Connect with us

Hi, what are you looking for?

No. 1 Indian Media News PortalNo. 1 Indian Media News Portal

सुख-दुख...

भोपाल प्रेसपूल के बंगलों पर पत्रकारों और मीडिया हाउसों का अनधिकृत कब्जा, हाई कोर्ट ने दिए कार्यवाही के आदेश

भोपाल। पत्रकार कोटे के सरकारी मकानों के आवंटन में होने वाली गड़बड़ी और रिटायर हो जाने, तबादला हो जाने, पत्रकारिता छोड़ देने और यहां तक की मृत्यु हो जाने पर भी मकान खाली न कराए जाने को लेकर हाईकोर्ट जबलपुर मे दायर जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली डबल बेंच ने सरकार को 30 अप्रैल तक कार्रवाही के निर्देश दिए हैं। पिटीशनर श्रीप्रकाश दीक्षित ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान को पत्र लिख कर याचिका के मुददों पर दलीय हितों से उपर उठ कर बिना भय और पक्षपात के ईमानदारी से कार्रवाई का आग्रह किया है। यह भी उल्लेखनीय है की सीएजी की आडिट टीम ने इस कोटे से आवंटित 187 मकानों मे से अधिकांश को अनधिकृत कब्जा घोषित कर करोंडों रूपए की वसूली के निर्दश दे रखे हैं।

भोपाल। पत्रकार कोटे के सरकारी मकानों के आवंटन में होने वाली गड़बड़ी और रिटायर हो जाने, तबादला हो जाने, पत्रकारिता छोड़ देने और यहां तक की मृत्यु हो जाने पर भी मकान खाली न कराए जाने को लेकर हाईकोर्ट जबलपुर मे दायर जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली डबल बेंच ने सरकार को 30 अप्रैल तक कार्रवाही के निर्देश दिए हैं। पिटीशनर श्रीप्रकाश दीक्षित ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान को पत्र लिख कर याचिका के मुददों पर दलीय हितों से उपर उठ कर बिना भय और पक्षपात के ईमानदारी से कार्रवाई का आग्रह किया है। यह भी उल्लेखनीय है की सीएजी की आडिट टीम ने इस कोटे से आवंटित 187 मकानों मे से अधिकांश को अनधिकृत कब्जा घोषित कर करोंडों रूपए की वसूली के निर्दश दे रखे हैं।

यह जनहित याचिका जनसंपर्क विभाग से बतैर संयुक्त संचालक रिटायर हुए श्रीप्रकाश दीक्षित ने डेढ वर्ष से भी अधिक पहले दायर की थी। हाईकोर्ट ने इसे मंजूर कर सरकार को चार सप्ताह मे जवाब देने के निर्देश दिए थे। जब एक वर्ष बीत जाने पर भी सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया तब पिछले महीने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एएम खानविलकर और न्यायाधीश केके लाहौटी की डबल बेंच ने यह आदेश पारित किया की अपात्र लोंगों को सरकारी मकानों के आवंटन को लेकर याचिका मे उठाए गए मुददों का प्रकरण-दर-प्रकरण परीक्षण कर शीघ्र आवश्यक निर्णय लें। सरकार को यह भी निर्देश दिए गए हैं की इन निर्णयों की जानकारी पिटीशनर को 30 अप्रैल तक प्रषित करें।
 
हाईकोर्ट ने कार्रवाई की जवाबदारी प्रमुख सचिव, गृह को सौंपी है। श्री दीक्षित ने दस्तावेजों के साथ फैसले की सूचना प्रमुख सचिव, गृह को औपचारिक रूप से दे दी है। यह जानते हुए की मीडिया से जुडे इस मामले पर कार्रवाई मुख्यमंत्री की हरी झंडी मिलने के बाद ही हो पाएगी श्री दीक्षित ने इस फैसले के बारे मे एक पत्र द्वारा मुख्यमंत्री को भी अवगत करा दिया है। यह पत्र उन्होने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव को सौंपा है। श्री दीक्षित ने मुख्यमंत्री को याद दिलाया है की पत्रकार कोटे के आवासों के आवंटन के बारे मे खुद सरकार ने जो नियम बना रखे हैं उनमे से एक का भी पालन अब तक के किसी भी मुख्यमंत्री ने नहीं किया हैं। यह जानकारी गृह विभाग और जनसंपर्क विभाग ने सूचना के अधिकार के तहत प्रदान की है।
                                             
