Connect with us

Hi, what are you looking for?

No. 1 Indian Media News PortalNo. 1 Indian Media News Portal

दिल्ली

कॉर्पोरेट मालिकों ने अपने चैनलों से कहा है मोदी विरोध से बचें

झाड़ू लेकर घूमने वाले केजरीवाल और उनके साथियों को इस बात की कोई उम्मीद ही नहीं थी कि वह पहले ही चुनाव में दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो जाएंगे। आम आदमी पार्टी(आप) अभी मात्र एक वर्ष पहले ही अस्तित्व में आई है। भले ही यह बीजेपी और कांग्रेस की सोची समझी रणनीति रही हो कि आप को दिल्ली के तख़्त पर बिठाकर चारों ओर से घेर लिया जाये और आप अभिमन्यु की तरह इस चक्रव्यूह में फंस तो जाये पर निकले परास्त होकर ही। इस नई पार्टी ने कांग्रेस और भाजपा से लेकर सभी क्षेत्रीय दलों तक में एक बेचैनी सी पैदा कर दी है। आप आगामी चुनाव में क्या भूमिका निभाएगी यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन इतना ज़रूर है कि शुरुआत में ही पार्टी ने एक भी नेता और उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे बिना भारत का राजनीतिक परिदृश्य बदल दिया है। भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार डॉ. हर्षवर्धन मुख्यामंत्री न बन पाने के कारण बुरी तरह बौखलाए हुए हैं। वे हर दिन कुछ भी ऊल-जलूल प्रतिक्रिया देते पाये जाते हैं।

झाड़ू लेकर घूमने वाले केजरीवाल और उनके साथियों को इस बात की कोई उम्मीद ही नहीं थी कि वह पहले ही चुनाव में दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो जाएंगे। आम आदमी पार्टी(आप) अभी मात्र एक वर्ष पहले ही अस्तित्व में आई है। भले ही यह बीजेपी और कांग्रेस की सोची समझी रणनीति रही हो कि आप को दिल्ली के तख़्त पर बिठाकर चारों ओर से घेर लिया जाये और आप अभिमन्यु की तरह इस चक्रव्यूह में फंस तो जाये पर निकले परास्त होकर ही। इस नई पार्टी ने कांग्रेस और भाजपा से लेकर सभी क्षेत्रीय दलों तक में एक बेचैनी सी पैदा कर दी है। आप आगामी चुनाव में क्या भूमिका निभाएगी यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन इतना ज़रूर है कि शुरुआत में ही पार्टी ने एक भी नेता और उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे बिना भारत का राजनीतिक परिदृश्य बदल दिया है। भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार डॉ. हर्षवर्धन मुख्यामंत्री न बन पाने के कारण बुरी तरह बौखलाए हुए हैं। वे हर दिन कुछ भी ऊल-जलूल प्रतिक्रिया देते पाये जाते हैं।

अभी तक सभी पार्टियों के बड़े नेता आप से बहुत कुछ सीखने के लिए उतावले थे। अब सिर्फ एक महीने के कार्यकाल में केजरीवाल सरकार को हर वक्त बहुत बुरी तरह से उनकी असफलताओं का आभास कराते हैं लेकिन आजादी के छियासठ साल तक भारतीय राजनीति को, गन्दगी के इस मुकाम तक पहुँचाने में अपनी भूमिका नहीं देख पाते। केजरीवाल और उनके मंत्रियों को तो कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है, इन्हें तो लम्बा अनुभव है लेकिन इन्होनें तो आम आदमी को पहले ही रसातल में पहुंचा दिया है फिर भी सीना चौड़ा करके घूम रहे हैं। न कहीं कानून है, न जीवन स्तर सुधारने की कोशिश, न सिविक-सेंस विकसित करने की कोई इच्छा। जो चल रहा है सब ठीक है क्योंकि इन्होने तो धन से अपने कोठरे भर रखे है। इन्हें जनता की क्या परवाह। इनकी कारगुजारियां संदेह से परे कतई नहीं हैं। उसका एक उदहारण है कि पिछले हफ़्ते दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने मंत्रिमंडल के मंत्रियों के साथ संसद के पास सड़क पर धरना दिया था, तो उन्हें शुरुआत में मीडिया में ज़बर्दस्त कवरेज मिली और मीडिया का रवैया पूरी तरह सकारात्मक रहा लेकिन धरना जैसे ही दूसरे दिन में दाखिल हुआ लगभग सारे ही टीवी चैनल अचानक केजरीवाल और उनके धरने के विरोधी हो गए। दाल में कुछ काला तो है ही तभी तो मीडिया का विरोध इतना अचानक, सामूहिक और स्पष्ट था कि ख़ुद केजरीवाल ने संवाददाताओं से पूछा कि मीडिया को अचानक क्या हो गया।
 
अब
केजरीवाल को, मीडिया हर तरफ से लपेट रहा है। उनकी खिंचाई कर रहा है। मोदी के प्रति अब भारतीय मीडिया ने अपने तेवर बदल लिए हैं। आप के उभार से मोदी का प्रभामंडल आच्छादित हो गया था लेकिन घुटे हुए राजनीतिबाजों ने उसे पलटना शुरू कर दिया है। लगभग सभी कॉर्पोरेट घराने इसमे मोदी के साथ हैं। लगभग हरेक टीवी चैनल पर अचानक समाचारों और विश्लेषणों में मोदी की ओर झुकाव दिखने लगा है। सुना जाता है कि कई कॉर्पोरेट मालिकों ने अपने चैनलों को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि वे मोदी के विरोध से बचें और मोदी विरोधी विश्लेषकों और विशेषज्ञों को चर्चा में कम शामिल करें। मोदी उन्हें एक खुली अर्थव्यवस्था के वाहक और सुधारवादी नेता नज़र आते हैं। देश की एक प्रमुख पत्रिका ने अपने एक लेख में लिखा है कि पिछले कुछ हफ़्तों में कम से कम पांच प्रमुख संपादकों को तटस्थ रहने या मोदी विरोधी विचारों के कारण उनके पदों से हटा दिया गया है। यही नहीं टीवी चैनलों पर अचानक ऐसे विश्लेषकों और पर्यवेक्षकों की संख्या बढ़ गई है जिनकी विचारधारा भाजपा और मोदी की विचारधारा से मेल खाती है।  
 
नरेंद्र मोदी तो अधिकांश अंग्रेजी मीडिया को गुजरात दंगों के सन्दर्भ में उनके रुख को लेकर शक की नज़र से देखते रहे हैं। मीडिया के प्रति उनका रवैया बेहद अहंकारपूर्ण रहा है। अभी तक तो वह पत्रकारों से बचते रहे हैं।  मोदी केवल उसी पत्रकार को साक्षात्कार देते रहे हैं जिसे वे चाहते हैं। साक्षात्कार से पहले वह पत्रकार से सारे सवाल भी मांगते हैं और पत्रकार को यह भी समझा दिया जाता है कि इनमें कौन से सवाल पूछे जाएंगे और कौन से नहीं। भारत के एक प्रमुख पत्रकार ने कुछ साल पहले एक साक्षात्कार के दौरान जब मोदी से गुजरात दंगों के बारे में सवाल किया तो वे बेहद नाराज हो गए और उठकर चले गए। इसके बाद किसी भारतीय पत्रकार ने आमतौर पर उनसे दंगों के बारे सवाल करने का साहस नहीं किया। अब भी भारतीय मीडिया अपने इस रवैये पर कायम है। यह बात ध्यान देने की है कि शायद ही कभी भारत के किसी कॉरपोरेट हाउस ने धार्मिक नरसंहार, जातिवाद या अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे पर कभी कोई स्टैंड प्रभावित लोगों के पक्ष में लिया हो। वो इन मुद्दों पर हमेशा ही चुप्पी साधे रहते हैं। क्या इन घरानों की कोई नैतिक सामाजिक जिम्मेदारी नहीं बनती, सिर्फ पैसा कामना ही इनका एक मात्र लक्ष्य है? क्या ये भारत के नागरिक नहीं है। राष्ट्रवाद का जो हल्ला मचाया जाता है क्या ये उस परिधि में नहीं आते ? जाहिर है सब कुछ मैनेज हो गया है और इस देश की सियासत अब फिर उसी रास्ते पर चल निकली है जैसी पिछले छियासठ वर्षों से चल रही है।

 

लेखक शैलेन्द्र चौहान से संपर्क: पी-1703, जयपुरिया सनराइज ग्रीन्स, प्लाट न. 12 ए, अहिंसा खंड, इंदिरापुरम, गाज़ियाबाद – 201014

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

… अपनी भड़ास [email protected] पर मेल करें … भड़ास को चंदा देकर इसके संचालन में मदद करने के लिए यहां पढ़ें-  Donate Bhadasमोबाइल पर भड़ासी खबरें पाने के लिए प्ले स्टोर से Telegram एप्प इंस्टाल करने के बाद यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia 

Advertisement

You May Also Like

विविध

Arvind Kumar Singh : सुल्ताना डाकू…बीती सदी के शुरूआती सालों का देश का सबसे खतरनाक डाकू, जिससे अंग्रेजी सरकार हिल गयी थी…

सुख-दुख...

Shambhunath Shukla : सोनी टीवी पर कल से शुरू हुए भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप के संदर्भ में फेसबुक पर खूब हंगामा मचा।...

विविध

: काशी की नामचीन डाक्टर की दिल दहला देने वाली शैतानी करतूत : पिछले दिनों 17 जून की शाम टीवी चैनल IBN7 पर सिटिजन...

प्रिंट-टीवी...

जनपत्रकारिता का पर्याय बन चुके फेसबुक ने पत्रकारिता के फील्ड में एक और छलांग लगाई है. फेसबुक ने FBNewswires लांच किया है. ये ऐसा...

Advertisement