निर्मल बाबा की पोल खुलने लगी हैं. उसके बारे में कई तथ्य सामने आए हैं. पता चला है कि निर्मलजीत सिंह नरुला उर्फ निर्मल बाबा झारखंड के वरिष्ठ राजनेता इंदर सिंह नामधारी का सगा साला है. इस साले को नामधारी ने मंत्री रहते हुए ठेकेदारी के मैदान में जमाने की काफी कोशिश की लेकिन यह जम नहीं पाया. टीवी पर दिखने वाला निर्मल सिंह नरूला उर्फ निर्मल बाबा असल में ठग है जो पैसे के बदले कृपा बांटने का ढोंग करता है. इस ढोंगी बाबा का ससुराल झारखंड में है और ये दस वर्ष से अधिक समय तक वहां गुजार चुका है. ये झारखंड के सांसद इंदर सिंह नामधारी का सगा साला है.
ढोंगी बाबा विवाह के बाद करीब 1974-75 के दौरान झारखंड में आया था और लाईम स्टोन का व्यवसाय शुरू किया. मगर उसमें सफल नहीं हुआ. इसके बाद गढ़वा में कपड़े का व्यवसाय शुरू किया, लेकिन वहां भी सफल नहीं हो सका. एक वक्त ऐसा भी था कि ये निर्मल बाबा काफी परेशानियों से जूझ रहा था. तब बिहार में मंत्री रहे इंदर सिंह नामधारी ने माइनिंग का एक बड़ा काम इसे दिलवाया था. तब यह ठेकेदारी का काम करता था. उसी कार्य के दौरान इस पाखंडी बाबा को ‘ज्ञान’ की प्राप्ति हुई, इसके रिश्तेदारों ने ऐसी अफवाह फैलाई. 1984 के दंगे के दौराज जब ये रांची में था, तो किसी तरह से ये अपनी जान बचाकर वहां से भागा था. गोमो में निर्मल नरूला का साढ़ू भाई सरदार नरेन्द्र सिंह नारंग हैं. इनका विवाह भी दिलीप सिंह बग्गा की बड़ी बेटी के साथ हुआ था. जाहिर है इस ढोंगी ने अपने राजनैतिक रिश्तों के चलते ही सभी विद्रोहियों को बढ़ने का मौका नहीं दिया. टीवी पर अपना ढोंग दिखा-दिखा कर लोगों को अपने भगवान होने का अहसास करवाने वाले बाबा का खुद का कोई कारोबार नहीं है.
झारखंड के वरिष्ठ राजनेता इंदर सिंह नामधारी वैसे तो निर्मल बाबा के करीबी रिश्तेदार हैं लेकिन उनके कारनामों से जरा भी इत्तेफाक नहीं रखते. एक बातचीत में नामधारी ने साफ कहा कि वे निजी तौर पर कई बार उन्हें जनता की भावनाओं से न खेलने की सलाह दे चुके हैं. नामधारी ने स्वीकार किया कि निर्मल बाबा उनके सगे साले हैं. उन्होंने यह भी माना कि वे शुरुआती दिनों में निर्मल को अपना करियर संवारने में खासी मदद कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि उनके ससुर यानि निर्मल के पिता एसएस नरूला का काफी पहले देहांत हो चुका है और वे बेसहारा हुए निर्मल की मदद करने के लिए उसे अपने पास ले आए थे. निर्मल को कई छोटे-बड़े धंधों में सफलता नहीं मिली तो वह बाबा बन गया.
निर्मल बाबा के विचारों और चमत्कारों के बारे में उन्होंने साफ कहा कि वे इससे जरा भी इत्तेफाक़ नहीं रखते. उन्होंने कहा कि वे विज्ञान के छात्र रहे हैं तथा इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी कर चुके हैं इसलिए ऐसे किसी भी चमत्कार पर भरोसा नहीं करते. इसके अलावा उनका धर्म भी इस तरह की बातें मानने का पक्षधर नहीं है. ''सिख धर्म के धर्मग्रथों में तो साफ कहा गया है कि करामात कहर का नाम है. इसका मतलब हुआ कि जो भी करामात कर अपनी शक्तियां दिखाने की कोशिश करता है वो धर्म के खिलाफ़ काम कर रहा है. निर्मल को मैंने कई दफ़ा ये बात समझाने की कोशिश भी की, लेकिन उसका लक्ष्य कुछ और ही है. मैं क्या कर सकता हूं?” नामधारी ने बताया. उन्होंने माना कि निर्मल अपने तथाकथित चमत्कारों के जरिए जनता से पैसे वसूलने के ‘गलत खेल’ में लगे हुए हैं जो विज्ञान और धर्म किसी भी कसौटी पर जायज़ नही ठहराया जा सकता.
पत्रकार धीरज भारद्वाज की रिपोर्ट.
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