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भाजपा ने घोषणा पत्र में विवादित मुद्दे शामिल कर चला ध्रुवीकरण का दांव

भाजपा का बहुप्रतीक्षित चुनावी घोषणा पत्र आखिर आ ही गया। पूरे चुनाव अभियान में पार्टी के ‘पीएम इन वेटिंग’ नरेंद्र मोदी महीनों से अपनी पहचान विकास के एजेंडे पर बनाने के लिए लगे रहे हैं। वे बार-बार गुजरात के विकास मॉडल की दुहाई भी देते हैं। यह वायदा करते हैं कि उनकी सरकार बनी, तो पूरे देश में गुजरात के विकास मॉडल को लागू करने की कोशिश करेंगे। चुनावी घोषणा पत्र पार्टी के दिग्गज नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई में तैयार हुआ है। इसमें तमाम सपनीले वायदों के साथ ही अयोध्या के विवादित राम मंदिर मुद्दे का जिक्र किया गया है। संकल्प जताया गया है कि संविधान के दायरे के अंदर राम-मंदिर बनवाने की कोशिश की जाएगी। इसी तरह धारा-370 के मुद्दे को भी कुरेद दिया गया है। कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के लिए इस संवैधानिक प्रावधान पर नए सिरे से बहस कराने की जरूरत है। ताकि, स्थाई रूप से जम्मू-कश्मीर की समस्या का निदान हो सके। अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में भाजपा नेतृत्व ने इन विवादित मुद्दों को अपने एजेंडे से दूर कर दिया था। लेकिन, अब नए सिरे से इनकी सुगबुगाहट शुरू करा दी गई है। इससे सियासी हल्कों में जेर-ए-बहस तेज हो गई है।

भाजपा का बहुप्रतीक्षित चुनावी घोषणा पत्र आखिर आ ही गया। पूरे चुनाव अभियान में पार्टी के ‘पीएम इन वेटिंग’ नरेंद्र मोदी महीनों से अपनी पहचान विकास के एजेंडे पर बनाने के लिए लगे रहे हैं। वे बार-बार गुजरात के विकास मॉडल की दुहाई भी देते हैं। यह वायदा करते हैं कि उनकी सरकार बनी, तो पूरे देश में गुजरात के विकास मॉडल को लागू करने की कोशिश करेंगे। चुनावी घोषणा पत्र पार्टी के दिग्गज नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई में तैयार हुआ है। इसमें तमाम सपनीले वायदों के साथ ही अयोध्या के विवादित राम मंदिर मुद्दे का जिक्र किया गया है। संकल्प जताया गया है कि संविधान के दायरे के अंदर राम-मंदिर बनवाने की कोशिश की जाएगी। इसी तरह धारा-370 के मुद्दे को भी कुरेद दिया गया है। कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के लिए इस संवैधानिक प्रावधान पर नए सिरे से बहस कराने की जरूरत है। ताकि, स्थाई रूप से जम्मू-कश्मीर की समस्या का निदान हो सके। अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में भाजपा नेतृत्व ने इन विवादित मुद्दों को अपने एजेंडे से दूर कर दिया था। लेकिन, अब नए सिरे से इनकी सुगबुगाहट शुरू करा दी गई है। इससे सियासी हल्कों में जेर-ए-बहस तेज हो गई है।

कांग्रेस के चर्चित महासचिव दिग्विजय सिंह कहते हैं कि जिस तरह से एक बार फिर विवादित मुद्दों को भाजपा ने छेड़ दिया है, इससे साफ है कि इस पार्टी के इरादे क्या हैं? पिछले कई दिनों से इनके लोग मुजफ्फरनगर दंगों आदि के बहाने भड़काऊ टिप्पणियां कर रहे हैं। इस पार्टी के एक महासचिव अमित शाह ने तो खुलकर लोगों से चुनाव में भाजपा के पक्ष में वोट देकर बदला लेने की बात कही है। उन्होंने साफ तौर पर सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण का अलाप लगाया है। चुनाव आयोग को इसका तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। रही-सही कसर घोषणा पत्र में पूरी कर दी गई है। हमें तो पहले से ही पता था कि ये लोग वोटों की खेती के लिए इस तरह का हथकंडा अपनाएंगे ही। क्योंकि, टीम मोदी इसी राजनीति को जानती है। इनका गुजरात का ट्रैक रिकॉर्ड भी तो यही रहा है। इनका विकास मॉडल तो महज छलावाभर है।