प्रेसपूल के मकान अधिकतम तीन साल तक के लिए ही एलाट किए जाते हैं। इसके बावजूद दशकों से पत्रकार इनमे विराजमान हैं। नियम है कि आवास आवंटन के लिए पत्रकारों की वरिष्ठता सूची बनाई जाएगी जो कभी नहीं बनी। नियम के मुताबिक एक उच्चस्तरीय कमेटी इस सूची के पत्रकारों मे से आवंटन के लिए चयन करेगी, लेकिन एक बार भी कमेटी बना कर मकान एलॉट नहीं किए गए। यह भी नियम है की जनसंपर्क विभाग से परामर्श के बाद ही आवंटन आदेश जारी किए जाएंगे। परामर्श की बात तो जाने दें इस विभाग के पास तो उन पत्रकारों की सूची तक नहीं है जिन्हे प्रेसपूल के आवास आवंटित हैं। प्रेसपूल के लिए डेढ सौ मकानों का कोटा है जबकि एलाट 187 हैं। सारी गडबडियां पत्रकारों के आवास आवंटन की शक्तियां केवल मुख्यमंत्री के हाथों मे केन्द्रित हो जाने से हो रही हैं। परिणाम यह है की आवंटन का पैमाना सीएम की व्यक्तिगत पसंद नापसंद तक सीमित हो कर रह गया है। पात्र, अपात्र और कृपा-पात्र की पहचान की कोई जरूरत नहीं समझी जाती है। यहां तक की आपकी मृत्यु के बाद भी परिजन आवास पर कब्जा बनाए रख सकते हैं।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता रहे श्री ललित श्रीवास्तव की मृत्यु हुए आठ साल हो गए पर समाचार भारती के संवाददाता के नाते अब भी बंगला एलाट है। श्री राज भारद्वाज और ज्ञानप्रकाश बाली को मरे भी सालों हो गए पर दोनो को बंगला एलाट है। पिछले चुनाव में शिवराजसिंह, महेन्द्रसिंह कांग्रेस प्रत्याशी थे। बीजेपी के कद्दावर नेता कैलाश सारंग के नाम भी पत्रकार कोटे से पुराने भोपाल मे बडा मकान एलाट है। युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे बंसीलाल गांधी भी दशकों से पत्रकार के रूप मे बंगला कबाडे हुए हैं। बीजेपी की सरकार आई तो इसके प्रवक्ता बिजेश लूणावत को पत्रकार कोटे से बंगला मिल गया। इनमे से बंसीलाल गांधी, महेन्द्र सिंह चैहान, जीपी बाली, नीरज मिश्र, एसएस अस्थाना, नर्बदा प्रसाद त्रिपाठी और सुरेन्द्र सिंघवी आदि से मकान खाली कराने की ढीली-ढाली कार्रवाई की गई तो वे हाईकोर्ट से स्टे ले आए। स्टे को भी बरसों हो गए पर उसे वैकेट कराने की हिम्मत सरकार अब तक नहीं जुटा पायी है।

जनहित याचिका और उसके जरिए हुए इस खुलासे के बाद की सीएजी की टीम ने पत्रकारों से करोंडों रूपए की वसूली निकाली है, सरकारी मकानों का सुख भोग रहे मीडिया के लोगो ने मुख्यमंत्री पर दबाव बनाना प्रारंभ किया। विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने चुनाव से एक महीने पहले नियमों मे संशोधन कर अनधिकृत आधिपत्य की अवधि की वसूली बाजार दर की दुगुनी राशि के बजाय सामान्य दर से करने का प्रावधान कर दिया है। इसका लाभ पत्रकारों के अलावा अन्य अशासकी आवंटियों को भी होगा जिनमे बडी संख्या नेताओं की है। अकेले प्रेसपूल के 187 मकानों पर 31-8-11 तक 14 करोड़ की वसूली निकाली गई थी जो अब 20 करोड़ रूपए से अधिक हो गई है।
                                 
प्रेसपूल के मकानों के लिए यह संशोधन किया गया है की पत्रकार आवास के लिए जनसंपर्क आयुक्त को आवेदन प्रस्तुत करेंगे जो उन्हें अपने मत के साथ गृह सचिव को प्रेषित करेंगे। अब प्रेसपूल के मकानों का कोटा भी 150 से बढ़ा कर 230 कर दिया गया है। जिन पत्रकारों के खुद के अथवा परिवार के किसी सदस्य के नाम भोपाल और कोलार पालिका मे निजी मकान हैं उन्हें सरकारी मकान नहीं मिल सकेंगे।
                               
सरकार द्वारा किए गए संशोधन के परिप्रेक्ष्य मे मांग की गई है की मीडिया के आफिसों और अखबार मालिकों आदि को छूट प्रदान न की जाए। इस समय 18 शासकीय बंगले मीडिया आफिसों को एलाट हैं। इनमें बिड़ला का अखबार हिंदुस्तान टाईम्स, जी न्यूज चैनल, पीटीआई ओर यूएनआई, नई दुनिया, लोकमत, स्टेटसमैन और फ्री प्रेस जैसे बडे ग्रुप, नवीन दुनिया जबलपुर, स्वदेश इंदौर, अमृत संदेश रायपुर, अवंतिका उज्जैन चैथा संसार इंदौर, अमृत मंथन और प्रजामित्र जैसे गुमनाम तथा विश्व संवाद केन्द्र और हम समवेत जैसे अनजान संस्थान शामिल हैं। इनमें से अधिकांश बंगले मालिकों और उनके कारिंदों द्वारा गेस्ट हाउस के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
                                 
