पत्रकारों और गैर पत्रकारों के वेतन के लिए गठित मजीठिया वेजबोर्ड पर सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला करता है, यह तो अभी समय के गर्भ में है पर हिंदुस्तान प्रबंधन ने इस फैसले के भय से ही बिहार से 22 लोगों का तबादला कानपुर और देहरादून के लिए कर दिया है ताकि इन्हें संस्थान से बाहर किया जा सके और इन्हें मजीठिया के लाभ से वंचित किया जा सके। सूत्र बता रहे हैं कि सबसे ज्यादा मुजफ्फरपुर और पटना से स्थानांतरण हुए हैं। स्थानीय स्तर के जीएम इनको धमकाकर न केवल इस्तीफा लिखवा रहे हैं बल्कि वे तानाशाही रवैये से भी पीछे नहीं हट रहे हैं।
खबर तो यहां तक है कि एक जीएम ने दो बंदों को घंटों कमरे में बंद रखा और उन्हें तभी छोड़ा जब वे इस्तीफा देने के लिए तैयार हो गए। जो लोग इस्तीफा नहीं दे रहे हैं उन्हें तरह तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है। उनका तबादला ऐसे जगह किया जा रहा है जहां उनके लिए कुछ काम नहीं है। यहां तक कि 25 सालों से जो वे काम कर रहे हैं उसे भी बदलकर दूसरा काम थमाया जा रहा है। आइए आपको बता दें कि पटना और मजफ्फरपुर से किसका किसका स्थानांतरण हुआ है।
- अजय चंद्र कौशिश आपरेटर हैं और उन्हें मुजफ्फरपुर से देहरादून भेज दिया गया।
- पटना में उमा सिन्हा डिजायनर हैं। उन्हें कानपुर भेजा गया है।
- बालेश्वर प्रसाद क्लर्क हैं मुजफ्फपुर में। इन्हें कानपुर भेजा गया है।
- विजय सिंह प्रोडक्शन में हैं। मुजफ्फरपुर से देहरादून भेजा गया है।
- बीएन शर्मा आपरेटर के पद हैं। उन्हें पटना से कानपुर स्थानांतरित किया गया।
- दिनेश सिंह आपरेटर हैं। सासाराम से इनका स्थानांतरण देहरादून कर दिया गया है।
- अंजनी प्रसाद टाइपिस्ट हैं। पटना से कानपुर तबादला किया गया। फिर जानबूझ कर यहां के जीएम ने उनका स्थानांतरण झांसी कर दिया है।
- पारस साह पटना में थे। उन्हें कानपुर भेजा गया और यहां से इन्हें जान बूझकर फिर महोबा स्थानांतरित कर दिया गया।
- दिनेश तिवारी क्लर्क हैं। पटना में थे। इन्हें पटना से देहरादून भेज दिया गया है।
- राधेश्याम आपरेटर हैं। गया में थे। देहरादून भेज दिया गया है।
- उपेंद्र चौधरी पटना में थे। देहरादून भेजा गया है। वे प्रूफ मैन थे।
- गंगाशरण आपरेटर हैं। पटना से देहरादून भेजा गया है। खबर है कि यहां के जीएम ने इनका वेतन रोक दिया है। यानी जानबूझकर परेशान किया जा रहा है ताकि इस्तीफा दे दें।
- मिथिलेश सिंह प्रूफ रीडर हैं। मुजफ्फरपुर से देहरादून भेजा गया है। इनकी भी सेलरी रोक दी गई है। ये पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह के भतीजे हैं।
- अखिलेश सिंह डिस्पैचर हैं। पटना से देहरादून भेजा गया है। इनकी भी सेलरी यहां के जीएम ने रोक दी है।
- राम संजीवन मिश्रा आपरेटर हैं। पटना से देहरादून भेजा गया है। सूत्र बता रहे हैं कि इनसे धमकाकर रिजाइन ले लिया गया है।
- विकास राय चपरासी हैं। पटना से देहरादून भेजा गया जहां इन्हें धमकाकर इस्तीफा ले लिया गया।
- चंद्रदेव सिंह बाइनडिंग ब्वाय हैं। पटना से कानपुर भेजा गया जहां इनसे इस्तीफा ले लिया गया।
- कैलास प्रसाद के भी इस्तीफे की खबर है।
- नवीन कुमार पटना से कानपुर भेजे गए और परेशान करने के लिए उन्हें पुनः कानपुर से फतेहपुर भेज दिया गया।
- सुशील सिन्हा क्लर्क हैं। पटना से देहरादून भेजे गए हैं।
- अरविंद कुमार वर्नवाल मुजफ्फरपुर में थे और उन्हें भागलपुर भेजा गया जहां उन्हें जानबूझकर प्रताड़ित किया जा रहा है।
सूत्र बता रहे हैं कि इन लोगों को स्थानांतरण खर्च भी नहीं दिया गया और तरह तरह से प्रताडित किया जा रहा है। पता नहीं शोभना भरतिया और शशि शेखर इन लोगों को निकाल कर कितना पैसा बचा लेंगे और उस पैसे से कितना सुख-चैन बटोर लेंगे। इन लोगों को गरीबों की आह लगेगी और इन्हें भोगना पड़ेगा इसी जन्म में।
पीड़ित मीडियाकर्मियों में से एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित. अगर आपको भी लगता है कि आपके साथ अन्याय हुआ है या आपके मीडिया हाउस में किसी के साथ अन्याय, उत्पीड़न, शोषण हो रहा है तो तुरंत भड़ास को लिख भेजें, [email protected] पर मेल कर दें.