Connect with us

Hi, what are you looking for?

No. 1 Indian Media News PortalNo. 1 Indian Media News Portal

प्रिंट-टीवी...

Fraud Nirmal Baba (76) : निर्मल ‘बाबा’ के बोल, खुद ही खोल रहे पोल

: ‘ठग दरबार’ : यहां आओ…ठगे जाओ : कभी झारखंड में ईंट का भट्ठा चलाता था : टीवी चैनलों को देता है प्रति एपीसोड मोटी रकम : औसतन रोजाना की कमाई करोड़ों रुपये में : बिजनेस में घाटा होने पर ब्रह्मज्ञान का दावा : दो साल के बच्चे का भी लगता है ‘टिकट’: ‘अदृश्य कृपा’ की बात कर पैदा करते हैं भय : कम समय में दो बैंकों में जमा हुई अकूत धनराशि : यह देश भी अजीब है… अंधविश्वासियों और मूर्खों से भरा हुआ…तभी तो यहां के लोगों को तरह-तरह के ‘बाबा’ बेवकूफ बनाकर अपनी झोली भरते जा रहे हैं…वे खुलकर कहते भी हैं, जब लोग मूर्ख बन ही रहे हैं, तो हमें ही क्या हर्ज है? ऐसे ही एक हैं निर्मल बाबा…वे कितने निर्मल हैं और कितना निर्मल है उनका दरबार…प़ेश इस रिपोर्ट में.

: ‘ठग दरबार’ : यहां आओ…ठगे जाओ : कभी झारखंड में ईंट का भट्ठा चलाता था : टीवी चैनलों को देता है प्रति एपीसोड मोटी रकम : औसतन रोजाना की कमाई करोड़ों रुपये में : बिजनेस में घाटा होने पर ब्रह्मज्ञान का दावा : दो साल के बच्चे का भी लगता है ‘टिकट’: ‘अदृश्य कृपा’ की बात कर पैदा करते हैं भय : कम समय में दो बैंकों में जमा हुई अकूत धनराशि : यह देश भी अजीब है… अंधविश्वासियों और मूर्खों से भरा हुआ…तभी तो यहां के लोगों को तरह-तरह के ‘बाबा’ बेवकूफ बनाकर अपनी झोली भरते जा रहे हैं…वे खुलकर कहते भी हैं, जब लोग मूर्ख बन ही रहे हैं, तो हमें ही क्या हर्ज है? ऐसे ही एक हैं निर्मल बाबा…वे कितने निर्मल हैं और कितना निर्मल है उनका दरबार…प़ेश इस रिपोर्ट में.

आइए, थोड़ी देर के लिए हम आपको ‘निर्मल दरबार’ में ले चलते हैं। निर्मल दरबार क्या है, इसका खुलासा भी हम लगे हाथ करेंगे। दरबार कौन लगाता है और कहां लगता है, यह भी बताएंगे। दरबार में एक मंच पर भव्य कुर्सी पर बैठा एक साधारण कद-काठी व गोलमटोल से चेहरा वाला व्यक्ति परिदृश्य में उभरता है। उसके सामने हाथ जो़कर लोग एक-एक कर अपनी-अपनी समस्याओं का ‘बखान’ करते हैं। व्यक्ति समाधान बताता है। फिलहाल, आप दरबार में विराजिए और समस्या-समाधान पर गौर फरमाइए…।

दृश्य-एक

एक नौजवान : बाबा लंबे समय से बेरोजगार हूं।

बाबा : तुम अपनी कमी़ज के बटन कैसे खोलते हो? जल्दी-जल्दी या आराम से?

नौजवान : कभी जल्दी, तो कभी आराम से।

बाबा : आराम-आराम से खोला करो। कृपा आनी शुरू हो जाएगी।

दृश्य-दो

युवक : बाबा, मेरी नौकरी कब लगेगी?

Advertisement. Scroll to continue reading.

बाबा: एक बात बताओ, आप कटिंग कहां करवाते हो?

युवक : सैलून में।

बाबा : कभी पार्लर गए?

युवक : नहीं, पार्लर नहीं गया बाबा जी।

बाबा : कभी सोचा जाने का?