प्रेसपूल के मकानों की मानिटरिंग न होने के कारण अनेक पत्रकार रिटायर हो जाने पर भी सरकारी मकानों में जमे हैं। अनेक पत्रकार तबादले पर चले गए पर मकान नहीं छोड़ा और जुगाड़ लगा कर फिर वापस भोपाल आ गए। मकान के लोभ में कई पत्रकारों ने अपना कैरियर चैपट कर लिया। कुछ पत्रकार अपने निजी मकान मे चले गए हैं पर सरकारी मकान पर कब्जा बरकरार है। ऐसे ही एक पत्रकार ने सरकारी मकान पर अपनी कई दुकानों के बोर्ड लटका दिए हैं।

                         दैनिक पत्रिका, भोपाल में 23.12.2012 को छपी ख़बर
                                     
श्रीप्रकाश दीक्षित द्वारा मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान को भेजा गया पत्र
                                                   
26फरवरी, 2014
माननीय मुख्यमंत्री जी,
मध्यप्रदेश।

विषयः- पत्रकार कोटे के मकानों की अराजक स्थिति ।
संदर्भः- मेरी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट जबलपुर का आदेश।  

मान्यवर,
       निवेदन
है की प्रेसपूल से एलॉट किए गए सरकारी मकानों को लेकर भोपाल मे लगभग अराजक स्थिति है। इस कोटे के मकानों के आवंटन के लिए बनाए गए एक भी नियम का कभी भी पालन नहीं किया गया है। प्रदेश के गृहमंत्री शासकीय सेवकों को आवंटित मकानों की तो हमेशा मानिटरिंग करते रहे हैं और बेदखली के निर्देश संबंधी प्रेसनोट अखबारों मे छपवाते रहे हैं, पर इस कोटे के मकानों की मानिटरिंग का साहस वे कभी नहीं जुटा पाए? इस कोटे की आड़ मे मकानों की खूब बंदरबांट होती रही है। बिडला आदि मीडिया ग्रुप को पत्रकार के नाम पर आफिस के लिए बंगले एलाट किए गए हैं। नेताओं को पत्रकार बना कर सरकारी मकानों का सुख दिलाया जा रहा है।

मीडिया से जुडे विभाग से रिटायर होने के बाद मैने इस बारे मे सूचना के अधिकार से जानकारी हासिल कर डेढ बरस पहले हाईकोर्ट मे जनहित याचिका दायर की थी। सरकार से इस याचिका पर कोई जवाब देते नहीं बना। इस पर कोर्ट ने पिछले महीने एकतरफा आदेश पारित कर दिया है। आदेश मे याचिका में उठाए गए मुददो पर आवश्यक कार्रवाई कर 30-04-2014 तक मुझे अवगत कराने की जवाबदारी प्रमुख सचिव, गृह को सौंपी गई है।
        
मैं अच्छी तरह जानता हूं की मीडिया से जुडे इस संवेदनशील मुददे पर कोई भी फैसला आपके ही दरबार में होना है। इसलिए औपचारिक रूप से प्रमुख सचिव, गृह का दस्तावेजों के साथ सूचित करने के बाद इस पत्र द्वारा आपसे विनती कर रहा हूं की याचिका में मेरे द्वारा उठाए प्रत्येक मुददे पर दलीय हितों से परे होकर बिना भय और पक्षपात के पूरी ईमानदारी से कार्रवाई करने की कृपा करें।

भवदीय

Advertisement. Scroll to continue reading.

श्रीप्रकाश दीक्षित
एचआईजी-108,गोल्डन वैली हाईटस
आशीर्वाद कालोनी के पीछे,कोलार रोड
भोपाल-462042  
मोबाईल-9893268142

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

… अपनी भड़ास [email protected] पर मेल करें … भड़ास को चंदा देकर इसके संचालन में मदद करने के लिए यहां पढ़ें-  Donate Bhadasमोबाइल पर भड़ासी खबरें पाने के लिए प्ले स्टोर से Telegram एप्प इंस्टाल करने के बाद यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia 

Advertisement

You May Also Like

विविध

Arvind Kumar Singh : सुल्ताना डाकू…बीती सदी के शुरूआती सालों का देश का सबसे खतरनाक डाकू, जिससे अंग्रेजी सरकार हिल गयी थी…

सुख-दुख...

Shambhunath Shukla : सोनी टीवी पर कल से शुरू हुए भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप के संदर्भ में फेसबुक पर खूब हंगामा मचा।...

विविध

: काशी की नामचीन डाक्टर की दिल दहला देने वाली शैतानी करतूत : पिछले दिनों 17 जून की शाम टीवी चैनल IBN7 पर सिटिजन...

प्रिंट-टीवी...

जनपत्रकारिता का पर्याय बन चुके फेसबुक ने पत्रकारिता के फील्ड में एक और छलांग लगाई है. फेसबुक ने FBNewswires लांच किया है. ये ऐसा...

Advertisement