कांग्रेस प्रवक्ता अमि यग्निक ने घोषणा पत्र के समय को लेकर आपत्ति की है। भाजपा ने घोषणा पत्र सोमवार की सुबह जारी किया। जबकि, असम और त्रिपुरा की छह सीटों में मतदान शुरू हो चुका था। सोमवार को ही चुनाव के पहले चरण का आगाज हुआ है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि चुनाव आयोग के निर्देशों को ठेंगा दिखाकर भाजपा ने अपना घोषणा पत्र जारी किया है। इसकी जमकर टीवी मीडिया में भी राष्ट्रव्यापी चर्चा हुई है। जबकि, मतदान के मौके पर इस तरह का राजनीतिक कृत्य वांछित नहीं है। लेकिन, भाजपा ने आयोग के निर्देशों की परवाह नहीं की। कांग्रेस के लीगल सेल के प्रमुख के सी मित्तल कहते हैं कि मतदान के बीच घोषणा पत्र जारी करना सरासर आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।

इस मामले की शिकायत वे लोग चुनाव आयोग से कर रहे हैं। इस विवाद के बारे में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने चुप्पी साध ली है। 52 पृष्ठों के जारी किए गए घोषणा पत्र में विभिन्न मुद्दों पर देश को बड़े हसीन सपने दिखाए गए हैं। यह बताने की कोशिश की गई है कि मोदी की सरकार आई, तो कैसे पांच सालों के अंदर देश का कायाकल्प हो जाएगा। हर क्षेत्र के लिए बड़े-बड़े वायदे किए गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने मीडिया को जानकारी दी कि कैसे उनकी टीम ने देश के कई क्षेत्रों से मिले इनपुट का विश्लेषण करके घोषणा पत्र का दस्तावेज तैयार किया है? इसमें लगभग हर क्षेत्र का कुछ-न-कुछ जिक्र जरूर किया गया है।

डॉ. जोशी, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मानव संसाधन मंत्री थे। उन्होंने उच्च शिक्षा क्षेत्र में आई गुणवत्ता की गिरावट पर चिंता जताई है। वायदा किया है कि भाजपा की सरकार आई, तो उच्च शिक्षा को वैश्विक स्तर पर लाने के लिए विशेष कार्य योजना चलाई जाएगी। तस्वीर इस तरह की खींची गई है, जैसे सरकार आते ही उच्च शिक्षा की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छलांग लगाने लगेगी। सवाल यह है कि डॉ. जोशी पांच साल शिक्षा विभाग के ही मंत्री रहे हैं, तो उनके कार्यकाल में उच्च शिक्षा का कायाकल्प क्यों नहीं हो पाया था? अब भाजपा के पास कौन-सी जादू की छड़ी आ जाएगी, जिसके चलते इतना बड़ा बदलाव आ जाएगा?
 
घोषणा पत्र में बाबा रामदेव के खास मुद्दे काले धन को शामिल किया गया है। जोर दिया गया है कि इसके लिए एक ‘नेशनल टास्क फोर्स’ बनेगा, ब्लैक मार्केटिंग रोकने के लिए विशेष अदालतों का भी प्रावधान किया जाएगा। आतंकवाद के लिए एक अलग कानून बनेगा, तो पुलिस रिफॉर्म में काफी जोर रहेगा। मनरेगा को भी कृषि से जोड़ने की योजना रहेगी। हर गांव में ऑप्टीकल फाइबर का नेटवर्क पहुंचेगा, ताकि गांव में भी इंटरनेट का प्रयोग बढ़ सके। चीन की तर्ज पर लघु उद्योगों को बढ़ाने का भी वायदा है। योग, आयुर्वेद व ह्यमोपैथ के लिए नए कोर्स चलाए जाएंगे। जड़ी-बूटी से दवाएं बनाने पर खास जोर रहेगा। इस तरह के तमाम लुभावने वायदों की झड़ी लगा दी गई है। एक बारगी घोषणा पत्र पर नजर डालने में यही लगता है कि यदि भाजपा सत्ता में आ गई, तो वाकई में ‘इंडिया शाइनिंग’ का आगाज हो सकता है। यह अलग बात है कि भाजपा वालों को तो 2004 में ही ‘इंडिया शाइनिंग’ का मुगालता हो गया था। 2004 के चुनाव में भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए ने ‘इंडिया शाइनिंग’ का ही प्रमुख चुनावी नारा दिया था, जो कि बाद में फ्लॉप शो साबित हुआ।
 
