Connect with us

Hi, what are you looking for?

No. 1 Indian Media News PortalNo. 1 Indian Media News Portal

सुख-दुख...

b4m 5thbday : मनीष चाहें तो मैं उनसे बहस को तैयार हूं – अरविंद सिंह

Arvind K Singh : भड़ास फार मीडिया के पांचवीं वर्षगांठ पर मेरा भी जाना हुआ… शानदार आयोजन जिसमें मुझे तमाम ऐसे साथी मिले जो मेरे प्रेरक रहे हैं और भाई आनंद प्रधान जैसे पुराने मित्र भी मिले… आनंद प्रधान और कई अन्य वक्ताओं के ओजस्वी भाषण मुझे पसंद आए.. इस आयोजन के लिए भाई यशवंत और उऩकी टीम को बहुत बधाई और शुभकामनाएं… लेकिन उसी मौके पर श्री मनीष सिसौदिया ने मीडिया को लेकर बहुत सही गलत बातें कहीं… बहुत नकारात्मक छवि दिखाने की कोशिश की.. उनकी सारी बातें सुनीं..मन मसोस कर रह गया.

Arvind K Singh : भड़ास फार मीडिया के पांचवीं वर्षगांठ पर मेरा भी जाना हुआ… शानदार आयोजन जिसमें मुझे तमाम ऐसे साथी मिले जो मेरे प्रेरक रहे हैं और भाई आनंद प्रधान जैसे पुराने मित्र भी मिले… आनंद प्रधान और कई अन्य वक्ताओं के ओजस्वी भाषण मुझे पसंद आए.. इस आयोजन के लिए भाई यशवंत और उऩकी टीम को बहुत बधाई और शुभकामनाएं… लेकिन उसी मौके पर श्री मनीष सिसौदिया ने मीडिया को लेकर बहुत सही गलत बातें कहीं… बहुत नकारात्मक छवि दिखाने की कोशिश की.. उनकी सारी बातें सुनीं..मन मसोस कर रह गया.

मीडिया घरानों का कारपोरेटीकरण केवल उन संस्थाओं की नीतिगत देन नहीं है, उसमें दलाल पत्रकारों का बड़ा योगदान है… लेकिन ऐसे दलालों की संख्या सीमित है.. इनकी करनी को ही पत्रकारिता मान लेना अन्याय है… मनीष जी अब राजनीति में पांव रख चुके हैं और उनकी पत्रकारिता की उम्र भी सीमित रही है.. किसी एक संस्थान के अनुभव के आधार पर पूरी मीडिया पर उंगली उठाना ठीक नहीं… उनको भारत की मीडिया को समझने के लिए पहले पड़ोसी देशों यानि नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान और बंगलादेश की मीडिया की हालत को समझ लेना चाहिए… भारत में आज भी किसी पत्रकार के पास काम करने की गुंजाइश है.. एकतरफा आलोचना ठीक नहीं…आज मीडिया की बदौलत ही आम आदमी पार्टी खड़ी है.

रही बात ऐसे आंदोलनों के जनाधारों की..तो 1987 में मेरठ का किसान आंदोलन कवर करने पूरी दुनिया की मीडिया पहुंचा था… हमें लगता था कि भारत में नयी क्रांति आ रही है किसान उठ खड़ा हुआ है… लेकिन हालत यह हो गयी कि उसी के कुछ साल बाद ही भारत में किसानों की आत्महत्याएं शुरू हो गयीं… पत्रकार राजनेता बनें इसमें बुराई नहीं, लोकतंत्र में राजनीति के लिए सबको खुली छूट है… लेकिन सीमित जानकारी के आधार पर पत्रकारिता की गलत तस्वीर पेश करना एकदम ठीक नहीं है.. इस मसले पर मैं उनसे बहस करने के लिए तैयार हूं… मनीषजी चाहें तो मैं इस मसले पर उनसे बहस को तैयार हूं.. यह जानकारी देने के साथ कि राजनीति में आने के लिए मेरे पास थाली में परोसे मौके आए लेकिन मैंने पत्रकार बने रहना ही पसंद किया.

राज्‍यसभा टीवी के वरिष्‍ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह के एफबी वॉल से साभार.


tag- b4m 5thbday

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

… अपनी भड़ास [email protected] पर मेल करें … भड़ास को चंदा देकर इसके संचालन में मदद करने के लिए यहां पढ़ें-  Donate Bhadasमोबाइल पर भड़ासी खबरें पाने के लिए प्ले स्टोर से Telegram एप्प इंस्टाल करने के बाद यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia 

Advertisement

You May Also Like

विविध

Arvind Kumar Singh : सुल्ताना डाकू…बीती सदी के शुरूआती सालों का देश का सबसे खतरनाक डाकू, जिससे अंग्रेजी सरकार हिल गयी थी…

सुख-दुख...

Shambhunath Shukla : सोनी टीवी पर कल से शुरू हुए भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप के संदर्भ में फेसबुक पर खूब हंगामा मचा।...

विविध

: काशी की नामचीन डाक्टर की दिल दहला देने वाली शैतानी करतूत : पिछले दिनों 17 जून की शाम टीवी चैनल IBN7 पर सिटिजन...

प्रिंट-टीवी...

जनपत्रकारिता का पर्याय बन चुके फेसबुक ने पत्रकारिता के फील्ड में एक और छलांग लगाई है. फेसबुक ने FBNewswires लांच किया है. ये ऐसा...

Advertisement