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Fraud Nirmal Baba (95) : आजतक, आईबीएन7, न्यूज24 के संपादकों को अब भी शर्म नहीं आती

बेशर्मी की हद है. इतने अनुनय-विनय, आह्वान, धिक्कार, गुहार, प्रतिरोध, तर्क, अपील, निर्देश, सलाह के बाद भी आजतक और आईबीएन7 समेत 19 चैनलों को शर्म नहीं आई. ये बेशर्मी की हद पार करते हुए निर्मल बाबा के अंधविश्वास का प्रसारण जारी रखे हुए हैं. कमर वहीद नकवी आजतक से रिटायर हो गए लेकिन वे जाते जाते भी निर्मल बाबा का प्रोग्राम नहीं बंद करा सके. इससे समझा जा सकता है कि वे पत्रकार नहीं बल्कि मैनेजमेंट के एजेंट भर आजतक में रह गए थे. अगर उनमें थोड़ी भी पत्रकारीय आत्मा बची होती तो वह निर्मल बाबा के फ्राड किस्म के प्रोग्राम का प्रसारण अपने यहां बंद करा चुके होते या इसके लिए अरुण पुरी को कनवींस करा चुके होते. हालांकि अब सब जानते हैं कि आजकल के अरुण पुरी उर्फ मीडिया के मालिक कोई तर्क नहीं सुनते, सिवाय ढेर सारा पैसा किसी भी प्रकार कंपनी के एकाउंट में आ जाने के.

बेशर्मी की हद है. इतने अनुनय-विनय, आह्वान, धिक्कार, गुहार, प्रतिरोध, तर्क, अपील, निर्देश, सलाह के बाद भी आजतक और आईबीएन7 समेत 19 चैनलों को शर्म नहीं आई. ये बेशर्मी की हद पार करते हुए निर्मल बाबा के अंधविश्वास का प्रसारण जारी रखे हुए हैं. कमर वहीद नकवी आजतक से रिटायर हो गए लेकिन वे जाते जाते भी निर्मल बाबा का प्रोग्राम नहीं बंद करा सके. इससे समझा जा सकता है कि वे पत्रकार नहीं बल्कि मैनेजमेंट के एजेंट भर आजतक में रह गए थे. अगर उनमें थोड़ी भी पत्रकारीय आत्मा बची होती तो वह निर्मल बाबा के फ्राड किस्म के प्रोग्राम का प्रसारण अपने यहां बंद करा चुके होते या इसके लिए अरुण पुरी को कनवींस करा चुके होते. हालांकि अब सब जानते हैं कि आजकल के अरुण पुरी उर्फ मीडिया के मालिक कोई तर्क नहीं सुनते, सिवाय ढेर सारा पैसा किसी भी प्रकार कंपनी के एकाउंट में आ जाने के.

नकवी नौकरी बचाते बचाते रिटायर हो गए, और निर्मल बाबा को स्थापित कर गए. उनके पीछे अब सुप्रिय प्रसाद नए हेड बनकर उभरे हैं. पर उनसे इस बात की उम्मीद करना कि वह किसी सरोकार की बात करेंगे, सोचेंगे या उस पर अमल करेंगे, बेमानी है. वे टीआरपी के लिए जीते मरते रहे हैं और अगर टीआरपी निर्मल बाबा से आ रही है तो वे भला क्यों इसे बंद कराने लगे. कहने वाले कहने लगे हैं कि पत्रकारिता का यह नो माइंड काल है. मतलब, दिमाग नहीं लगाने वाले लोगों का यह दौर है. अगर आप पत्रकार हैं तो कंटेंट की तरफ, सरोकार की तरफ बिलकुल मत ध्यान दें, आप टीआरपी, प्रसार, बिजनेस की तरफ ध्यान देंगे तो सफल रहेंगे. यह नो माइंड स्टेज है. आपको अपने काम में दिमाग नहीं लगाना है बल्कि उन कामों में दिमाग लगाना है जिसमें आपको नैतिक रूप से दिमाग नहीं लगाना चाहिए.

अब आईबीएन7 का हाल सुनिए. यहां एक से एक धुरंधर और कलाकार टाइप लोग काम करते हैं जो खुद को काफी संवेदनशील और तर्कशील बताते रहते हैं. कोई कम्युनिस्ट आंदोलन से आया है तो कोई प्रगतिशील आंदोलन की उपज है, कोई नक्सल आंदोलन का सिपाही रहा है तो कोई थिएटर का चेहरा रहा है. कोई एसपी सिंह जैसे पत्रकार का शिष्य रहा है तो कोई साहित्यिक बैकग्राउंड वाला शख्स है. कोई प्राचीन किस्म का पत्रकार है तो कोई महान दबंग किस्म का चिल्लो-पों पत्रकार है. और इन सबके मुखिया हैं आशुतोष जो खुद को माडर्न, धारधार और तर्कशील संपादक के रूप में पेश करते हैं. पर इन सबकी बोलती बंद है. इनके चैनल पर धड़ल्ले से बाबा के समागम का प्रसारण जारी है. इन्हें यह दिखाई नहीं देता. डंके की चोट पर ढेर सारे चूतियापों पर चिंतन ये लोग करते कराते रहते हैं पर जब निर्मल बाबा का मुद्दा सामने आता है तो किसी काइयां भ्रष्ट संपादक पत्रकार की तरह चुप्पी साध लेते हैं.

