पत्रकार एवं मीडिया पोर्टल के संपादक धीरज भारद्वाज ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल की है, जिसमें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी को 'थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा' नामक विज्ञापन का प्रसारण अविलंब रुकवाने की कार्रवाई करने के आदेश देने की अपील की गई है। धीरज भारद्वाज के अधिवक्ता पुष्पेंदु शुक्ला के मुताबिक टेलीविजन दर्शकों का आकलन करने वाली एजेंसी टैम को भी इस याचिका में एक पार्टी बनाया गया है क्योंकि उसने इस विज्ञापन को कार्यक्रम के तौर पर रेटिंग दी है।
ग़ौरतलब है कि मीडियादरबार.कॉम ने सबसे पहले निर्मल बाबा की कमाई पर सवालिया निशान लगाया था और उस पर बाबा ने उसे कानूनी नोटिस भेज दिया था। मीडिया दरबार ने डट कर बाबा के खिलाफ़ जो अभियान चलाया उसमें सारी मीडिया ने साथ दिया और बाबा की पोल-पट्टी खुल पाई। याचिका 17 अप्रैल को ही दाखिल की गई थी, लेकिन रजिस्ट्रार की आपत्तियों का जवाब 20 अप्रैल को दाखिल किया गया। याचिका में कहा गया है कि 'थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा' एक ऐसी प्रचार फिल्म है, जो लगभग हर चैनल पर प्रसारित हो रही है और समाज में अंधविश्वास फैला रही है। याचिका के मुताबिक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी को देश भर के चैनलों पर प्रसारित होने वाली प्रसारण सामग्रियों की निगरानी करने और उन्हें नियंत्रित करने के अधिकार हैं, लेकिन कोई इनका प्रयोग नहीं कर रहा है।
याचिकाकर्ता ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पहले लिखित में कई शिकायतें भेजीं हैं, लेकिन मंत्रालय ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया। याचिकाकर्ता को उसके सूत्रों से जानकारी मिली है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत निगरानी का काम बेसिल नामक संस्थान के पास है और उसने कई नकारात्मक टिप्पणियां भी भेजी हैं, लेकिन कभी इस विज्ञापन के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई। हैरानी की बात ये है कि टैम ने इस विज्ञापन को कार्यक्रमों की सूची में शामिल कर दिया है। याचिका में टैम के इस घोटाले की ओर भी कोर्ट का ध्यान आकृष्ट किया गया है। हालांकि टैम एक निजी संस्था है, लेकिन भारत में दर्शकों के सर्वे के लिए सबसे ज्यादा मान्य और स्थापित संस्था है। जितने भी टीवी चैनल हैं, टैम की सूची में अपनी जगह उपर करने के लिए ही कोशिश में जुटे रहते हैं क्योंकि विज्ञापन देने वाली लगभग सभी बड़ी एजेंसियां इसे ही मानदंड मानती हैं।
याचिकाकर्ता का मानना है कि 'थर्ड आई' को विज्ञापन से हटा कर कार्यक्रमों की सूची में डालने के परिणामस्वरूप ही कई चैनल इस विज्ञापन को अपने यहां चलाने को राजी हुए। हालांकि इस विज्ञापन के बीच कोई विज्ञापन नहीं प्रसारित होता, लेकिन इसके कारण चैनलों की औसत टीआरपी खासी बढ़ गई है। दिलचस्प बात यह है कि 'थर्ड आई' किस कैटेगरी में है और किस कैटेगरी के चैनल पर चल रहा है इसकी फिकर न टैम को है और न सरकार को।
याचिकाकर्ता का मानना है कि यह विज्ञापन उनके घरों में न सिर्फ अंधविश्वास फैला रहा है बल्कि धार्मिक भावनाओं को ठेस भी पहुंचा रहा है। विज्ञापन में निर्मल बाबा घरों में समृद्धि लाने के लिए अन्य उटपटांग उपायों के साथ-साथ अपने पूर्वजों की तस्वीरों की पूजा न करने और शिवलिंग को घर के बाहर मंदिर में छोड़ आने की सलाह देते हैं। ऐसे में घर में इस बात को मानने या न मानने को लेकर विवाद छिड़ जाता है। निर्मल बाबा का विज्ञापन मास हिस्टीरिया जैसी स्थिति पैदा कर रहा है जिससे याचिकाकर्ता के घर का माहौल भी अछूता नहीं है। याचिकाकर्ता ने अदालत से दरख्वास्त की है कि अविलंब चैनलों से इस कार्यक्रम को हटाने के आदेश जारी किए जाएं और टैम को भी अपनी सूची सुधारने के आदेश दिए जाएं
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