भक्त: जी, कई बार सोचता हूं।

बाबा : सिर्फ सोच के रह जाते हो। इस बार चले जाना। कृपा बरसने लगेगी।

दृश्य-तीन

एक पंजाबी महिला : बाबा को कोटि-कोटि प्रणाम। (आगे कुछ कहती उससे पहले बाबा ही बोल प़ड़े)।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बाबा : तुम्‍हारे सामने मुझे चावल क्यों दिखाई दे रहा है?

महिला : मैंने कल चावल ही खाया था।

बाबा : अकेले ही खाया तुमने?

महिला : नहीं, पूरे परिवार ने खाया।

बाबा : यह तो गलत किया तुमने। सिर्फ परिवार के साथ खाया। किसी बाहर के लोगों को नहीं खिलाया। जाओ, दूसरे लोगों को भी चावल खिला देना, कृपा आनी शुरू हो जाएगी।

दृश्य-चार

बुर्जुग व्यक्ति : बहुत मेहनत करता हूं। फिर भी धन की कमी रहती है।

बाबा : आपने गधा देखा है?

बुर्जुग : जी, कई बार देखा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बाबा : आखिरी बार कब देखा था?

बुर्जुग : जी, ठीक-ठीक याद नहीं।

बाबा : किसी को गधा कहा है?

बुर्जुग : कहा होगा, पर याद नहीं।

बाबा: गधा देखना और कहना बंद करो, कृपा आनी शुरू हो जाएगी।

दृश्य-पांच

युवती : बाबा को प्रणाम।

बाबा : कहां से आई हो और क्या काम करती हो?

युवती : जी, गुजरात से। सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बाबा : समस्या बताओ।

युवती : मेरे पास कार कब आएगी?

बाबा : टीवी देखती हो। कार का विज्ञापन देखती हो?

युवती : जी

बाबा : कार देखती हो?

युवती : जी हां।

बाबा : मन कता है लेने का?

युवती : जी।

बाबा : कार देखना बंद क दो, तुम्‍हारे पास भी आ जाएगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

दृश्य-छह

महिला : बाबा के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम। मैं आपके दर्शन को आ रही थी। ट्रेन छूट गई। अगली ट्रेन में टिकट मिल गया। वो भी एसी कोच में। मेरी उम्र 39 साल है। आज तक एसी डिब्बे में सफर नहीं किया था। आपकी कृपा से ही मुझे एसी में सफर करने का सौभाग्य मिला। बाबा, आप धन्य हैं। कृपा बनाए रखिएगा।

दृश्य-सात

एक महिला भक्त को पहले समागम में बाबा ने बताया था कि शिव मंदिर में दर्शन करना औ कुछ च़ावल जरूर च़ढ़ाना। दोबारा समागम में आई उस महिला ने कहा : मैंने मंदिर में च़ावल च़ाढ़या, लेकिन मेरी दिक्‍कत दूर नहीं हुई।

बाबा : कितना पैसा च़ढ़ाया था?

महिला : 10  रुपये। आप ही ने कहा था।

बाबा (हंसते हुए) : दस रुपये में कृपा कहां मिलती है। अबकी 40 रुपये च़ढ़ाना, देखना कृपा आनी शुरू हो जाएगी।

दृश्य-आठ

एक अन्य महिला : आपके कहने पर मैंने भी शिव मंदिर में च़ढ़ावा च़ढ़ाया, लेकिन काम नहीं हुआ।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बाबा : कितना च़ढ़ाया?

महिला : आपने 50 रुपये कहा था, वह मैंने मुख्य मंदिर में च़ढ़ा दिया। मंदिर से वापसी में जो छोटे-छोटे मंदिर थे वहां दस-पांच रुपये चढ़ाए।

बाबा : फिर कैसे कृपा आनी शुरू होगी। 50 कहा, तो सभी मंदिर में 50 ही च़ढ़ाना था ना। दोबारा जाओ.. और 50 रुपये ही च़ढ़ाना। कृपा आनी शुरू हो जाएगी।

दृश्य-नौ

पुरुष : बाबा को सपरिवार कोटि-कोटि प्रणाम। बहुत परेशान हूं। पैसा टिकता ही नहीं है।

बाबा : मटके का पानी कब पिया था?