न्यूज24 पर भी प्रसारण जारी है. इस चैनल के संपादक अजीत अंजुम हैं जो काफी सक्रिय संपादक माने जाते हैं. राजीव शुक्ला जो कि पत्रकारिता में सक्रिय होने के बाद दलाल शिरोमणि के रूप में स्थापित हुए और अब भ्रष्ट कांग्रेस की सरकार में केंद्रीय मंत्री के पद पर सुशोभित हो रहे हैं, के हनुमान के रूप में चर्चित अजीत अंजुम ने तय कर रखा है कि उन्हें निर्मल बाबा के मुद्दे पर कुछ नहीं बोलना है. वे बाबा के मुद्दे पर न तो ट्विटर पर कुछ लिखते हैं और न ही फेसबुक पर. आखिर उन्हें यह बताना चाहिए कि एक पाखंडी के अंधविश्वास का प्रसारण जारी रखने का क्या तर्क है. और, अगर वे जारी रखे हुए हैं तो इसके बदले कंपनी को और कंपनी के कमीशन के रूप में उन्हें कितने रुपये मिलते हैं. या फिर निर्मल बाबा सीधे उन तक कितने रुपये पहुंचाते हैं. ऐसे सवालों का जवाब अब नकवी, सुप्रिय प्रसाद, आशुतोष, अजीत अंजुम आदि को देना चाहिए या फिर अपने प्रबंधन से साफ साफ कहना चाहिए कि उन्हें निर्मल बाबा का चूतियापा अब मंजूर नहीं. अगर इतनी भी हेकड़ी वे बचाकर नहीं रख पाए हैं तो इन संपादकों को रीयल स्टेट का कोई धंधा शुरू कर लेना चाहिए या फिर किसी बड़ी कंपनी में पीआरओ के पद पर हो जाना चाहिए. इससे कम से कम लोगों को मूल्यांकन करने में असुविधा तो नहीं होगी. आप बने बैठे हैं संपादक और काम कर रहे हैं चिरकुटों वाला. यह कहां का न्याय है.  

उपरोक्त बेशर्मों के चैनलों से परे कई ऐसे चैनल भी हैं जिन्होंने बाबा की चिरकुटई का प्रसारण बंद कर दिया है ताकि समाज में अंधविश्वास का विस्तार अब और न हो. पहले जहां 36 चैनलों पर निर्मल दरबार के समागम का प्रसारण होता था, वहीं अब चैनलों की संख्या घट कर 19 हो गयी है. यानी 17 चैनलों ने समागम का प्रसारण बंद कर दिया है. आईबीएफ (इंडियन ब्राडकास्टिंग फेडरेशन) और मध्यप्रदेश की एक अदालत पहले ही टीवी चैनलों को निर्मल बाबा से जुड़े कार्यक्रमों के प्रसारण रोकने का निर्देश दे चुकी है. निर्मल दरबार की वेबसाइट के मुताबिक अभी जिन चैनलों पर निर्मल दरबार के समागम का प्रसारण हो रहा है, उनमें आइबीएन7, आज तक, न्यूज24, हिस्ट्री टीवी18, सहारा समय, नेपाल वन, दिव्य, सहारा यूपी, बिग मैजिक, सहारा बिहार, सहारा एमपी, सहारा राजस्थान, सहारा समय मुंबई, सौभाग्य, पी7न्यूज, आजतक तेज, कलर्स (यूएसए), आज तक (यूएसए) और टीवी एशिया (यूएसए) शामिल हैं. पहले चैनलों की संख्या 36 थी, जिनमें कई पर दिन में दो बार प्रसारण होता था.
 
गौरतलब है कि इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन (आईबीएफ) ने दिशा निर्देश जारी कर निर्मल बाबा के कार्यक्रमों के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए कहा है. पत्रकार धीरज भारद्वाज ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, टैम और एनबीएसए को नोटिस भिजवाया था. आईबीएफ ने अपने पत्र में कहा है कि चैनलों को निर्मल बाबा के प्रवचनों और कार्यक्रमों के प्रसारण से बचना चाहिए क्योंकि वे अंधविश्वास फैलाते हैं. आईबीएफ के निदेशक नरेश चहल के मुताबिक यह उनकी संस्था का सामाजिक दायित्व है कि ऐसे अंधविश्वास को रोका जाए.

Fraud Nirmal Baba से संबंधित अन्य खबरों-जानकारियों को पढ़ने-जानने के लिए यहां क्लिक करें- फ्राड बबवा चिरकुट मीडिया

लेखक यशवंत सिंह भड़ास4मीडिया के एडिटर हैं.

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