महज कुछ साल पहले लांच हुआ एक प्रादेशिक न्यूज़ चैनल शुरुआत में जन-समस्याओं जोर-शोर से उठा कर सपा सरकार को कटघरे में खड़ा करने के चलते प्रदेश में खूब सुर्खियां बटोर रहा था। पर अब दिन पर दिन चैनल सपामय होता दिख रहा है। अभी हाल ही में इस चैनल के प्रदेश मुख्यालय पर काम करने वाले एक पत्रकार ने चैनल के सीईओ की सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ एक मीटिंग फिक्स कराई, जिसमे मुख्यमंत्री और चैनल मालिक के बीच एक डील हुई।
इस डील के चलते सरकार के विरोध में खड़ा रहने वाला ये चैनल अब सपामय हो चला है। इतना ही नहीं इस चैनल के अंदर खाने की अगर बात की जाये तो चैनल के सीईओ को खनन माफिया कहा जाता है। चैनल की देखरेख का पूरा दरोमदार चैनल के सीईओ के एक रिश्तेदार पर है जो पुलिस से मित्रता रखना अधिक पसंद करता है। सपा के किसी नेता या सीईओ के रिश्तेदार का अगर कोई पुलिस वाला मित्र है तो उसके खिलाफ भी कोई खबर उनके चैनल पर नहीं दिखेगी।
शुरुआत में लगातार चैनल बुलंदियों पर रहा, लिहाजा चैनल के सर्वोसर्वा माने जाने वाले उस रिश्तेदार ने बारी-बारी कुछ चमचो की चमचागिरी और कान भरने वालो के चलते एक-एक कर उन सभी पर अपना हंटर चलाया जो उन चमचो की उगाही में आड़े आ रहे थे। जिन्होने इस चैनल को खड़ा करने में अपनी अहम् भूमिका निभाई, अनको चैनल खड़ा होने पर उनकी मेहनत का यह फल मिला की वो संस्थान से बाहर हो गए।
मौजूदा समय में चैनल में काम कर रहे कुछ विशेष लोग स्ट्रिंगरों से उगाही करवाने के लिए समय-समय पर तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे है। इसके चलते कई जिलो के स्ट्रिंगर अब तक चैनल छोड़ चुके हैं, तो कई ऊपर बैठे लोगों ने भी इस नीच हरकत के चलते अपनी नौकरी छोड़ना बेहतर समझा। आलम ये है की एक-दो को अगर अलग कर दिया जाये तो चैनल बस राम भरोसे ही चल रहा है। (कानाफूसी)
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।