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भगत सिंह जन्म दिवस पर : हम कहेंगे इन्कलाब जिन्दाबाद

: 28 सितंबर पर विशेष : भगत सिंह को जानने का सबसे बेहतर तरीका होगा कि भगत सिंह के विचारों की उर्जा की कड़ी से हम जुड़ें जिससे जुड़ कर खुद भगत सिंह ने एक नए हिन्दुस्तान का सपना देखा था। 28 सितंबर लायलपुर बंगा में जन्म लेने वाले भगत सिंह ने शोषण विहीन समाज का सपना देख इंकलाब-जिन्दाबाद का नारा बुलंद करते हुए कहा कि हमारी लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक कि हमें लूटने वाले रहेंगे, फिर वो गोरे अंग्रेज हो या फिर विशुद्ध भारतीय। मानवीय संवेदना, मानवीय गरिमा और बराबरी का सपना लिए इन्कलाब-जिन्दाबाद का नारा बुलंद करने वाले मात्र 23 वर्षीय भगत सिंह और उनके साथियों ने आजादी की लड़ाई को एक नया रास्ता दिखाया और कहा कि इस क्रांति का इस शताब्दी में सिर्फ एक मतलब हो सकता है, वो है जनता के लिए जनता की राजनीतिक शक्ति हासिल करना!

: 28 सितंबर पर विशेष : भगत सिंह को जानने का सबसे बेहतर तरीका होगा कि भगत सिंह के विचारों की उर्जा की कड़ी से हम जुड़ें जिससे जुड़ कर खुद भगत सिंह ने एक नए हिन्दुस्तान का सपना देखा था। 28 सितंबर लायलपुर बंगा में जन्म लेने वाले भगत सिंह ने शोषण विहीन समाज का सपना देख इंकलाब-जिन्दाबाद का नारा बुलंद करते हुए कहा कि हमारी लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक कि हमें लूटने वाले रहेंगे, फिर वो गोरे अंग्रेज हो या फिर विशुद्ध भारतीय। मानवीय संवेदना, मानवीय गरिमा और बराबरी का सपना लिए इन्कलाब-जिन्दाबाद का नारा बुलंद करने वाले मात्र 23 वर्षीय भगत सिंह और उनके साथियों ने आजादी की लड़ाई को एक नया रास्ता दिखाया और कहा कि इस क्रांति का इस शताब्दी में सिर्फ एक मतलब हो सकता है, वो है जनता के लिए जनता की राजनीतिक शक्ति हासिल करना!

इसमें कोई शक नहीं कि मेहनत करने वाले मेहनत करने के बावजूद आज भी बुनियादी सुविधाओं से दूर है। रोजी-रोटी, शिक्षा, चिकित्सा के बिना करोड़ो जनता नारकीय जीवन जी रहे है। समाज में चौरतफा अराजकता है। दूसरी तरफ पूंजीपति, शोषक और समाज में घुन की तरह जीने वाले लोग अपनी सनक पूरी करने के लिए करोड़ो रूपये पानी की तरह बहा रहे हैं। आम आदमी का हक मारकर अपने ऐशो-आराम को पूरा करने वाले ये लोग किसी गोरे अंग्रेजो से कम नहीं हैं। इस तरह की भयानक विषमताएं समाज को अराजक स्थिति की ओर ले जा रहा है। आज नए समाज और नव मानव की गठन की जरूरत हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

मुकदमें के दौरान कोर्ट में भगत सिंह ने बेहद साफ तौर पर कहा था कि हम मानवता को प्यार करने में किसी से पीछे नहीं है। … हम प्राणीमात्र को हमेशा आदर की निगाह से देखते आए हैं… क्रान्ति के लिए खूनी लड़ाईया अनिवार्य नहीं हैं। न ही उसमें व्यक्तिगत हिंसा के लिए कोई स्थान, वह बम-पिस्तौल का जन सम्प्रदाय नहीं है। क्रान्ति से हमारा अभिप्राय है अन्याय पर आधारित समाज व्यवस्था में आमूल परिवर्तन। देश को एक आमूल परिवर्तन की जरूरत है। जब तक मनुष्य द्वारा मनुष्य, एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र का शोषण, जिसे साम्राज्यवाद कहते है, समाप्त नहीं होता तब तक मानवता को उसके क्लेशों से छुटकारा नहीं मिलेगा। क्रान्ति की इस पूजावेदी पर हमने अपने यौवन के दीप जलाए हैं, क्योंकि ऐसे आदर्श के लिए बड़े से बड़ा त्याग भी कम है।

भगत सिंह को तब के हालात और परिस्थतियों ने गढ़ा था। उन्होंने अपना रास्ता चुना था। तात्कालिक समाज के हालातों का अध्ययन कर उन्होंने अपने सार्थक विचारों को गढ़ा, कहा- आंखे बंद कर नहीं, समझ-बूझ कर, किसी विचार को अपनाएं।  आईए भगतसिंह के जन्म दिवस के मौके पर उनसे दोस्ती कर लें, इस वादे और इरादे के साथ कि शोषण के खिलाफ हम अपना संघर्ष तब तक जारी रखेंगे जब तक कि बराबरी पर आधारित समाज न रच लें…

तुम्हारी चांदनी में चलना है हमें

तुम्हारे चिंतन को जीना है

रहना है तुमसे मुखातिब सदा

और कहना है

इंकलाब जिदांबाद!

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वाराणसी से भास्कर गुहा नियोगी की रिपोर्ट. संपर्क: 09415354828
 

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