बसपा
नेता सुधींद्र भदौरिया कहते हैं कि इस घोषणा पत्र में राम मंदिर और धारा-370 का जिक्र करके भाजपा नेतृत्व ने अपने इरादों का संकेत दे दिया है। ये लोग इन्ही विवादित मुद्दों पर सांप्रदायिक राजनीति का ‘खेल’ खेलने वाले हैं। इनके नेता अमित शाह और वसुंधरा राजे ने अपनी हाहाकारी टिप्पणियों से पहले ही इस खेल की शुरुआत कर दी है। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा ने टुकड़े-टुकड़े काटने की बात कर दी, तो अमित शाह ने मुजफ्फरनगर के दंगों के बहाने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का खेल शुरू कर दिया है। उन्होंने खुले आम लोगों से कह दिया है कि बदला लेने के लिए भाजपा के पक्ष में चुनावी बटन दबा दो। ऐसे में, यह समझने की जरूरत है कि इनका घोषणा पत्र सांप्रदायिक राजनीति के लिए ही है। बाकी, बातें तो सियासी लफ्फाजी भर मानी जानी चाहिए। सुधींद्र का तो आरोप है कि भाजपा और सपा के बीच यूपी में सियासी मैच फिक्स रहता है। ये लोग एक-दूसरे के लिए चुनावी जमीन तैयार करने में लगे हैं। मुलायम सिंह पहले भी धुर सांप्रदायिक चरित्र वाले नेता कल्याण सिंह को अपनी पार्टी में लाल टोपी पहनाकर ले आए थे। अब वही कल्याण सिंह बताते घूम रहे हैं कि कैसे उन्होंने अयोध्या मुद्दे के लिए अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर लात मारी थी?

जदयू के महासचिव केसी त्यागी का मानना है कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में अयोध्या में वहीं पर राम मंदिर बनाने का संकल्प जताकर आम सहमति की राजनीति का जनाजा निकाल दिया है। देश में तंगहाली के चलते पिछले सालों में चार से पांच लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं। लेकिन, इसकी फिक्र इनके घोषणा पत्र में कहीं नहीं दिखाई पड़ी। जबकि, ये लोग राम मंदिर और धारा-370 को नए सिरे से तूल देकर कोशिश कर रहे हैं ताकि देशभर में सांप्रदायिकता की राजनीति भड़के। केसी त्यागी ने तो भाजपा के मेनिफेस्टो को ‘मोदी फेस्टो’ करार किया है। कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया है कि भाजपा का घोषणा पत्र तो कांग्रेस की नकल है। इस पर भाजपा प्रवक्ता संवित पात्रा कहते हैं कि एक तरफ कांग्रेस के नेता कटाक्ष कर रहे हैं कि यह ‘मोदी फेस्टो’ है। दूसरी ओर कह रहे हैं कि इन लोगों ने कांग्रेस के घोषणा पत्र की नकल मार ली है। ऐसे में, सवाल है कि क्या कांग्रेस का घोषणा पत्र भी नरेंद्र मोदी ने तैयार किया है? यदि भाजपा का घोषणा पत्र कांग्रेस की नकल है, तो ’मोदी फेस्टो’ कैसे हो गया?

 

लेखक वीरेंद्र सेंगर डीएलए (दिल्ली) के संपादक हैं। इनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है।

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