जिस तरह से डीएलए मिड डे अखबार ने गाजियाबाद, नोएडा समेत एनसीआर में धमाकेदार एंट्री की थी, इसको देखते हुए अमर उजाला ने मिड-डे अमर उजाला कांपेक्ट लांच कर दिया था। मगर डीएलए के आगे कांपेक्ट नहीं चला। अब उसी तीव्र गति से डीएलए धरातल में चला गया। डीएलए अखबार की लांचिग के दौरान सभी बड़े बैनरों से रिपोर्टर तोड़ कर लाए गए। एक टाइम हालात यह हो गए थे कि गाजियाबाद में ही इस अखबार की 70,000 कापियां प्रतिदिन हो गईं थी। मगर मालिकों की उपेक्षा, मोटी सैलरी वाले अधिकारियों द्वारा जेबभराऊ नीति के चलते यह अखबार दिन प्रतिदिन धरातल में चला गया।
हालात यहां तक बदतर होते चले गए कि दो साल से मालिकों ने गाजियाबाद का रुख ही नहीं किया। इसका असर अखबार पर पड़ने लगा। कर्मचारियों को वेतन भी 20 तारीख के आसपास मिलने लगा। दो माह पहले नोएडा आफिस को आईएनएस में शिफ्ट कर दिया गया तो कुछ रिपोर्टरों ने नौकरी छोड़ दी। मगर एक माह पहले अचानक 16 में से 13 कर्मचारियों (संपादकीय) को एक दिन पूर्व सूचना देकर निकाल दिया गया। अब गाजियाबाद में भी सभी कर्मचारियों को 31 अगस्त तक कार्यालय बंद करने के लिए कह दिया गया है। 31 अगस्त को डीएलए का गाजियाबाद से बोरिया बिस्तर सिमट जाएगा। इसके चलते चार रिपोर्टर, एक कैमरामैन, दो डिजाइनर, दो चपरासी, सर्कुलेशन में से तीन कर्मचारियों को कहीं अन्यत्र नौकरी तलाशने के लिए कह दिया गया है। सभी कर्मचारियों में मायूसी छाई है और परेशान हैं।
डीएलए में कार्यरत एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.