पुरुष : याद नहीं?

बाबा : मटका कब देखा था?

पुरुष : याद नहीं?

Advertisement. Scroll to continue reading.

बाबा : याद करो?

पुरुष : कहीं प्याऊ पर रखा देखा था।

बाबा : पानी पिया था?

पुरुष : नहीं।

बाबा : किसी प्याऊ पर एक मटका दान कर आओ। उस मटके का पानी खुद भी पियो औ दूसरों को भी पिलाओ। कृपा बरसेगी।

दृश्य-दस

नौजवान : बाबा, मेरी शादी नहीं हो रही है।

बाबा : तुमने आखिरी बार सांप कब देखा था?

नौजवान : बाबा, सांप से तो मैं बहुत डरता हूं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बाबा : याद करो।

नौजवान : सपेरे के पास कुछ दिन पहले देखा था।

बाबा : कुछ पैसे दिए थे सपेरे को?

नौजवान : नहीं, पैसे तो नहीं दिए थे।

बाबा : बस, वहीं से कृपा रुक रही है। अगली बार सपेरे को देखो, तो पैसे च़ढ़ा देना, कृपा आनी शुरू हो जाएगी।

यह है अंधविश्वास, पाखंड और ठगिनी विद्या को ब़ढ़ावा देने वाला ‘निर्मल दरबा’ यानी ‘ठग का दरबार’ जो महीने में कई बार दिल्ली, मुंबई के किसी आलीशान सभागार में सजता है। इसे सजाते हैं कल के ठेकेदार निर्मलजीत सिंह नरूला उर्फ आज के निर्मल बाबा। लगता है, सिर्फ इनका नाम ही निर्मल है। अलबत्ता काम ‘मल’ की तरह गंदा व बदबूदार है। बुद्धू बक्से यानी टीवी के जरिए देश भर के घरों में पहुंच बनाने के प्रयास में विवादास्पद हो चुके हैं। ये खुद में भी देवत्व का दावा करते हैं। शादी-ब्याह में प्रयोग की जानी वाली भव्य कुर्सी में बैठने के शौकीन निर्मल बाबा किसी एयकंडीशंड हाल में बैठे कुछ लोगों द्वारा पूछे गए सवालों (समस्या) का जो उपाय बताते हैं, उसे सुनकर आश्चर्य होता है। कहा जाता है कि अपने ही ‘प्लांट’ लोगों को ख़ड़ा कर ये बाबा जी सवाल पुछवाते हैं। इसका खुलासा निधि नामक टीवी की जूनियर आर्टिस्‍ट ने भी किया है। निधि के मुताबिक से बाबा के समागम में सवाल पूछने के लिए 10 हजार रुपये मिलते थे। बार-बार किसी ‘अदृश्य कृपा’ की बात कर निर्मल बाबा जनता में भय पैदा करते हैं। पैसे के साथ-साथ यही आश्चर्य और भय उनकी कमाई है। जिस पर इस देश में सरकार कहलाने वाले तंत्र की कोई नजर नहीं है।

चर्चा है कि क्रिकेटर युवराज सिंह की मां शबनम सिंह भी निर्मल बाबा के चक्‍कर में थीं। इनसे भी 21 लाख रुपये ठग चुके बाबा जी बार-बार कृपा के माध्‍यम से युवराज के कैंसर के ठीक हो जाने का दावा करते थे, पर अंतत: युवराज को इलाज के लिए अमेरिका जाना ही पड़ा। निर्मलबाबा वेबसाइट के मुताबिक निर्मल बाबा आध्‍यात्मिक गुरु हैं। इस वेबसाइट पर उन्‍हें दैवीय मनुष्‍य बताया गया है। इनकी शान में कसीदे गढ़ते हुए बताया गया है कि निर्मल बाबा का सिक्‍स्‍थ सेंस यानी छठी इंद्रिय बेहद मजबूत व विकसित है। शायद, इसिलिए इनके समागम (निर्मल) दरबार को ‘थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा’ के नाम से प्रचारित किया जा रहा है। निर्मल बाबा हैं कौन? निर्मल बाबा के जीवन या इनकी पृष्ठभूमि के बारे में इनकी आधिकारिक वेबसाइट निर्मलबाबा.कॉम पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। इस वेबसाइ पर इनके कार्यक्रमों, इनके समागम में हिस्‍सा लेने के तरीकों के बारे में बताया गया है और उनसे जुड़ी प्रचार-प्रसार सामग्री उपलब्‍ध है। लेकिन ‘हमवतन’ ने निर्मल बाबा के अतीत को खंगाला, तो बहुत कुछ सामने आया।

कौन हैं निर्मल बाबा?

