष्ट्रपति समेत कई बड़े नेताओं को भेंट करते हुए दिखते हैं. इन लक्ष्मण राव की एक लिखित एक किताब रामदास पर पिछले दिनों इंडिया हैबिटेट सेंटर में नाटक का आयोजन किया गया. लक्ष्मण राव यह प्रेरणा देते हैं कि बड़ा काम करने के लिए कोई भी आजीविका अपनाया जा सकता है. आप चाय बेचकर भी किताबें लिख सकते हैं और सम्मानित हो सकते हैं और आप तंदूरी चिकन की दुकान लगाकर भी अच्छी पत्रकारिता कर सकते हैं.
भड़ास के चौथे बर्थ डे के आयोजन में जो चाय आगंतुकों के लिए पेश की गई, उसे लक्ष्मण राव ने ही अपने हाथों से बनाया था. इन सौ चायों के लिए प्रति चाय पांच रुपये की दर लक्ष्मण राव ने बताई और भड़ास इस रकम को उन्हें प्रदान कर देगा. आप भी चाहें तो कभी उनकी दुकान पर जाकर उनके हाथों की चाय पी सकते हैं और उनकी किताबें देख खरीद सकते हैं. लक्ष्मण राव अदभुत आदमी हैं. उनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है. खासकर वे कुतर्की लोग ज्यादा सबक ले सकते हैं जो कुछ भी न करने के लिए ढेरों तर्क तैयार रखते हैं. लक्ष्मण राव को सम्मानित किया वरिष्ठ पत्रकार हरिवंश ने. पेश है मौके की कुछ तस्वीरें….
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