Connect with us

Hi, what are you looking for?

No. 1 Indian Media News PortalNo. 1 Indian Media News Portal

प्रिंट-टीवी...

आईबीएन7 के पत्रकार हरीश बर्णवाल की कहानियों का संग्रह प्रकाशित

टेलीविजन पत्रकार हरीश चंद्र बर्णवाल की कहानियों का संग्रह “सच कहता हूं” दिल्ली के वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। हरीश की ये तीसरी किताब है। इसमें 6 लंबी कहानियां और 14 लघु कथाएं हैं। कहानियों में समसामयिक विषयों को भावनात्मक तौर पर बहुत ही अच्छे से उभारा है। हरीश ने कई ऐसे मुद्दों को कहानियों में जगह दी है, जो इससे पहले कभी नहीं आईं। ‘निकाह’, ‘बागबां’ और ‘बाबुल’ जैसी फिल्मों की कहानियां लिखने वाली लेखिका अचला नागर लेखक की कहानियों के बारे में लिखती हैं कि “हरीश की कहानियों में तीन बातें हैं। संवेदनशीलता कूट-कूटकर भरी हुई हैं। दूसरी पैनी दृष्टि और तीसरी ईमानदारी दिखाई देती है। एक तरह से दूध को मथते-मथते ये मक्खन निकला है। तभी उन्होंने 16 सालों में सिर्फ 6 कहानियां लिखी हैं।”

टेलीविजन पत्रकार हरीश चंद्र बर्णवाल की कहानियों का संग्रह “सच कहता हूं” दिल्ली के वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। हरीश की ये तीसरी किताब है। इसमें 6 लंबी कहानियां और 14 लघु कथाएं हैं। कहानियों में समसामयिक विषयों को भावनात्मक तौर पर बहुत ही अच्छे से उभारा है। हरीश ने कई ऐसे मुद्दों को कहानियों में जगह दी है, जो इससे पहले कभी नहीं आईं। ‘निकाह’, ‘बागबां’ और ‘बाबुल’ जैसी फिल्मों की कहानियां लिखने वाली लेखिका अचला नागर लेखक की कहानियों के बारे में लिखती हैं कि “हरीश की कहानियों में तीन बातें हैं। संवेदनशीलता कूट-कूटकर भरी हुई हैं। दूसरी पैनी दृष्टि और तीसरी ईमानदारी दिखाई देती है। एक तरह से दूध को मथते-मथते ये मक्खन निकला है। तभी उन्होंने 16 सालों में सिर्फ 6 कहानियां लिखी हैं।”

पहली कहानी ‘यही मुंबई है’ अंधे बच्चों पर आधारित है। इस कहानी के बारे में हिंदी के वरिष्ठ लेखक राजेंद्र यादव लिखते हैं कि “इस कहानी में एक अंधेरी दुनिया है। एक ऐसी दुनिया जहां हम खुद को सीमित महसूस करते हैं, तन्हा महसूस करते हैं। ये एक बच्चे की कहानी है, बच्चे के प्रति करूणा की, उसकी मजबूरियों कीं… कहानी की खूबसूरती ये है कि ये अपनी सीमाओं के पार चली जाती है… जो कथ्य है, जो कहा गया है, जो कहानी है, उसके पार ले जाती है और इसलिए ये मेटाफर है।”अंधे बच्चों पर इस कहानी को लिखने में हरीश चंद्र बर्णवाल ने कई सालों की मेहनत की है, साथ ही बहुत ही बेहतर तरीक से बच्चों के घूमने के बहाने आधुनिक समाज की विसंगतियों, बड़े शहरों की परेशानियों और मानवीय रिश्तों को शब्दों में पिरोया है। इस कहानी को अखिल भारतीय अमृत लाल नागर पुरस्कार भी मिल चुका है।

