राजस्थान की राजधानी जयपुर में फिल्म प्रमोशन के नाम पर होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस अब फैन्स कॉन्फ्रेंस बनकर रह गई हैं। पिछले कुछ अरसे से देखा जा रहा है कि यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस के नाम पर पत्रकारों की अच्छी-खासी संख्या जमा कर ली जाती है, लेकिन मीडिया को फिल्मी सितारों से बातचीत की बजाय अन्य लोगों की भीड में धक्के खाने को मजबूर होना पड़ रहा है। फिल्म प्रमोशन कंपनियों तथा निर्माता-निर्देशकों की धनपिपासु प्रवृति के चलते इन दिनों हालात ये हो गए हैं कि फिल्मी सितारे पैसों की खातिर हेयर सैलून तक में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने लगे हैं। मीडिया की मजबूरी यह है कि उन्हें कवर करने के लिए उसे ऐसी जगहों पर जाना पड़ता है जहां उनसे खुलकर बातचीत करना तो दूर, पत्रकारों को खड़े रहने के लिए भी जगह नहीं मिल पाती।
दरअसल समस्य तब से पैदा हुई है जब से राजस्थान सरकार ने जब से फिल्मों पर से मनोरंजन कर हटाया है। मनोरंजन कर से सरकार ने फिल्मों को तो मुक्त कर दिया लेकिन टिकट की दरें तय करने का अधिकार सिनेमा मालिकों और फिल्म निर्माताओं को दे दिया। ऐसे में सिने दर्शकों की जेब पर तो भार बढ़ा ही है, लेकिन फिल्म निर्माताओं की चांदी हो गई है। अब टिकट बिक्री से मिले रूपयों में से सरकार को 50 प्रतिशत टैक्स मिलने की बजाय अब 100 प्रतिशत धनराशी फिल्म निर्माता के खाते में जमा हो रही है। यही वजह है कि फिल्म निर्माता राजस्थान में फिल्मों का खूब जमकर प्रमोशन कर रहे हैं ताकि यहां से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके, क्योंकि देश के अन्य राज्यों में उन्हें आय का करीब 50 प्रतिशत तक मनोरंजन कर चुकाना पड़ता है जबकि यहां ऐसा नहीं है। ऐसे में हर सप्ताह रिलीज होने वाली फिल्मों के प्रमोशन का सिलसिला चल पड़ा है और उसका एक ही सस्ता और सरल माध्यम मिलता है और वह है ‘‘प्रेस कॉन्फ्रेंस’’।
राजस्थान में पहले भी फिल्मों की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुआ करती थी, लेकिन उन्हें आयोजित करवाने में होने वाला खर्च मसलन सितारों व फिल्म यूनिट की हवाई यात्रा, होटल में ठहरना, प्रेस कॉन्फ्रेंस का स्थान तथा पत्रकारों के जलपान आदि की व्यवस्था फिल्म निर्माता स्वयं कव खर्च पर करता था। अब यहां प्रेस कॉन्फ्रेंन्स करवाने वालों ने भी अपनी कमाई करने के नित-नये तरीके ईजाद कर लिए हैं। यहां की दुकानों, सैलून, कॉलेज-यूनिवर्सिटी, मल्टीप्लेक्स, फैशन व ज्वैलरी स्टोर तथा नाइट पार्टीज में सितारों के शामिल होने के नाम पर खूब पैसा लूटा जा रहा है। इससे जहां इन स्थानीय आयोजकों को धन कमाने का अवसर मिल रहा है, वहीं फिल्म निर्माता को भी प्रेस कॉन्फ्रेंस या फिल्म प्रमोशन के लिए कोई पैसा खर्चना नही पड़ता। अब तो ऐसी जगहों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस होने लगी है, जहां कोई पेशेवर पत्रकार जाना ही पसंद नहीं करता। लेकिन सितारों की चमक के आगे मीडियाकर्मी बौने नजर आते हैं। सेलिब्रिटीज भी घंटे-आधे घंटे की मौजूदगी दिखाकर अपनी फिल्म का प्रमोशन कर रहे हैं। ऐसी आपाधापी में होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को इन सितारों के आगे-पीछे भागने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
मार्केटिंग के जमाने में फिल्मी प्रेस कॉन्फ्रेंस भी इतनी कॉमर्शियल हो गई हैं कि सैलून मालिकों, दुकानदारों तथा स्टोर मालिकों को भी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सितारों के बीच बैठा दिया जाता है। ऐसे में मीडिया के कैमरों में वे लोग भी सितारों के साथ कैद हो जाते हैं और मजबूरन मीडिया को उन्हें छापना-प्रसारित करना ही होता है। पैसा कमाए ईवेंट मैनेजर और फोकट की पब्लिसिटी करे मीडिया।
अमन वर्मा। संपर्कः [email protected]