देहरादून, 16 फरवरी। नगर निगम के प्रेक्षागृह में जर्नलिस्ट एसोसिएशन ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट देहरादून के तत्वाधान में, उत्तराखंड में आई आपदा के दौरान जान की बाज़ी लगाकर राहत कार्य करने वाले अनेक आईएएस, आईपीएस, राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों और समाजसेवियों को सूबे के मुख्यमंत्री हरीश रावत के हाथों स्वर्गीय मदनमोहन वर्मा सम्मान प्रदान किया गया। श्री रावत ने मध्य प्रदेश के जीतेन्द्र सोनी को यह सम्मान, इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया में, खोजी पत्रकारिता में विशेष योगदान के लिए प्रदान किया। इसके अतिरिक्त आईएएसई डीम्ड विश्व-विद्यालय के चांसलर कनकमल दूगड़ को लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान तथा सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वरी पाठक और सद्भावना सेवा संस्थान के चेयरमैन अनिल सिंह को उत्कॄष्ट सम्मान से नवाजा गया। अनिल सिंह समूचे हिंदुस्तान में निशुल्क एम्बुलेंस सेवा प्रदान कर रहे है तथा उत्तराखंड में आपदा रहत के लिए उन्होंने विशेष रूप से अपनी टीम लगा रखी थी। श्री दूगड़ को जर्नलिस्ट एसोसिएशन की पहल पर उनके हारमनी प्रोजेक्ट के लिए मुख्यमंत्री के हाथों एक लाख रुपये का चेक भी प्रदान किया गया। भारतीय क्रिकेट टीम के गेंदबाज़ मोहम्मद शमी के पिता तौफ़ीक़ अहमद ने एक लाख रुपये का चेक आपदा रहत कोष के लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत को सौपा।
उत्तराखंड में आयी भीषण आपदा के वक़्त राहत कार्य करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले स्वर्गीय अजय अरोड़ा और स्वर्गीय बुधिसिंह को भी मरणोपरांत सम्मानित किया गया। उर्दू पत्रकारिता के क्षेत्र में श्री तहसीन मुनव्वर को सम्मानित किया गया। श्री मुनव्वर उर्दू पत्रकारिता के इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट दोनों ही विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर माने जाते है। वे लेखक, एक्टर और गीतकार भी है। उनकी शायरी को पूरी दुनिया में सराहा जाता है। वे चार रेलमंत्रियों के सलाहकार भी रह चुके है। गढ़वाल रेंज के पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंजाल(आईपीएस ), दिलीप जावलकर(आईएएस), वीबीआरसी पुरुषोत्तम(आईएएस), देहरादून के एसपी शहर नवनीत भुल्लर, एसपी देहात मणिकांत मिश्रा, किच्छा के विधायक राजेश शुक्ल, पत्रकार रवींद्र श्रीवास्तव और हनुमंत राव, समाजसेवी लाता सिंह, गायक नरेंद्र सिंह नेगी, राजपाल बिष्ट, देवेन्द्र सिंह रावत और विक्रम सिंह को भी सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा स्वर्गीय मदनमोहन वर्मा की तस्वीर पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्जवलित कर किया। स्वर्गीय वर्मा के व्यक्तित्व का परिचय देते हुए वयोवृद्ध समाजसेवी अविनाश कुमार गुप्ता ने कहा कि बिहार के सिताबदियारा में जन्मे वर्मा जी नैनीताल की तराई के शेर थे। वह लोकनायक जयप्रकाश नारायण के पौत्र थे तथा फ़िरोज़ गांधी के अभिन्न मित्र भी थे। दोनों ने नेशनल हेराल्ड में साथ-साथ काम किया था। 1957 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ संपूर्णानंद ने गोविन्दबल्लभ पंत की सलाह पर उन्हें पत्रकारिता छोड़कर नैनीताल की तराई को आबाद करने के लिए किच्छा भेजा। स्वर्गीय वर्मा ने तराई के जंगलों में जंगली जानवरों और मच्छरों के बीच रहकर उस जंगली क्षेत्र को अपने सहयोगियों कि मदद से आबाद किया। भूमिहीनों को जमीन आवंटित कर कृषि के क्षेत्र में एक नई धारा का प्रतिपादन किया। आचार्य नरेंद्र देव के शिष्य श्री वर्मा समरस समाज के निर्माण हेतु प्रयास करते हुए महज 40 वर्ष की अवस्था में इस दुनिया को अलविदा कह गए। वह स्वतंत्रता सेनानी भी थे तथा 15 वर्ष की अल्पायु में अंग्रेजो का विरोध करने पर जंल में डाल दिए गए थे। आज़ादी के बाद उन्होंने पत्रकारिता को अपना पेशा चुना लेकिन उनकी नियति में समाजसेवा लिखी थी। मुख्यमंत्री रावत ने अपने उदबोधन में श्री वर्मा को याद करते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही। मंच पर मुख्यमंत्री के अतिरिक्त देहरादून के महापौर विनोद चमोली, किच्छा के विधायक राजेश शुक्ला, स्वर्गीय वर्मा के पुत्र रविकांत वर्मा, टीम इंडिया के क्रिकेटर मोहम्मद शमी के पिता तौफ़ीक़ अहमद, जर्नलिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल गम्भीर, मुख्य संयोजक अखिलेश व्यास, संस्थापक एवं पॉजिटिव मीडिया ग्रुप के प्रबंध निदेशक राकेश भाटी और कार्यक्रम अध्यक्ष राष्ट्रीय सहारा के संपादक दिलीप चौबे उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान प्रेक्षागृह नौकरशाहों, समाजसेवियों और पत्रकारों से खचाखच भरा हुआ था। कार्यक्रम का संचालन डॉ सुरेन्द्र पाठक ने किया।
कुबूल अहमद की रिपोर्ट। संपर्कः [email protected]