दूसरी कहानी ‘चौथा कंधा’ देहाती समाज में चल रही हलचलों को तात्कालिकता के विश्वसनीय बिंबों में प्रस्तुत करती है। कहानी में दिखाया गया है कि कैसे ट्रेन से गाय के कटने में कोहराम मच जाता है जबकि इंसानों के मरने पर कोई हलचल तक पैदा नहीं होती। वरिष्ठ आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी इस कहानी के बारे में लिखते हैं कि “कहानीकार नई फैशनेबल कथा रूढ़ियों का सहारा लिए बिना नए के प्रति गांववालों के कौतुहल, उनकी काइयां, व्यवहारिकता और हमारे दौर में मानव जीवन के अवमूल्यन को रचनात्मक अंतर्गठन के माध्यम से व्यंजित कर सका है।”

तीसरी कहानी का नाम है “तैंतीस करोड़ लुटेरे देवता”। ये कहानी लेखक ने जम्मू के रघुनाथ मंदिर में घूमने के दौरान अपने अनुभवों के आधार पर लिखा है। साथ ही पंडितों के ऊपर कहानी के माध्यम से जमकर प्रहार किया है। चौथी कहानी “अंग्रेज, ब्राह्मण और दलित” के जरिये हिंदू समाज में व्याप्त जातिवाद के जहर को दिखाने की कोशिश की गई है। पांचवीं कहानी “काश मेरे साथ भी बलात्कार होता” एक बहुत ही संवेदनशील कहानी है। कहानी को पढ़कर समझ जाएंगे कि बलात्कार जैसे संवेदनशील मुद्दे को कभी इस तरह से आज से पहले नहीं उठाया गया। आखिरी लंबी कहानी है “अंतर्विरोध” इस कहानी में मुंबई के परिवेश और आधुनिक समाज की दिक्कतों को मार्मिक तरीके से उकेरा गया है।

कहानीकार हरीश चंद्र बर्णवाल ने अपनी लघुकथाओं में या तो अस्पताल की दिक्कतों को या फिर मीडिया में व्याप्त परेशानियों  को उठाने की कोशिश की है। इन लघुकथाओं में सिर्फ आखिरी लघुकथा “कब मरेंगे पोप” पढ़कर ही आप इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की त्रासदी को बड़ी ही आसानी से पकड़ सकते हैं।

हरीश चंद्र बर्णवाल को उनकी कहानियों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं। “सच कहता हूं” किताब उनका पहला कहानी संग्रह है। इससे पहले गीतों पर पहली किताब मुंबई के परिदृष्य प्रकाशन से “लहरों की गूंज” प्रकाशित हो चुकी है। दूसरी किताब न्यूज चैनलों की भीषा पर “टेलीविजन की भाषा”, राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। इस किताब को लोगों ने हाथों हाथ लिया। इसलिए महज चार महीने में ही किताब का दूसरा संस्करण प्रकाशित किया गया। हरीश की तीसरी किताब “सच कहता हूं” हार्ड बाउंड में प्रकाशित की गई है। किताब 96 पन्ने की है और इसकी कीमत 175 रुपये है। किताब खरीदने के लिए दिल्ली के वाणी प्रकाशन से 011- 23273167 के जरिए या फिर किताब लेखक से [email protected] के जरिए संपर्क कर सकते हैं।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

… अपनी भड़ास [email protected] पर मेल करें … भड़ास को चंदा देकर इसके संचालन में मदद करने के लिए यहां पढ़ें-  Donate Bhadasमोबाइल पर भड़ासी खबरें पाने के लिए प्ले स्टोर से Telegram एप्प इंस्टाल करने के बाद यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia 

Advertisement

You May Also Like

विविध

Arvind Kumar Singh : सुल्ताना डाकू…बीती सदी के शुरूआती सालों का देश का सबसे खतरनाक डाकू, जिससे अंग्रेजी सरकार हिल गयी थी…

सुख-दुख...

Shambhunath Shukla : सोनी टीवी पर कल से शुरू हुए भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप के संदर्भ में फेसबुक पर खूब हंगामा मचा।...

विविध

: काशी की नामचीन डाक्टर की दिल दहला देने वाली शैतानी करतूत : पिछले दिनों 17 जून की शाम टीवी चैनल IBN7 पर सिटिजन...

प्रिंट-टीवी...

जनपत्रकारिता का पर्याय बन चुके फेसबुक ने पत्रकारिता के फील्ड में एक और छलांग लगाई है. फेसबुक ने FBNewswires लांच किया है. ये ऐसा...

Advertisement