पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के इलाके में बिरहा एक ऐसी गायन शैली है जिसमें किसी एक पौराणिक या सामाजिक या सम-सामयिक घटनाक्रम को कथा के रूप में शुरू से लेकर अंत तक सविस्तार सुनाया जाता है और इस दौरान विविध किस्म के धुनों, गानों, कोरस का सहयोग लिया जाता है. आसाराम कांड भी अब बिरहा का हिस्सा बन गया है.
आसाराम के गंदे काम पर हालिया बने इस बिरहा को गाया है बलिया के मशहूर युवा बिरहा गायक राज विजय यादव ने. बलिया के ही रहने वाले और बीएसएफ में कार्यरत जनार्दन यादव ने कथा संकलन का कार्य किया. इस गद्य रूपी संकलन को पद्य रूपी रचना का सटीक रूप दिया तेजन सिंह यादव ने.
बिरहा के शुरुआत में परिचय का क्रम शुरू होने के दौरान दो पत्रकारों दीपक चौरसिया और यशवंत सिंह का जिक्र आता है. दीपक चौरसिया का जिक्र इसलिए आता है क्योंकि उन्होंने अपने प्रयासों के जरिए आसाराम के प्रकरण को न सिर्फ तूल दिया बल्कि आसाराम के ढेर सारे गुनाहों के कच्चे चिट्ठे का पर्दाफाश किया. भड़ास के यशवंत का जिक्र इसलिए आता है क्योंकि उन्होंने इस बिरहा के निर्माण के दौरान कई मामलों पर इनपुट प्रदान किया, साथ ही आसाराम प्रकरण पर लगातार पीड़ितों का पक्ष लिया.
तो लीजिए आप भी इस बिरहा को सुनिए और बिरहा गायन की लोक शैली का आनंद उठाते हुए भोजपुरी भाषा को समझिए. आसाराम की करतूत कैसे अब लोक गायिकी का हिस्सा बनकर जनजागरण का काम कर रही है, इसे जानिए…
इस बिरहा के एक श्रोता Santosh Singh फेसबुक पर अपनी टिप्पणी में लिखते हैं: ''बिरहा लोक गायिकी का एक मजबूत अंग है और समाज के वैसे हिस्से में ज्यादा सुना जाता है, जिसे आज जागरूकता की सबसे ज्यादा जरूरत है.. अन्धविश्वास और पोंगापंथ के खिलाफ लोक-संगीत द्वारा यह जनजागरण का काम काबिल-ए-तारीफ है.''
भड़ास तक अपनी बात, प्रतिक्रिया [email protected] पर मेल करके पहुंचा सकते हैं.