मीडिया के बनियाकरण के खिलाफ, मीडिया में शोषण के खिलाफ आम मीडियाकर्मियों के सुख-दुख की आवाज बनकर प्रतिष्ठित हुए निष्पक्ष, बेबाक और तेवरदार न्यूज पोर्टल भड़ास4मीडिया के संचालन की चिंता अब इसके संस्थापक व संपादक यशवंत सिंह के दिलोदिमाग से निकल कर आम पत्रकारों के मन-मस्तिष्क में पहुंच रही है. लेकिन सक्रिय कम लोग हो रहे हैं. इस पोर्टल के संपूर्ण संचालन में हर महीने हो रहे लगभग डेढ़ लाख रुपये के खर्च का बोझ अगर इसके हजार पाठक भी आपस में बांट लें और हर महीने दो सौ रुपये के हिसाब से साल को बारह सौ रुपये का चेक भड़ास को भेज दें तो महीने के डेढ़ लाख रुपये की जगह हर महीने दो लाख रुपये भड़ास के पास इकट्ठा हो जाए.
भड़ास4मीडिया का संचालन निष्पक्ष रूप से होता रहे, किसी से विज्ञापन मांगने न जाना पड़े, किसी मीडिया हाउस या किसी सरकार के एहसान तले न दबा जाए, निष्पक्ष कहने की परंपरा को कायम रखने के लिए स्ववित्तपोषित माडल अपनाया जाए… इसी सोच के तहत भड़ास के पाठकों से भड़ास के संचालन के लिए सहयोग देने की मांग की गई. उस अपील के बाद से ढेर सारे लोगों ने अपनी हैसियत के मुताबिक हजार से लेकर पांच हजार, दस हजार, बीस हजार तक के चेक, नगद आदि भेजे हैं. दो अन्य पत्रकारों ने भी 3100 रुपये की मदद की है.
एक टीवी जर्नलिस्ट ने 2100 रुपये का चेक भड़ास4मीडिया के एडिटर यशवंत सिंह के नाम दिया. उन्होंने अपना नाम प्रकाशित न करने का अनुरोध किया हुआ है. फिलहाल हम यहां उनका नाम हटाकर सिर्फ चेक की तस्वीर प्रकाशित कर रहे हैं. रमेश सर्राफ नामक झुंझनू के एक जर्नलिस्ट, जो झुंझनू प्रेस क्लब के पदाधिकारी भी हैं, ने एक हजार रुपये का चेक यशवंत सिंह के नाम से भेजा है. इन्होंने चेक के साथ एक पत्र भी भेजा है, जिसे नीचे प्रकाशित किया जा रहा है. इन दोनों साथियों का भड़ास इसलिए भी आभारी है कि इन्होंने भड़ास के संकट को न सिर्फ महसूस किया बल्कि ऐसे मंच के निष्पक्ष संचालन के लिए अपना सक्रिय योगदान भी किया.
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