दिल्ली गैंगरेप मामले की सुनवाई साकेत कोर्ट में अब दस जनवरी को होगी। सोमवार 7 जनवरी को इस मामले में सभी आरोपियों को चार्जशीट भी उपलब्ध कराई गई। इसके साथ ही इस मामले में नाबालिग आरोपी की जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में भी सुनवाई टल गई जो अब 15 जनवरी को होगी। इन सबके बीच केस अब तक फास्ट ट्रैक कोर्ट को ट्रांसफर नहीं हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट नम्रता अग्रवाल ने आदेश में कहा कि इस मामले को लेकर पैदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए इसकी जांच और सुनवाई सहित सारी कार्यवाही अदालत के बंद कमरे में होगी। उल्लेखनीय है कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 327 के दूसरे भाग का तीसरे प्रावधान का इस्तेमाल करते हुए अदालत कक्ष में मौजूद सभी व्यक्तियों को अदालत कक्ष खाली करने का निर्देश दिया जाता है।
न्यायाधीश ने कहा कि इस अदालत की अनुमति के बगैर इस मामले से जुड़ी किसी सामग्री को छापना वैध नहीं होगा। गौरतलब है लोक अभियोजक राजीव मोहन ने बंद कमरे में सुनवाई करने की याचिका दायर की थी। इससे दो दिन पहले दिल्ली पुलिस ने एक परामर्श जारी करके कहा था कि इस मामले की सुनवाई की रिपोर्टिंग नहीं की जा सकती, क्योंकि अदालत धारा 302 (हत्या), 376 दो (जी)(सामूहिक बलात्कार) और भारतीय दंड संहिता के अन्य प्रावधानों के तहत दाखिल आरोप पत्र पर पहले ही संज्ञान ले चुकी है।
उधर गैंगरेप के पांच आरोपियों राम सिंह, मुकेश, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर की आज साकेत कोर्ट में पेशी हुई। कोर्ट में सुनवाई चली और फिर कोर्ट ने कहा कि दिल्ली गैंगरेप की सुनवाई बंद कमरे में होगी। सुनवाई के वक्त सिर्फ आरोपी और वकील ही कोर्ट रूम में मौजूद थे। वहीं, दिल्ली गैंगरेप मामले में जांच का काम तेजी से चल रहा है। दिल्ली पुलिस ने जांच के लिए कुछ सबूतों को हैदराबाद के सीएफएसएल भेज दिया है।
दिल्ली पुलिस के दो अधिकारी सबूतों से भरे दो बक्से लेकर वहां पहुंचे हैं। पुलिस के अधिकारियों ने इन सबूतों को हैदराबाद के सीएफएसएल के अधिकारियों को आज सौंप दिया है। छठे आरोपी के स्कूल सर्टिफिकेट के मुताबिक नाबालिग बताया जा रहा है। जिसकी तफ्तीश जारी है। नाबालिग आरोपी के स्कूल के प्रिंसिपल को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश होने के लिए बुलाया गया। नाबालिग आरोपी को गिरफ्तारी के बाद से ही बाल सुधार गृह में रखा गया है। उसके मामले में भी जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में 15 जनवरी को सुनवाई होगी।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक 16 दिसंबर को चलती बस में हुई वारदात में इस नाबालिग आरोपी ने ही सबसे खौफनाक हरकत की थी। उसने दो बार बलात्कर कर लड़की की आंत पर वार किया था। उसे चलती बस से फेंकने की सलाह भी उसी लड़के ने दी थी। इससे पहले रविवार को पेशी के बाद चार आरोपियों की न्यायिक हिरासत 19 जनवरी तक बढ़ा दी गई।