1947 में देश के बंटवारे के समय एसएस नरूला का परिवार भारत आ गया था। निर्मलजीत सिंह नरूला उन्हीं के बेटे हैं। निर्मलजीत सिंह उर्फ निर्मल बाबा पटियाला के सामना गांव के रहने वाले हैं। निर्मल बाबा दो भाई हैं। निर्मल छोटे हैं। ब़ड़े भाई मंजीत सिंह लुधियाना में रहते हैं। बाबा शादी-शुदा हैं। वर्ष 1964 में 13-14 वर्ष की उम्र में मेदिनीनगर (झारखंड) के दिलीप सिंह बग्गा की तीसरी बेटी से इनकी शादी हुई थी। चतरा के सांसद और झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी के छोटे साले हैं निर्मल बाबा। उन्‍हें एक पुत्र और एक पुत्री है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

उन्हें करीब से जानने वालों का कहना है कि 1970-71 में निर्मलजीत मेदिनीनग (पुराना डाल्‍टेनगंज) आए थे और 1981-82 तक वहीं थे। रांची में पिस्का मो़ड़ स्थित पेट्रोल पंप के पास उनका मकान था। व मेदिनीनग में व्यवसाय करते थे। चैनपुर थाना क्षेत्र के  कंकाडी में इनका ईंट भट्ठा हुआ करता था, जो निर्मल ईंट के  नाम से चलता था। निर्मल का व्यवसाय ठीक नहीं चलता था। इसलिए उन्होंने व्यवसाय बदल लिया। कुछ दिनों तक ग़ढ़वा में कपड़े का व्‍यवसाय किया।पर उसमें भी नाकाम रहे। सांसद जीजा यानी नामधारी की कृपा से बागेहेड़ा इलाके  में कुछ दिनों तक माइनिंग का ठेका भी लिया। लेकिन वह भी नहीं चला।

लेखक संदीप ठाकुर वरिष्‍ठ पत्रकार हैं. इन दिनों साप्‍ताहिक अखबार हमवतन से जुड़े हुए हैं. उनका यह लेख हमवतन में प्रकाशित हो चुका है. वहीं से साभार लिया गया है.


सीरिज की अन्य खबरें, आलेख व खुलासे पढ़ने के लिए क्लिक करें-  Fraud Nirmal Baba

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

… अपनी भड़ास [email protected] पर मेल करें … भड़ास को चंदा देकर इसके संचालन में मदद करने के लिए यहां पढ़ें-  Donate Bhadasमोबाइल पर भड़ासी खबरें पाने के लिए प्ले स्टोर से Telegram एप्प इंस्टाल करने के बाद यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia 

Advertisement

You May Also Like

विविध

Arvind Kumar Singh : सुल्ताना डाकू…बीती सदी के शुरूआती सालों का देश का सबसे खतरनाक डाकू, जिससे अंग्रेजी सरकार हिल गयी थी…

सुख-दुख...

Shambhunath Shukla : सोनी टीवी पर कल से शुरू हुए भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप के संदर्भ में फेसबुक पर खूब हंगामा मचा।...

विविध

: काशी की नामचीन डाक्टर की दिल दहला देने वाली शैतानी करतूत : पिछले दिनों 17 जून की शाम टीवी चैनल IBN7 पर सिटिजन...

प्रिंट-टीवी...

जनपत्रकारिता का पर्याय बन चुके फेसबुक ने पत्रकारिता के फील्ड में एक और छलांग लगाई है. फेसबुक ने FBNewswires लांच किया है. ये ऐसा...

Advertisement