इस केस में दो आरोपियों ने सरकारी गवाह बनने की इच्छा जताई है जबकि दो आरोपियों ने कानूनी सहायता की मांग की है। इसी बीच आज आरोपियों की पेशी से पहले साकेत कोर्ट में वकीलों ने हंगामा शुरू कर दिया। कानूनी मदद मिलने के खिलाफ वकीलों ने हंगामा किया है। मालूम हो कि साकेत कोर्ट बार एसोसिएशन ने पहले ही घोषणा कर दी थी की वो आरोपियों का केस नहीं लड़ेंगे। वकील कोर्ट से आरोपियों को वकील देने का विरोध कर रहे हैं। हंगामा इतना ज्यादा बढ़ किया कि महानगर दंडाधिकारी को कुर्सी छोड़कर अपने चेंबर में जाना पड़ा। बाद में हंगामा शांत होने पर सुनवाई दोबारा शुरू हुई।
रविवार को सामूहिक दुष्कर्म के दो आरोपियों पवन और विनय ने सरकारी गवाह बनने की इच्छा जताई थी। कानून के जानकारों के मुताबिक उन्होंने फांसी जैसी कड़ी सजा से बचने के लिए यह कदम उठाया। वहीं दो आरोपियों राम सिंह और उसके भाई मुकेश ने कानूनी सहायता देने की मांग की थी।
इससे पूर्व कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस इस मामले में लिप्त नाबालिग आरोपी को छोड़कर अन्य सभी आरोपियों को लेकर साकेत कोर्ट पहुंची। इस मामले में हो रही सुनवाई पर देशी-विदेशी मीडिया की नजरें टिकी हुई हैं। सरकारी गवाह बनने की बात कहने वाले दोनों आरोपी वे ही हैं, जिन्होंने गिरफ्तारी के बाद अदालत में पेशी के दौरान खुद को फांसी दिए जाने की मांग की थी।
कानून के जानकारों का कहना है कि दोनों आरोपियों को सरकारी गवाह बनाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि पुलिस के पास पर्याप्त सबूत हैं। सामूहिक दुष्कर्म के चार आरोपियों को न्यायिक हिरासत की अवधि पूरी होने पर रविवार को साकेत कोर्ट में महानगर दंडाधिकारी ज्योति कलेर के समक्ष पेश किया गया था। अदालत ने चारों को 19 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। हालांकि इनकी सोमवार को संबंधित अदालत में पेशी होगी।
पेशी के दौरान इन आरोपियों को सरकार की ओर से वकील मुहैया कराने की पेशकश की गई, लेकिन विनय शर्मा और पवन गुप्ता ने इन्कार कर दिया। उन्होंने सरकारी गवाह बनने की इच्छा जाहिर की। इसके लिए अदालत ने उनसे संबंधित अदालत में अर्जी देने को कहा। वहीं आरोपी राम सिंह और मुकेश ने कानूनी मदद के लिए अदालत से वकील की मांग की। इन्हें वकील मुहैया कराया जाएगा।
ग़ौरतलब है कि महानगर दंडाधिकारी नम्रता अग्रवाल की अदालत में तीन जनवरी को इन आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट पेश की थी। कोर्ट ने बीते शनिवार को चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सात जनवरी तक के लिए पेशी वारंट जारी किया था, लेकिन आरोपियों की 14 दिनों की न्यायिक हिरासत की अवधि पूरी होने पर रविवार को इन्हें अदालत में पेश किया गया। इस दौरान मीडिया रिपोर्टिंग पर किसी तरह का प्रतिबंध लगाने की बात अदालत ने नहीं कही।
वरिष्ठ अधिवक्ता डीबी गोस्वामी के अनुसार किसी आरोपी सरकारी गवाह बनाने का अधिकार सिर्फ जांच एजेंसी का होता है। अदालत सिर्फ यह देखती है कि जांच एजेंसी ने किसी को मजबूर करके तो सरकारी गवाह नहीं बनाया है। वहीं, जांच एजेंसी तब सरकारी गवाह बनाती है जब उनका केस कमजोर होता है। इस मामले में ऐसा कुछ नहीं है।
गौरतलब है कि वसंत विहार में पिछले 16 दिसंबर को चलती बस में फिजियोथेरेपिस्ट युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। बुरी तरह से जख्मी युवती को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर के अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी।